अपराधियों के रौब-दाब देख तो नहीं बदल गया जीवा हत्याकांड का आरोपित विजय
वाराणसी (ब्यूरो)। लखनऊ हाईकोर्ट में बुधवार को अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को मौत के घाट उतारकर सुल्तानपुर गांव का विजय यादव अचानक सुर्खियों में आ गया है। पुलिस का शिकंजा कसने की भय से रिश्तेदारों, परिचितों व ग्रामीणों ने विजय के परिवार से दूरी बना ली है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वाणिज्य स्नातक विजय यादव के रंग-ढंग अपराधियों के रौब-दाब देखने के बाद तो नहीं बदल गए।
वहीं हुआ होगा शामिलविजय की ननिहाल केराकत के ही बेलांव के पास कटहरी गांव में है। विजय अक्सर ननिहाल आता-जाता था। वहीं पर सतना (मध्य प्रदेश) मुनीम हत्या-लूटकांड में शामिल सुभाष यादव व गोरख यादव का गैंग भी सक्रिय रहता है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं आते-जाते अपराधियों का दबदबा देखकर तो विजय के मन में जरायम की दुनिया में कदम रखने का ख्याल तो नहीं आ गया। कयास लगाए जा रहे हैं कि वहीं वह किसी गिरोह में शामिल हो गया होगा.
करता था बड़े-बड़े दावेआसपास के लोगों का कहना है कि अक्सर विजय कहता था कि वह गांव में सबसे अच्छा घर बनवाएगा। लग्जरी कार से चलेगा। लोग उससे डरेंगे। विजय यादव से पुलिस की पूछताछ पूरी होने के बाद ही साफ हो पाएगा कि किसके कहने पर उसने इस थर्रा देने वाली घटना को अंजाम दिया। विजय के इस कदम से उसके स्वजन की जान सांसत में पड़ गई है। मीडिया व पुलिस अधिकारियों के घटना के बाद से ही किए जा रहे प्रश्नों से आजिज हो अब वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सिर्फ विजय यादव को कोस रहे हैं कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया।
पिता को लगा सदमा विजय यादव के पिता श्यामा यादव सदमे की हालत में हैं। श्यामा यादव परिवार के अन्य सदस्य कह रहे हैं कि न जाने किसकी सोहबत में आकर वह बिगड़ गया। उसके घर पूछताछ के लिए पहुंचने वाले पुलिस अधिकारी अपने स्तर से अधिक से अधिक विवरण जुटा रहे हैं। वह भी कह रहे हैं कि जब तक पूछताछ पूरी नहीं हो पाती तब तक यह कहना मुश्किल है कि विजय यादव किसी गिरोह में शामिल था, या किसी के इशारे पर उसने इतना बड़ा कदम उठा लिया. घर का नाम है आनंदमुख्तार अंसारी गिरोह के प्रमुख शूटरों में से एक रहे दुर्दांत संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही पूर्वांचल में भी खासा आतंक था। उसकी हत्या के बाद जरायम की काली दुनिया में चर्चित विजय यादव को घर के लोग आनंद के नाम से बुलाते हैं। बाल्यावस्था में जब पहली बार स्कूल गया तो यही नाम लिखा भी गया। कक्षा दो में जाने पर उसने खुद ही पिता से जिद कर अपना नाम विजय लिखवा दिया था। अब भी घर वाले उसे आनंद नाम से ही पुकारते हैं, जबकि गांव के लोग विजय के नाम से ही उसे जानते हैं।
सुरक्षा को लेकर चिंतित विजय यादव के स्वजन परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। घटना के बाद घर पर मीडिया कर्मी या पुलिस बताते हुए पहुंचने वाले विजय यादव से संबंधित सवाल ही कर रहे हैं। एक ही बात बार-बार दोहराते हुए स्वजन थक चुके हैं। पिता श्यामा यादव कहते हैं कि विजय की करतूत से उनका सीधा-सादा परिवार अपराधियों के निशाने पर आ गया है। कब कौन अनजान आकर हमला कर दे। सीओ केराकत गौरव शर्मा ने कहा कि विजय के परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जैसी कोई बात सामने नहीं आई। फिर भी एहतियात के तौर पर चौकी इंचार्ज विनोद कुमार अंचल मय फोर्स गांव में बराबर चक्रमण कर रहे हैं। उच्चाधिकारी भी पैनी नजर गड़ाए हैं.