कांवरियों से बम-बम होने लगी देवाधिदेव को अतिशय प्रिय काशी
वाराणसी (ब्यूरो)। शिवत्व और शुभता से भरा स्तुत्य सावन का आगमन कल यानी मंगलवार को होगा। महीने भर आस्था के उफान संग गंगा स्नान, महादेव का ध्यान और कांवरियों की जुटान होगी। कामनाओं और मनौतियों की अर्जी शिवालयों में लगाई जाएगी और हर-हर महादेव व बम-बम गुंजायमान होती रहेगी। सावन शुरू होने से पहले ही काशी में कांवरियों का जत्था दिखने लगा.
जत्थे ने किया स्नान-ध्यान रविवार को बाहर से आये जत्थे ने गंगा स्नान कर बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन-पूजन व अभिषेक किया। कांवर यात्रा की शुरुआत के पूर्व फूल-माला के साथ ही घंटी और घुंघरू से सजे दोनों डंडे के दोनों किनारों पर वैदिक अनुष्ठान के साथ गंगाजल या प्रमुख नदियों का जल पात्र में भरा जाता है। धूप-दीप नैवेद्य की खुशबू के साथ बोल बम का नारा लगाते कांवड़ लेकर जाने और जलाभिषेक की कामना आस्थावानों में होती है. शिवलिंग पर जलाभिषेकपौराणिक मान्यता है कि समुद्रमंथन में विष निकला तो जनहित के लिए शिव ने उस विष का पान किया था। इससे उनका कंठ नीला पड़ गया और कहते हैं कि इसी विष के प्रकोप को कम करने की मान्यता के अनुसार ही उसे ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक की धार्मिक मान्यता आज भी जारी है.
यम-नियम व संयम अनिवार्ययम-नियम और संयम के साथ परंपराओं का निर्वहन सभी कांवरियों के लिए अनिवार्य होता है। डाक बम, बोल बम और ताड़क बम कांवरियों की पहचान उनकी धार्मिक प्रक्रियाओं के आधार पर आसानी से पहचानी जा सकती है। शुद्धता का ख्याल रखते हुए यात्रा की जाती है जहां पर शरीर से त्याज्य पदार्थों को निकालने के बाद स्नान करना होता है। तेल, शीशा और कंघी तक का त्याग करना पड़ता है। इसके साथ ही आपस में बोलचाल और बुलाने के लिए नाम के साथ बम शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। काशी में तरह-तरह के कांवरिये आते हैं.
दशाश्वमेध घाट पर कांवरियों की भीड़ कांवरियों का जत्था आते ही सीधे दशाश्वमेध घाट पहुंचा और वहीं पर डेरा-डंडा डालकर बैठ गए। बारी-बारी से स्नान-ध्यान करने के बाद पात्र में गंगा जल भरने के बाद बाबा विश्वनाथ धाम के लिए निकल पड़े। बाबा को जलाभिषेक करने के बाद परिसर में विराजमान अन्य शिवलिंग पर भी उन्होंने जल चढ़ाया.