Varanasi news: यहां ओल्ड मेथड पर ही चल रही लाइब्रेरी
वाराणसी (ब्यूरो)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय अपग्रेड तो हो गया, लेकिन लाइब्रेरी के मामले में यहां का मेथड अब भी पुराना है। ऐसा कहना है काशी विद्यापीठ में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं का। वहीं लाइब्रेरी में कॉलेज के स्टूडेंट्स के अलावा बाहर के लोग भी लाइब्रेरी में प्रवेश कर रहे थे। मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम जब काशी विद्यापीठ की लाइब्रेरी पहुंची तो वहां का नजारा कुछ ऐसा ही था। वहीं चीफ प्राक्टर का कहना है कि सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी किताबों को हटाया नहीं जा सकता है। सिलेबस की किताबें भी लाइब्रेरी में उपलब्ध हैैं.
लाइब्रेरी में पुस्तकों का अभाव
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के छात्र आए दिन लाइब्रेरी में पुस्तकों के अभाव को लेकर विरोध करते रहते हैं। स्टूडेंट्स से जब लाइब्रेरी के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था कि वह पुरानी बुक्स से काम चला रहे हैं। इसमें से कुछ बुक्स में तो दिखाई भी नहीं देता है। नाराज छात्रों ने आरोप लगाया है कि पुस्तकालय में पुस्तकों का अभाव है। साथ ही उन्हें एग्जाम के समय परेशानी का सामना करना पड़ता हैै.
बाहर के लोग भी कर रहे प्रवेश
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में बनी डॉ। भगवान दास लाइब्रेरी में कॉलेज के स्टूडेंट्स के अलावा बाहर के लोग भी प्रवेश कर रहे थे। लाइब्रेरी में पढ़ाई करने आने वाले स्टूडेंट्स ने बताया कि लाइब्रेरी को आज तक अपडेट नहीं किया गया है। पुराने तरीके से ही लाइब्रेरी को चलाया जा रहा है। एग्जाम के समय स्टूड्ेंट्स के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। विश्वविद्यालय की छात्रा शीतल ने बताया कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में हमें जो भी किताबें चाहिए होती हैं, वह मिल नहीं पाती हैं। ऐसी पुस्तकें यहां पर उपलब्ध हैं, जो हमारे काम की नहीं हैं। यहां पर कुछ किताबें तो इतनी पुरानी हो गई हैं कि उसे पढऩे में काफी दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि हमारे सिलेबस की किताबें पुस्तकालय में उपलब्ध नहीं हैैं.
पुस्तकालय में कम सीटें
पुस्तकालय में बैठने की बड़ी समस्या है। लाइबे्ररी में पढऩे के लिए भी जगह नहीं मिलती है। कई बार तो लाइब्रेरी में पढऩे के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता हैै। लाइब्रेरी की सीटें भी भर जाती हैं.
कॉलेज की लाइब्रेरी में हमारे सिलेबस की बुक्स उपलब्ध नहीं हैै। वहीं कुछ बुक्स इतनी पुरानी है कि उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता हैै.
कविता
लाइब्रेरी में बैठने की जगह कम है। कई बार तो लाइब्रेरी में पढऩे के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता हैै.
हर्षिता
अब तक लाइब्रेरी में कोई अपडेट नहीं किया गया है। पुराने मेथड में लाइब्रेरी आज तक चल रही है.
आकांक्षा
पुस्तकालय में सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी किताबें रखी गई हैं, जिस कारण से पुस्तकों की स्थिति दुर्लभ हो गई है। यह किताबें महान लेखकों द्वारा लिखी गई है, जिस कारण इसे अभी तक लाइब्रेरी में संभाल कर रखा गया है। वहीं बच्चों की सिलेबस की किताबें भी लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं.
प्रो। अमिता सिंह, चीफ प्राक्टर, काशी विद्यापीठ