- नागपंचमी के मौके पर पहली बार काशी के प्राचीन अखाड़े में महिला पहलवानों ने दिखाया दाव पेंच

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पिछले साल दंगल मूवी आने के बाद अब बेटियों ने दंगल और अखाड़े का रुख करना शुरू कर दिया है। पुरूष प्रधान इस खेल में महिलाओं की भागीदारी होने लगी है। इसकी झलक पुरातन शहर बनारस में भी देखने को मिली। महिला पहलवानों ने नागपंचमी के मौके पर शुक्रवार को अखाड़े में उतरकर अपना दमखम दिखाया। लड़कियों को ये मौका दिया बनारस के प्राचीन अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र ने। उनके निर्देश पर पहली बार अखाड़े में उतरीं बेटियों ने सधे पहलवानों की तरह दांव-पेंच दिखाया। इनके कुश्ती कौशल को देख सब दंग रह गये।

पूर्वाचल से जुटी थीं महिला पहलवान

दंगल मूवी में गीता और बबिता फोगाट के दांव पेंच देखने के बाद कुश्ती में बढ़ रही ग‌र्ल्स की रुचि शुक्रवार को अखाड़ा तुलसीघाट में साफ दिखी। काशी सहित पूर्वाचल के विभिन्न जिलों से करीब 12 महिलाओं ने अखाड़े में उतरकर यह साबित कर दिया कि उनके अंदर भी हुनर की कोई कमी नहीं है। शुक्रवार को पुरुष मल्ल के बाद लड़कियों की जब कुश्ती शुरु हुई तो लोगों के लिए ये आकर्षण का केंद्र रही। अखाड़े की मिट्टी शरीर पर लगाकर जब आस्था वर्मा और नंदनी सरकार उतरीं तो अन्य पहलवानों ने तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। दोनों पहलवानों ने अपना-अपना दांव पेंच अपनाया। मगर दोनों पहलवान एक दूसरे पर भारी पड़े। ऐसे ही संध्या ने निधि, मधु ने प्रीति, भावना ने संध्या, नंदनी ने भावना, अपेक्षा ने निधि और मधु ने अपेक्षा से जोर आजमाइश की। सबसे चौंकाने वाला पल तो तब देखने को मिला जब महिला पहलवानों के दांव पेंच देखकर पुरुष पहलवान भी तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।

गोस्वामी तुलसीदास ने महिलाओं का हमेशा सम्मान किया। अखाड़े में लड़कियों को लाने का मकसद था कि समाज में लड़कियों के प्रति हो रहे अपराध से लड़ने के लिए उन्हें मजबूत बनाया जाए। बेटी-बचाओ, बेटी-लड़ाओ फिर बेटी-पढ़ाओ जब बेटियां सुरक्षित रहेंगी तभी पढ़ेंगी और आगे बढ़ेंगी।

प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र, अध्यक्ष अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास

Posted By: Inextlive