सुबह से रात तक संयोग ही संयोग
-इस बार अक्षय तृतीया पर्व पर दिन-रात कर सकते हैं शुभ मुहुर्त में खरीदारी
-गंगा स्नान से दान-पुण्य तक के लिए है शुभ संयोग अक्षय तृतीया पर खरीदारी करने को लोग आतुर हैं। ज्वेलरी, प्रापर्टी सहित अन्य खरीदारी करने की मान्यताओं पर जोर दे रहे हैं। हालांकि कुछ भी खरीदने से पहले शुभ मुहुर्त भी देख रहे हैं। शुभ घड़ी में शुभ काम करने की मंशा पाले लोगों के लिए इस बार शुभ संयोग है। अक्षय तृतीया बेहद शुभ संयोग संजोए है। इस दिन सिद्धि योग होने से स्नान, व्रत, दान और पुण्य का कार्य फलकारी होगा। 18 अप्रैल को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया भोर 4.47 बजे लग रही है जो 19 अप्रैल की भोर 3.03 बजे तक रहेगी। यानि कि पूरे दिन-रात खरीदारी से लेकर दान-पुण्य का काम फलदायी साबित होगा। अक्षय हो जाता है दान-पुण्यअक्षय तृतीया के दिन स्नान, दान व होम जप आदि सभी कर्मो का फल अक्षय होता है। अक्षय तृतीया बड़ी पवित्र व महान फल देने वाली तिथि है। धर्मशास्त्रों में भी अक्षय तृतीया सनातनियों का प्रधान पर्व बताया गया है। इस दिन किसी भी क्षेत्र में सफलता की आशा से व्रत के अतिरिक्त दान में जलकुंभ, शर्करा समेत व्यंजनादि पुरोहित या पात्र जरूरतमंद को देना चाहिए। वर्तमान में लोक मान्यता के अनुसार इस तिथि पर गोल्ड खरीदने का प्रचलन बढ़ा है। कहा जाता है कि इस दिन कोई शुभ कार्य, दान के साथ सोना आदि खरीदने पर वह भी अक्षय हो जाता है।
ऐसे करें पूजन-अर्चन इस तिथि पर व्रतियों को प्रात: स्नान कर हाथ में जल अक्षत लेकर श्रीहरि के पितृर्थ संकल्प लेना चाहिए। भगवान का यथा विधि पंचोपचार पूजन कर पंचामृत से स्नान, सुंगधित फूल-माला अर्पित करना चाहिए। नैवेद्य में नर नारायण के निमित्त सेंके हुए जौ व गेहूं का सत्तू, परशुराम के निमित्त कोमल ककड़ी व हयग्रीव के निमित्त भीगे चने की दाल अर्पित कर उपवास-व्रत करना चाहिए। सनातन धर्म में वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस दिन स्नान-दान व व्रत का विशेष महत्व होता है। काशी में गंगा स्नान के साथ त्रिलोचन महादेव की यात्रा, पूजन-वंदन का महत्व है। पं। ऋषि द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य