लगता है कि अब देव दीपावली भी दो दिन...
वाराणसी (ब्यूरो)। पिछली बार ग्रहण की वजह से देव दीपावली की तिथि बदली गई थी, लेकिन इस बार अन्य वजह सामने आई है। लगता है कि अब यह त्योहार भी दो दिन., त्योहार की तिथि को लेकर विवाद सिर्फ काशी में शुरू होता है। इससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को काफी दिक्कतें होती हैं। इस पर प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए। देव दीपावली की तिथि पर चल रहे संशय पर विराम नहीं लग पा रहा है। इसके चलते बहुत से लोगों के बनारस टूर पर संशय उत्पन्न हो गया है। विश्व प्रसिद्व देव दीपावली की तिथि पर असमंजस की स्थिति बनी है। विद्वत परिषद या घाट समितियां किसी बात पर यकीन किया जाएकाशी में देव दीपावली की तिथि को लेकर संशय खत्म। अब इस दिन बनारस में मनाया जाएगा देवताओं का महापर्व काशी के विद्वत परिषद ने लिया फैसला.
इस तरह के तमाम कमेंट के साथ काशी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली को लेकर सोशल मीडिया पर बहस जारी है। काशी की देव दीपावली अद्भुत है। इस साल तिथियों में हेरफेर के कारण देव दीपावली की तारीख को लेकर काशी विद्वत परिषद और घाट समितियां आमने सामने आ गई हैं। काशी विद्वत परिषद 26 नवम्बर को देव दीपावली को शास्त्रोक्त बता रही है तो वहीं घाट समितियां बैठक के बाद 27 नवम्बर को परम्परा के हिसाब से देव दीपावली मनाने का ऐलान कर दिया है। विद्वत परिषद के विद्वानों का कहना है कि यदि किसी को देव दीपावली की तारीख को लेकर किसी तरह का संशय है तो वो ज्योतिष केंद्र में आकर अपनी शंका दूर कर सकता है.
प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा 26 को
काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि काशी के विद्वानों ने तीन दिनों तक बैठक के बाद ये निर्णय निकाला है कि देव दीपावली का महापर्व 26 नवंबर को मनाया जाएगा। इसके पीछे काशी विद्वत परिषद का तर्क है कि प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा 26 नवंबर को ही है और इसी काल में भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षक का वध किया था। इसकी खुशी में सभी देवी देवताओं ने धरती लोक पर आकर दीप जलाया था और देव दीपावली मनाई थी। हालांकि स्नान ध्यान की पूर्णिमा 27 नवम्बर को ही मनाई जाएगी, लेकिन देव दीपवाली का उत्सव 26 नवम्बर को ही शास्त्रोक्त है। हालांकि प्रशासन ने अभी तक किसी भी तिथि को मंजूरी नहीं दी है। प्रशासन का कहना है कि बहुत जल्द ही देव दीपावली की तिथि को लेकर निर्णय लिया जाएगा.