बनारस कोर्ट परिसर में सभी गेटों पर रहता है पुलिस का पहरा कोर्ट परिसर में घुसते वक्त नहीं होती है किसी की जांच पड़ताल लायर्स ने की आम लोगों और खुद के लिए अलग-अलग एंट्री की मांग

वाराणसी (ब्यूरो)लखनऊ के कोर्ट में बुधवार को पेशी के दौरान मुख्तार के करीबी गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या के बाद यूपी की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। कोर्ट में दिनदहाड़े हुई इस घटना के बाद गुरुवार को बनारस के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई। हर गेट के बाहर पुलिस बल की संख्या बढ़ाने के साथ यहां आने-जाने वाले हर अधिवक्ता और उनके मुअक्किल पर नजर रखी जा रही थी। संदिग्ध दिखने वालों से पुलिस पूछताछ भी करती नजर आई। लेकिन इन सबके बावजूद सीनियर लॉयर्स और बार एसोसिएशन के लोग इस कुछ दिन वाली व्यवस्था से संतुष्ट नहीं दिखे। लॉयर्स का कहना है कि जब किसी शहर में कोई घटना होती है तो यहां चौकसी बढ़ा दी जाती है, लेकिन दो-चार दिन बाद सब सामान्य हो जाता है। शासन-प्रशासन को यहां परमानेंट सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो लखनऊ जैसा कांड यहां भी होने में समय नहीं लगेगा।

नहीं हुई कोई व्यवस्था

सीनियर्स लार्यस का कहना है कि साल 2007 में कोर्ट परिसर में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था। इसके बाद यहां की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार की जरुरत महसूस की गई थी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। हालांकि कोर्ट के सभी गेट पर मेटल डिटेक्टर डोर लगाया गया। लेकिन सभी एक्टिव मोड पर नहीं रहते। जब कभी कहीं कोई घटना होती है तो उन्हें एक्टिव किया जाता है। ऐसे में यहां आने वाला कब क्या कर बैठेगा कहना मुश्किल है। पूरे कोर्ट परिसर में हर स्थान पर जरुरत के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हैं और न ही पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल रहता है।

फीमेल लॉयर्स भी सेफ नहीं

महिला अधिवक्ताओं का कहना है कि वे इस कोर्ट में बिल्कुल भी सेफ नहीं हैं। कोर्ट परिसर में सुरक्षा को लेकरआज तक कुछ नहीं किया गया। उनकी सेफ्टी के नाम पर सब जीरो है। रजिस्टर्ड लॉयर्स की पहचान के लिए उनके पास आईडी कार्ड है, बावजूद कभी कोई इसे कैरी नहीं करता। कुछ ऐसे लॉयर्स भी है जो गेट पर जांच कराने में भी आनाकानी करते हैं। जबकि यह सभी की सुरक्षा के लिए ही होता है। ताकि फेक लॉयर्स की पहचान हो सके।

फेस लायर्स की बड़ी जमात

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बनारस बार और सेंट्रल बार एसोसिएशन में मिलाकर कुल रजिस्टर्ड करीब 8 हजार लॉयर्स हैं। लेकिन अगर इनकी कायदे से गिनती की जाए तो 10 हजार से ज्यादा लायर्स मिल जाएंगे। ऐसा इसलिए कि यहां करीब दो हजार से ज्यादा फेक लॉयर्स घूम रहे हैं। ऐसे लोग भी वकील के वेश में कोई कांड कर सकते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि इनमें महिला लायर्स की संख्या ज्यादा है। ऐसे लॉयर्स को दबोचने के लिए बनारस बार एसोसिएशन की ओर से बकायदा टीम भी गठित की गई है। जिसका अध्यक्ष एडवोकेट अरविंद कुमार पांडेय को बनाया गया है। पिछले माह ऐसे ही कुछ लॉयर्स को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था।

सुबह जांच, दोपहर में आराम

गुरुवार की सुबह करीब 11 बजे डीसीपी वरुणा जोन अमित कुमार दल बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुंचे। उन्होंने पूरे परिसर का मौका मुआयना करते हुए वहां तैनात कर्मियों से गेट पर ही हर शख्स की जांच करने का निर्देश दिया। लेकिन दोपहर होते-होते व्यवस्था धड़ाम हो गई। लोग बड़े आराम से आ-जा रहे थे। रोकने-टोकने की व्यवस्था सिर्फ दिखाने भर रह गई। पुलिसकर्मी आराम करते और मोबाइल चलाते नजर आए.

कोर्ट परिसर में इस तरह की वारदात को अंजाम देने का मतलब यही है कि हम सब सुरक्षित नहीं हंै। बनारस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट परिसर में चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था होना बेहद जरुरी है। इसके लिए सिर्फ प्रशासन ही नहीं शासन स्तर से ठोस कदम उठाने की जरुरत है। सिर्फ आदेश से काम नहीं चलेगा, कुछ करना भी होगा।

अरुण त्रिपाठी, पूर्व चेयरमैन, बार काउंसिल ऑफ यूपी

लॉयर्स की सुरक्षा बेहद जरुरी है। लखनऊ की इस घटना से सबक लेते हुए जितनी जल्दी हो सके, यहां सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए। यहां कुल 6 गेट हैं। एक नंबर गेट से जजेज आते हैं। इसी तरह लॉयर्स के लिए भी दो अलग गेट और बाकी मुवक्किलों के लिए हों। इससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहेगी।

अंशुमान त्रिपाठी, सीनियर एडवोकेट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट

यहां महिला अधिवक्ता भी पूरी तरह सेफ नहीं है। मेटल डिटेक्टर के होने न होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। लोग कहीं से भी कोर्ट में प्रवेश कर जाते हैं। सभी रजिस्टर्ड लॉयर्स के पास आई कार्ड हैं, वे इसे कैरी करें तो असली और नकली वकील की पहचान आसानी से हो जाएगी। यहां पुलिस बल की संख्या बढ़ाने की जरुरत है।

नूर फातिमा, सीनियर एडवोकेट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट

कोर्ट परिसर में हम सभी के लिए जिस तरह की सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए वैसी नहीं है। लखनऊ कोर्ट जैसी घटना यहां न होने पाए इसके लिए जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई है। इसमें कोर्ट के सभी गेट पर सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ परिसर में भी इसकी संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है।

शशिकांत दूबे, महामंत्री, दी सेंट्रल बार एसोसिएशन

हम लोग ऐसी व्यवस्था बनाने को लेकर प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे हर वकील निर्भय होकर अपना काम-काज कर सके। अब सभी लॉयर्स के लिए आई कार्ड लाना जरुरी किया जाएगा। इसके अलावा मुवक्किल को भी बिना आधार कार्ड के प्रवेश नहीं मिलेगा। इसी तरह फर्जी वकीलों को भी पकडऩे का अभियान तेज किया जाएगा।

राम प्रवेश सिंह, अध्यक्ष, बनारस बार एसोसिएशन

Posted By: Inextlive