लोलार्क षष्ठी पर लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ गजब की उमड़ी. कुंड को जाने वाला हर मार्ग श्रद्धालुओं की कतारों से पट गया है. प्रत्येक मार्ग पर करीब डेढ़ किमी लंबी कतार लगी हैं. लोलार्क षष्ठी पर सोमवार को होने वाले स्नान का क्रम रविवार आधी रात के बाद लोलार्केश्वर महादेव की आरती के बाद से ही आरंभ हो गया है.

वाराणसी (ब्यूरो)। लोलार्क षष्ठी पर लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ गजब की उमड़ी। कुंड को जाने वाला हर मार्ग श्रद्धालुओं की कतारों से पट गया है। प्रत्येक मार्ग पर करीब डेढ़ किमी लंबी कतार लगी हैं। लोलार्क षष्ठी पर सोमवार को होने वाले स्नान का क्रम रविवार आधी रात के बाद लोलार्केश्वर महादेव की आरती के बाद से ही आरंभ हो गया है। संतान प्राप्ति की कामना लेकर देश के विभिन्न भागों से पहुंचे नि:संतान दंपती कुंड में Óकामना की डुबकीÓ लगा लोलार्केश्वर महादेव व भगवान सूर्य की आराधना कर प्रसाद ग्रहण कर रहे तो वहीं कुंड में अपने वस्त्र, एक फल व एक सब्जी छोड़ आजीवन उनके त्याग का संकल्प ले रहे।

कुंड जाने वाले मार्ग पर बैरिकेडिंग

कुंड को जाने वाले मार्गों को बैरिकेट कर दिया गया है। बैरीकेङ्क्षटग के भीतर रविवार की दोपहर से ही श्रद्धालु कतार में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में बैठ गए थे। भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को लोलार्क षष्ठी की मान्यता है। इस दिन भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में स्नान कर लोलार्केश्वर महादेव के दर्शन पूजन का विधान है। मान्यता है कि सूर्य देव द्वारा भगवान शंकर की आराधना के बाद इस लोलार्क कुंड और लोलार्केश्वर महादेव मंदिर स्थापना हुई थी।

भगवान की सूर्य की कृपा

इस दिन लोलार्क कुंड में स्नान-दान, फल त्याग करने के संकल्प के साथ ही लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन करने वाले व्रतियों पर भगवान सूर्य व महादेव की कृपा से बरसती है और उनकी सूनी गोद भर जाती है। काशी खंड में वर्णन है कि कुंड स्थित मंदिर में माता पार्वती ने शिवङ्क्षलग की पूजा की थी।

कर रहे हरिवंश पुराण का वाचन

ख्यात ज्योतिर्विद संगीता गौड़ का कहना है कि ज्योतिषीय ²ष्टि से 12 भाव में से पंचम पुत्र कामना के लिए प्रमुख माना जाता है। काल पुरुष की पांचवीं राशि ङ्क्षसह का इस भाव पर पूर्ण प्रभाव होता है जिसका स्वामी ग्रहराज भगवान सूर्य को माना गया है इसीलिए सनातन धर्म में पुत्र कामना के लिए भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए उनका व्रत विशेष फलदायी होता है। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए हरिवंश पुराण का वाचन या श्रवण किया जाता है। इससे सारे कष्ट दूर हो जाते है। लोलार्क षष्ठी के दिन कुंड में स्नान करने से भी तरह के रोग दूर हो जाते है। यही वजह है कि हजारों लोग कुंड में स्नान करने के लिए आते है।

Posted By: Inextlive