एआई आधारित ब्राउजर प्लग-इन से रुकेगी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जालसाजी डार्क पैटर्न का सटीक पता लगाने के लिए लारा मॉडल को किया गया है डिजाइन


वाराणसी (ब्यूरो)अगर आप डिजिटल प्लेटफार्म पर भ्रामक कंटेंट, लगातार विज्ञापन व प्रमोशन या किसी कंपनी के लुभावने व उलझाने वाले ऑफर में उलझकर उस प्रोडक्ट को खरीदने के बाद खुद को ठगा महसूस करते हैं तो अब ऐसा नहीं हो पाएगा। डिजिटल प्लेटफार्म पर पारदर्शिता लाने और कंज्यूमर इम्पावरमेंट को बढ़ावा देने में शिक्षा जगत और सरकार के बीच तालमेल को प्रदर्शित करते हुए भ्रामक ऑनलाइन प्रचारों को खत्म करने की दिशा में आईआईटी-बीएचयू समेत अन्य संस्थानों ने कदम बढ़ाया है। इसके लिए आईआईटी-बीएचयू के सहयोग से अक्टूबर 2023 में उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा डार्क पैटर्न बस्टर हैकथॉन की शुरुआत की गई है। एप या सॉफ्टवेयर एआई आधारित समाधान विकसित करने के हैकथॉन के उद्देश्य ने आईआईटी और एनआईटी सहित 150 प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों के 500 से अधिक छात्रों को प्रेरित किया है और इसमें 150 से अधिक विषय विशेषज्ञों और निर्णायक सदस्यों को शामिल किया है।

समाधानों को डिजाइन और प्रोटोटाइप करना

आईआईटी-बीएचयू के इलेक्ट्रानिक एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डॉ। एनएस राजपूत ने बताया कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डार्क पैटर्न का सटीक पता लगाने के लिए लारा मॉडल को डिजाइन किया गया है। उन्होंने बताया कि हैकथॉन न सिर्फ डार्क पैटर्न के मुद्दे अपनी मौजूदगी बताता है बल्कि अभूतपूर्व समाधानों के विकास को भी बढ़ावा देता है। हैकथॉन का उद्देश्य इनोवेटिव ऐप या सॉफ्टवेयर-आधारित समाधानों को डिजाइन और प्रोटोटाइप करना है जैसे ब्राउजऱ एक्सटेंशन, प्लगइन्स, ऐड-ऑन, मोबाइल एप्लीकेशन आदि जो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए डार्क पैटर्न के उपयोग, प्रकार और पैमाने की त्रुटियों का पता लगा सकते हैं।

संबंधित प्लेटफार्म की मिल जाएगी जानकारी

डॉ। राजपूत की मानें तो डार्क पैटर्न बस्टर हैकथॉन में एक ऐसा डिवाइस तैयार किया गया है जो आपको इस तरह के अनचाहे और डार्क साइडल प्लेटफार्म की पूरी जानकारी दे सकता है। अक्सर देखा जाता है कि जब हम ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कुछ सर्च कर रहे होते हैं तो वहां हमें दिखाया कुछ और बेचा कुछ और जाता है। इसके साथ ही जिस प्रोडक्ट या ब्रांड को समझकर आर्डर करते हैं वो डुप्लिकेट या लोकल होता है। सबस्क्रिप्शन के नाम पर भी ग्राहकों से धोखाधड़ी, जबरदस्ती ऑफर देकर पहले सब्सक्राइब करा देते हैैं, उसके बाद जब कोई अनसब्सक्राइब कराना चाहता है तो वो होता नहीं है। इसे कहते हंै सब्सक्रिप्शसन ट्रैप। इसमें फोर्सफुली सब कुछ कराया जाता है। इन सब को रोकने के लिए वेब आधारित डिवाइस तैयार की गई है, जो आपको संबंधित प्लेटफार्म की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएगी कि आप जिस प्लेटफार्म में जो ले रहे हैं उसकी एक्चुअल वैल्यू क्या है या वो ब्लैलिस्टेड तो नहीं है।

क्या है डार्क पैटर्न

डार्क पैटर्न को किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर यूआई/यूएक्स (यूजऱ इंटरफ़ेस-यूजऱ अनुभव) इंटरैक्शन का उपयोग करके किसी भी अभ्यास या भ्रामक डिजाइन पैटर्न के रूप में परिभाषित किया गया है। यूजर्स को गुमराह करने या बरगलाने वाले प्लेटफार्म पर कंट्रोल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यूजर्स की स्वायत्तता, निर्णय लेने या पसंद को साइड कर भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार व्यवहार या उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वाले दिशानिर्देशों के तहत कई डार्क पैटर्न को जाता है.

इन प्वाइंट्स पर अलर्ट

-फॉल्स अरजेंसी

-बास्केट सिकिंग

-कंफर्म शेमिंग

-फोस्र्ड एक्शन

-सब्सक्रिप्शन ट्रैप

-इंटरफेस इंटरफ्रेनेंस

-बेट एंड स्वीच

-ड्रीप प्राजिंग

-नैगिंग

इन प्वाइंट्स पर फोकस

-सर्वर रहित आर्किटेक्चर समाधानों की मापनीयता और दक्षता को प्रदर्शित करते हुए वास्तविक समय विश्लेषण के लिए एडब्लूएस लैम्ब्डा का उपयोग.

-उपयोगकर्ताओं को डार्क पैटर्न के व्यापक स्पेक्ट्रम से बचाने के लिए टेक्स्ट और विज़ुअल विश्लेषण को एकीकृत करने वाले मॉड्यूलर समाधान.

-गोपनीयता नीतियों और भ्रामक प्रथाओं का पता लगाने के साथ यूजर्र्स के अनुकूल बातचीत के लिए मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकियों द्वारा वेब और मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ाया गया।

-ब्राउजऱ एक्सटेंशन का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और नकली समीक्षाओं और झूठी आवश्यकता से निपटना है.

यूजर्स को कैसे पता चलेगा कि यहां डार्क पैटर्न वाला सामान है। सभी में डार्क पैटर्न नहीं लगा सकते हैं। इसलिए अब हमारा एआई पैटर्न उस वेबसाइट को देखेगा और चेक करेगा। उसके बाद उसे रेड कलर से मार्क कर देगा या उसके बैकग्राउंड को रेड कर देगा, ताकि आपको पता चल जाए कि यह डार्क पैटर्न में है। साथ ही यह भी लिख देगा कि इसमें इतनी सारी परेशानियां हैैं। जीपीटी को डार्क पैटर्न के डेटा से सेट किया है। हमारा जीपीटी डार्क पैटर्न से रिलेटेड चीजों को पता करने में माहिर है। यूूजर के वेब में ये एप स्टाल हो जाने के बाद जब भी वह किसी ई-कामर्स वेबसाइट पर जाएगा तो यह तुरंत यूजर को सचेत कर देगा.

डॉएनएस राजपूत, नोडल ऑफिसर, इलेक्ट्रानिक एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, आईआईटी-बीएचयू

Posted By: Inextlive