हर क्षेत्र में अव्वल काशी की बेटियां
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर स्थित नाटीईमली की वेदिका लढ्ढा का सपना है कि वह भी जेवलिन थ्रो में नीरज कुमार की तरह गोल्ड जीते। नेशनल तक खेलने वाली वेदिका स्टेट चैंपियन रह चुकी है। पिता अमित लढ्ढा और मां प्रेमा लढ्ढा ने बताया कि वेदिका को बचपन से ही खेलों का शौक रहा है। वेदिका ने कहा कि स्कूल में जेवलिन थ्रो से लगाव बढ़ा। तब टीचर शिवानंद और माधुरी ने प्रोत्साहित किया। उन्हीं के प्रोत्साहन से नेशनल तक पहुंची।
डेढ़ साल की उम्र से थिरकने लगी थी सिद्धी
शहर चौक की सिद्धी पाठक कथक नृत्य करती है। वह कथक में नेशनल गोल्ड जीत चुकी है। महज आठ साल की उम्र में ही सिद्धी ने वाराणसी को गौरवान्वित होने का मौका दिया। सिद्धी लखनऊ, मेरठ और आगरा जैसे शहरों में छाप छोड़ चुकी है। टीचर अंकिता जेटली ने बताया कि डेढ़ साल की उम्र से ही प्रशिक्षण देना शुरू किया था। अब वाराणसी को कथक में रिप्रजेंट कर रही है।
दूसरों को देख मेडलिस्ट बनी विदुशी
पढ़ाई के साथ खेल जीवन का अहम हिस्सा होता है। महमूरगंज की विदुुशी धानुका ने सातवां डिस्ट्रीक्ट रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप मेें ब्रांज मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई है। पिता गौरी धानुका ने बताया कि विदुशी अभी सिर्फ 14 साल की है और इसी क्षेत्र में करियर बनाना चाहती है। उसे पूरे परिवार का सपोर्ट भी है। विदुशी ने बताया कि जब सात साल की थी तो बिल्डिंग के बच्चों को स्केट करते हुए देख, इसे अपना सपना बना लिया। देश का प्रतिनिधित्व उसका सपना है।
सोनम को जानवरों से विशेष लगाव
हड़हा सराय की सोनम जानवरों का दर्द नहीं देख पाती है। वह पिछले चार साल से निरंतर वाराणसी की सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की सेवा करती है। पिता शोभन चंद्रवंशी और मां शंकुतला जो पॉकेट मनी देती हैं, उसे वह जानवरों की सेवा में खर्च कर देती है। इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित भी किया है।
14 साल की दृष्टि ने जीता ब्लू बेल्ट
बड़ी पियरी की दृष्टि श्रीवास्तव ने महज 14 साल की उम्र में ताइक्वांडो में ब्लू बेल्ट हासिल कर लिया है। दृष्टि बताती है कि समाज में सुरक्षा को लेकर लड़कियों को भी आत्मनिर्भर होना चाहिए। मां रूपाली श्रीवास्तव ने बताया दृष्टि ने डिस्ट्रीक्ट लेवल पर ब्रांज मेडल जीतकर स्कूल का नाम रोशन करने के साथ खुद की एक पहचान बनाई है।
वर्षा ने रोल बॉल में जीते कई अवार्ड
बीएलडब्ल्यू निवासी वर्षा ने रोल गेम में कई एवार्ड जीते हैं। मां भावना बताती हैं कि वर्षा 10 साल की उम्र से ही रोल बॉल खेल रही है। उसने जम्मू और जयपुर में प्रदेश की तरफ से खेलते हुए सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते हैं। वर्षा ने कहा कि अगर देश में इन खेलों को बढ़ावा मिले तो हम भी देश का नाम रोशन करने का माद्दा रखते हैं।
रागिनी ने अंग्रेजी में किया स्कूल टॉप
तिलैयाबगी की रागिनी मिश्रा ने बसंता कॉलेज के अंग्रेजी भाषा मेंं टॉप रैंक पाई थी। पिता रंजन और मां रचना ने बताया कि रागिनी बचपन से ही मेधावी छात्रों की सूची में रही है। रागिनी ने कहा कि वह इंग्लिश से रिसर्च कर लोकल लैंग्वेज के राइटर्स की बुक का अनुवाद करना चाहती है।
बैंक बनना है नैंसी का सपना
बैंक की बड़ी अधिकारी बनना है। इसलिए दिन-रात स्टडी में ध्यान लगाती हूं। यह कहना है स्कूलिंग लाइफ में हमेशा टॉप थ्री में रहने वाली नैंसी का। पिता विजय और मां ज्योति बताती हैं कि नैंसी को बचपन से ही पढऩे का शौक रहा है, इसलिए उसकी स्टडी से कभी कंप्रोमाइज नहीं किया।