रमापति सिंह हत्याकांड में हरिहर सिंह को आजीवन कारावास
वाराणसी (ब्यूरो)। अपर सत्र न्यायाधीश गाजीपुर कोर्ट नंबर चतुर्थ दुर्गेश की अदालत ने 38 साल बाद सैदपुर के मुडिय़ार गांव निवासी माफिया त्रिभुवन सिंह के पिता रमापति सिंह की हत्या में बरहट के हरिहर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने एक लाख पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
करने लगे फायरसैदपुर मुडिय़ार के विजयशंकर सिंह ने सैदपुर कोतवाली में तहरीर दी कि 25 जून 1984 को अपने पिता रमापति सिंह के साथ ट्रैक्टर में तेल भरवाने बाजार गया था। वापस लौटते समय सैदपुर भीतरी जाने वाले सड़क पर लच्छिपुर रोड पर पहुंचे ही थे कि उनके गांव के राजेश्वर उर्फ मकनू सिंह, साधु सिंह व हरिहर सिंह दौड़ते हुए आए और फायर झोंक दिए। विजय शंकर किसी तरफ से भागकर अपनी जान बचाए, लेकिन उनके पिता रमापति सिंह वृद्ध होने के कारण भाग नहीं सके और गोलियों का शिकार हो गए। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
पहियों पर मारी गोलीबदमाश ट्रैक्टर के पहियों पर भी गोली चला कर पंक्चर कर भाग गए। विजयशंकर की सूचना पर सैदपुर में आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने विवेचना उपरांत सभी आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। लंबी चली सुनवाई के दौरान राजेश्वर सिंह उर्फ मकनू सिंह व साधु शरण सिंह की मौत हो गई। आरोपित हरिहर सिंह को लेकर सुनवाई हुई.
कोर्ट ने माना दोषी अभियोजन की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता शशिकांत सिंह ने कुल छह गवाहों को पेश किया। सभी गवाहों ने अपना-अपना बयान न्यायालय में दर्ज कराया। शनिवार को दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने हरिहर सिंह को दोषी मानते हुए उपरोक्त सजा सुनाई। कोर्ट ने हरिहर को जेल भेज दिया। बाहुबली हरिहर सिंह मुख्तार के गुरुओं मकनू सिंह व साधु शरण सिंह का साथी रहा.