एफआईआर में नाम बढ़ाने के लिए कोतवाली का घेराव
वाराणसी (ब्यूरो)। दिनेश अग्रहरि हत्याकांड में दूसरे दिन नया मोड़ आ गया। कोतवाली पहुंची पत्नी ज्योति ने दूसरी तहरीर दी, जिसमें हत्यारोपित के अलावा उसके पिता समेत अन्य लोगों के नाम भी एफआईआर करने की गुहार लगाई। पुलिस के मना करने पर परिजनों ने हंगामा किया और कोतवाली का घेराव किया। हालांकि, वारदात के बाद पीडि़त भाई ने अपनी तहरीर में सिर्फ आशुतोष मिश्रा को ही हत्यारोपित बनाया था। सारनाथ के पुराना पुल कोहना निवासी 35 वर्षीय कबाड़ कारोबारी दिनेश अग्रहरि की काल भैरव क्षेत्र स्थित अग्निशमन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी वीरेंद्र मिश्रा के मकान में चाकू से काटकर हत्या कर दी गई थी। वह कबाड़ खरीदने के लिए आवाज लगाते फिर रहे थे कि अचानक उनको आवाज देकर कमरे में बुलाया गया था, जहां उनका खून से सना शव बरामद हुआ था.
दूसरे दिन किया चालानहत्यारोपित आशुतोष मिश्रा को कोवताली पुलिस ने वारदात के बाद गिरफ्तार कर रविवार को दूसरे दिन चालान भी कर दिया। दूसरे दिन कोतवाली पहुंची दिनेश की मां मीना देवी, पत्नी ज्योति बिलखती रहीं। कोतवाल अश्वनी चतुर्वेदी ने कहा कि उनकी ओर से ही दी तहरीर के आधार पर मुकदमा लिखा गया है। किसी के कहने पर एफआईआर में नाम बढ़ाना संभव नहीं है। अब यह विवेचना में ही संभव हो सकेगा किसकी-किसकी संलिप्तता रही.
शव घर पहुंचते ही मचा कोहराम दिनेश का शव देर शाम साढ़े सात बजे पोस्टमार्टम के बाद घर पहुंचा तो माहौल गमगीन हो उठा। पत्नी ज्योति जो मुंबई से पहुंची थी, मां मीना देवी और दूसरे स्वजन शव से लिपटकर बिलखने लगे। उस समय आस-पड़ोस के लोगों की भारी भीड़ थी। आभासी दुनिया में खोया रहता था हत्यारोपितदिनेश अग्रहरि हत्याकांड में रविवार को भी हत्या की ठोस वजह सामने नहीं आ पाई, लेकिन हत्यारोपित आशुतोष ने पुलिस को अंग्रेजी शब्द में लिखित में जो बयान दिया, उसके मुताबिक आभासी दुनिया के बाहर उसे हर कोई बेगाना लगता है। लिखित बयान का पुलिस अपने स्तर पर निहितार्थ निकाल रही है। आशुतोष ने लिखित बयान में बताया कि मुझे सिर में बेइंतहा दर्द होता है। मैं घर वालों से भी ज्यादा बातें नहीं करता हूं। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि घर वालों को पीड़ा बताऊंगा तो दर्द और मुझे परेशान कर देगा। मैं सामान्य रहने के लिए लैपटाप और मोबाइल पर व्यस्त रहता हूं। कोतवाल अश्वनी चतुर्वेदी ने कहा कि लैपटाप और मोबाइल चेक किया गया लेकिन कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाल सका। यह जरूर है कि आशुतोष की किसी से दोस्ती नहीं है। वह कभी-कभार ही घर से निकलता था। घर वालों के सवालों का नपा-तुला या फिर हां और ना में ही जवाब देता। मेरी नजर में ऐसी समस्या मनोरोगियों को ही होती है। अभी भी हम हत्या की वजह तक नहीं पहुंच सके हैं। घटनास्थल से तथ्य जुटाए जा रहे हैं। विवेचना में ही पुलिस किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाएगी.