पहली क्रासिंग से लाइट मेट्रो पार
वाराणसी (ब्यूरो)। अगर विकास की यही रफ्तार जारी रही तो वाराणसी बहुत जल्द ही दुनिया की आधुनिक शहरों में शुमार हो जाएगा। जो अब भी देश के बड़े-बड़े शहरों के लिए सपना है, वह बनारस में साकार होता दिख रहा है। देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे पर काम शुरू होने के बाद वाराणसी में लाइट मेट्रो को चलाने का रास्ता साफ हो गया है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को शासन ने हरी झंडी दिखा दी है। शासन से मंजूरी के बाद वाराणसी विकास प्राधिकरण ने कवायद तेज कर दी है। बहुत जल्द ही सर्वे का काम शुरू होगा। सबसे पहले बाबतपुर एयरपोर्ट से बीएचयू तक लाइट मेट्रो चलाने की योजना है.
अन्य विकल्पों से राहत की तैयारीपुलिस की बेहतर प्लानिंग और प्रशासन के तमाम प्रयास के बावजूद शहर को जाम से निजात नहीं मिल रही है। अब अन्य विकल्पों के जरिए पब्लिक और पर्यटकों को जाम से राहत दिलाने के लिए लाइट मेट्रो को धरातल पर उतारने की तैयारी है। सड़कों से निजी वाहनों को कम करने के लिए शहर में ई बसों का संचालन किया गया है। रेलवे स्टेशनों और बाबतपुर एयरपोर्ट के विस्तार की कार्ययोजना बन रही है। गंगा में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए क्रूज और वाटर टैक्सी चलाई जा रही है। साथ ही रोपवे निर्माणाधीन है। शहर के विस्तार और पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वाराणसी की महायोजना-2031 में लाइट मेट्रो को शामिल किया गया है।
लोड के आधार पर तय होगा रूट वीडीए की ओर से तैयार की गई महायोजना-2031 में भी लाइट मेट्रो चलाने का प्रस्ताव है। योजना के मुताबिक शहर के ट्रैफिक लोड के आधार पर लाइट मेट्रो का रूट तय किया जाएगा। टै्रफिक लोड के अध्ययन की जिम्मेदारी वीडीए को मिली है। पिछले दिनों सर्वे शुरू हुआ, लेकिन रोपवे की प्राथमिकता के कारण योजना लंबित हो गई। शासन तक जब यह बात पहुंची तो वहां से प्रस्ताव मांगा गया। वीडीए वीसी के अनुसार दोबारा सर्वे के लिए जल्द ही कार्यदायी संस्था नियुक्त की जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा. चलाना खर्चीला नहीं होतासामान्य मेट्रो के मुकाबले लाइट मेट्रो के निर्माण में कम खर्च आता है। इन्हें चलाना भी खर्चीला नहीं होता है। देखा जाए तो सामान्य मेट्रो और लाइट मेट्रो में सिर्फ इतना ही बुनियादी फर्क है कि लाइट मेट्रो कम जगह में चल जाती है। इसे अंडर ग्राउंड नहीं बल्कि जमीन के ऊपर चलाया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ये किसी भी शार्प रेडियन पर मुड़ सकता है। इस तरह अगर कहीं संकरा इलाका है तो वहां भी ये मेट्रो चल सकती है।
छोटे शहर के लिए बेहतर है लाइट मेट्रो लाइट मेट्रो का कॉरिडोर सड़क के समानांतर जमीन पर ही होता है। स्टेशन बस स्टैंड की तरह तैयार किया जाता है। इसमें तीन से चार कोच हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन कोच की मेट्रो में तीन सौ यात्री यात्रा कर सकते हैं। लाइट मेट्रो रोड पर ही चलेगी, जगह न होने की स्थिति में ही एलिवेटेड रूट तैयार किया जाएगा। फुटपाथ और सड़क की चौड़ाई कम होगी वहीं पर लाइट मेट्रो जमीन पर चलेगी। लाइट मेट्रो के स्टेशन साइज में काफी छोटे-छोटे होंगे। केंद्र सरकार ने छोटे, मझोले किस्म के शहरों में कम खर्चे पर मेट्रो की सुविधा मुहैया कराने के लिए लाइट मेट्रो का प्लान तैयार किया है। जमीन अधिग्रहण की नौबत नहीं आती. वाराणसी में जाम बड़ी समस्या है। इससे निजात के लिए रोपवे के बाद महत्वाकांक्षी परियोजना लाइट मेट्रो को जमीन पर उतारा जाएगा। शासन से मंजूरी मिलने के बाद इसके लिए सर्वे कराने की तैयारी है। कौशलराज शर्मा, कमिश्नर