प्लास्टिक मुक्त जोन में प्लास्टिक पात्र से जलाभिषेक
वाराणसी (ब्यूरो)। प्लास्टिक मुक्त जोन में हर हाथ में प्लास्टिक का पात्र। सावन के पहले सोमवार को पात्र में जल लिए बाबा का जलाभिषेक करने की होड़ मची रही। न किसी ने टोका, न किसी ने रोका, बैरिकेडिंग में खड़े होकर श्रद्धालु और कांवरिए बाबा के दरबार में पग-पग बढ़ते रहे। कोई कंधे पर प्लास्टिक का कांवड़ लिए चल रहा था तो कोई हाथ में पात्र लिए आगे बढ़ रहा था। सावन माह में श्रद्धालु भी खूब ठगाए। पचास की माला के लिए पांच सौ तक वसूला गया.
आदेश का असर नहींश्री काशी विश्वनाथ धाम को प्लास्टिक जोन फ्री बनाया गया है ताकि कोई श्रद्धालु प्लास्टिक का सामान लेकर अंदर न जाने पाए। लेकिन सावन के पहले ही सोमवार को प्रशासन का आदेश बेअसर हो गया। हर हाथ प्लास्टिक पात्र लिए बाबा के दरबार में नजर आया। किसी पात्र में दूध भरा था तो किसी में जल। सभी का एक ही उद्देश्य बाबा का जलाभिषेक करना। कई ने तो प्लास्टिक के लोटा से बाबा को जल चढ़ाया और लोटा वहीं फेंक दिया.
माला-फूल में लूट-खसोटसावन के पहले सोमवार को विश्वनाथ मंदिर के सामने लगी फूल-माला की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ रही। सभी दुकानदारों ने चार से पांच गुना अधिक दाम पर माला-फूल बेचकर ग्राहकों को ठगा। मदार माला अन्य जगह 20 रुपए में मिल रही थी, जबकि मंदिर के सामने 30 से 40 रुपए, नीलकण्ठ माला तो दो से ढाई सौ रुपए में बेची गई.
पूजन सामग्री छह सौ रुपए आम दिनों में एक टोकरी में पूजन सामाग्री जहां 50 से 100 रुपए में मिलती थी, सोमवार को पांच से छह सौ रुपये तक में बेची गई। टोकरी में एक माला और प्रसाद शामिल था। लॉकर में मोबाइल और पर्स रखने के लिए अलग से पैसा लिया गया। इसके लिए 50 रुपए ग्राहकों से वसूला गया। हालांकि मंदिर परिसर में लॉकर की सुविधा थी, लेकिन कई श्रद्धालुओं को इसके बारे में जानकारी नहीं थी, इसका फायदा दुकानदारों ने उठाया. ह्वीलचेयर के लिए वसूली बुजुर्ग व विकलांग श्रद्धालुओं के लिए मंदिर प्रशासन की तरफ से ह्वीलचेयर की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन इसका फायदा कई प्राइवेट संगठनों ने उठाया। उन्होंने अपनी तरफ से ह्वीलचेयर की व्यवस्था मैदागिन, गोदौलिया, गिरजाघर पर की। दूर-दराज से आए बुजुर्ग दंपतियों से मनमाना किराया वसूला। गोदौलिया से मंदिर तक ले जाने के लिए किसी ने आठ तो किसी ने सात सौ रुपये लिए. गिरजाघर चौराहे पर ह्वील चेयरप्राइवेट संस्थाओं के लिए मुनाफे का धंधा इतना चंगा हो गया है कि गिरजाघर चौराहे पर इनके दर्जनभर से अधिक आदमी सिर्फ ह्वीलचेयर ही लेकर खड़े रहते हैं। गिरजाघर से मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालुओं से आठ से नौ सौ रुपये तक वसूला गया। जबकि मंदिर प्रशासन की ओर गिरजाघर से मंदिर तक ले जाने का किराया चार सौ तथा दशाश्वमेध से तीन सौ रुपए है।
बुजुर्ग व विकलांगों के लिए नि:शुल्क ई रिक्शा की व्यवस्था की गयी है। ह्वील चेयर का किराया उचित रखा गया है। प्राइवेट संस्थान वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। ऐसे लोगों के साथ न जाकर मंदिर की तरफ से जो व्यवस्था की गयी है उसका लाभ उठाएं. शंभूशरण, एसडीएम, मंदिर प्रशासन