काशी का मोह बुलाता है और ट्रैफिक डराता है
वाराणसी (ब्यूरो)। श्री काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता निहारने के लिए बनारस आने का बार-बार मन तो करता है, लेकिन यहां की अन कंट्रोल ट्रैफिक से डर भी लगता है। एयरपोर्ट से विश्वनाथ धाम तक जाने में छह प्वाइंट हैं, जहां पर्यटकों को अन कंट्रोल ट्रैफिक में फंसना ही पड़ता है। कचहरी, अंधरापुल, चेतगंज, बेनियाबाग, नई सड़क, गौदोलिया से पार पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। सिर्फ इसी रूट पर सफर करना मुश्किल भरा नहीं होता है, बल्कि हर रूट पर जाम का झाम रहता है। बनारस में एक से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए 20 मिनट एस्ट्रा समय लेकर चलना लोगों की नियत बन गई है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने मंगलवार को शहर में चार जगहों पर ट्रैफिक व्यवस्था की पड़ताल की, लेकिन किसी भी जगह सुकून देने वाली तस्वीर सामने नहीं आई।
40 फीसद सर्वाधिक संवेदनशीलबनारस की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था से हर किसी का सफर मुश्किल हो गया है। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद बनारस में 40 फीसद इलाके हैं, जहां हर एक-दो घंटे के अंतराल में जाम लगता है, जबकि 60 फीसद इलाकों में ही कभी-कभार जाम लगता है। जाम को लेकर कचहरी, अंधरापुल, लहुराबीर, चेतगंज, बेनियाबाग, नई सड़क, गौदोलिया, चौकाघाट, डाफी, लंका, सुंदरपुर, सामनेघाट, पांडेयपुर, कमच्छा, कैंट, भोजूबीर, नरिया, गिलट बाजार, अर्दली बाजार, लहरतारा, मैदागिन, सिटी स्टेशन, पीलीकोठी, मंडुआडीह सर्वाधिक संवेदनशील इलाके हैं.
लाइव -1 लहरतारा पड़ताल के दौरान दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम करीब 11 बजे लहरतारा चौराहे से कैंट की ओर आ रही थी। इसी बीच उद्योग कार्यालय से लेकर कैंसर अस्पताल तक भीषण जाम लगा था। लहरतारा आरओबी पर चार बसें चलने से टै्रफिक जाम हो गया। लहरतारा चौराहे से कैंट पहुंचने में मात्र पाच मिनट लगता है, लेकिन जाम की वजह से करीब 20 मिनट लग गया। लाइव -2 चौकाघाट कैंट से होकर टीम चौकाघाट पहुंची, जहां टीम ने पांडेयपुर जाने का प्रयास किया। टीम को सबसे पहले चौकाघाट पुल पर जाम मिला। यहां करीब चार मिनट जाम से जुझना पड़ा। इसके बाद टीम हुकुलगंज से पांडेयपुर जा रही थी तो चंद्रा टावर से लेकर तुलसी निकेतन तक जाम की स्थिति मिली। चौकाघाट से पांडेयपुर पहुंचने में 15 मिनट लगा गया. लाइव -3 अंधरापुलनदेसर से तेलियाबाग जाना दिन-ब-दिन मुश्किल भरा होता जा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम दोपहर डेढ़ बजे अंधरापुल पहुंची तो भीषण जाम मिला। नदेसर चौराहे से अंधरापुल पार करने में करीब 15 मिनट लग गया। जाम में कई स्कूली बच्चे भी अपने पैरेंट्स के साथ वाहन पर बैठ थे, जो धूप से परेशान दिख रहे थे।
मैं अपने परिवार के साथ पांडेयपुर में रहती हूं। यदा-कदा दूसरे छोर पर बीएचयू जाना पड़ता है तो हिम्मत गंवारा नहीं देता। हर रास्ते पर भीषण जाम ही जाम नजर आता है। कई मर्तबा ऐसी भी स्थिति आती है जब एक जगह से दूसरी जगह जाना आपकी जिंदगी जहन्नुम बना सकता है. डाली गुप्ता फिल्ड वर्क होने के कारण अक्सर बाइक से इधर-उधर जाना होता है। मैदागिन, चौक, गोदौलिया, रथयात्रा से लगायत लंका तक शहर के बीचों-बीच से गुजरना पड़ता है। एक तरफ का रास्ता तय करने में कई बार घंटे-दो घंटे लग जाते हैं, जबकि पांडेयपुर से बीएचयू का फासला मुश्किल से 10 किमी से ज्यादा नहीं है. सौरभ राजपूत अराजक ई-रिक्शा और आटो वाले कब, कहां जाम लगा दें, कहना मुश्किल है। ट्रैफिक पुलिस जाम की इतनी अभ्यस्त हो गई है कि वह चौराहों पर खामोश बैठी रहती है। ट्रैफिक संचालन कर रहे जवानों को देखकर लगता है कि इस शहर को इंसान नहीं, कोई तीसरी शक्ति चला रही है. डॉ। सुनील कुमारवह शहर स्मार्ट माना जाता है, जहां ट्रैफिक व्यवस्था स्मूथ हो, लेकिन यहां ट्रैफिक जाम एक जिद्दी नासूर की तरह है। ऐसा नासूर दुनिया के शायद ही किस शहर में हो? यहां हर वाहन चलाने वाले का एक ही दर्द हैजाम और भीषण जाम.
संतोष यादव कुछ जगहों पर जाम की समस्या है, लेकिन पहले से काफी बदलाव भी है। टै्रफिक स्मूथ करने के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है। शहर में जाम वाले प्वाइंट का अध्ययन भी कर रही है। आने वाले समय में जबर्दस्त बदलाव दिखेगा. दिनेश पुरी, एडीसीपी ट्रैफिक