Varanasi news: नमो घाट पर दुकानों के अलॉटमेंट में गड़बड़झाला, किराया लिया फुल, डाक्यूमेंट्स नहीं दिए हाफ
वाराणसी (ब्यूरो)। नमो घाट पर जितनी भी दुकानें स्मार्ट सिटी ने दुकानदारों को आवंटित की हैं, अमूमन सभी दुकानदारों के साथ समस्या है। किसी के पास न तो दुकान के किराया से संबंधित रसीद है और न ही अनुबंध से संंबंधित कोई दस्तावेज। सिर्फ हर महीने किराया वसूला जा रहा है। नमो घाट से कितना रेवेन्यू आ रहा है, इसकी जानकारी जब नगर आयुक्त ने स्मार्ट सिटी के अफसरों से उपलब्ध कराने को कहा तो मौके पर कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए। यहां तक की नमो घाट पर कब से दुकानें संचालित हैं? इससे संबंधित भी कोई कागजात नहीं दे पाए.
केस-1
पवन कुमार डेढ़ साल से नमो घाट पर स्मार्ट सिटी की तरफ से आवंटित दुकान चला रहे हैं, लेकिन आज तक इनको कोई न ही कोई डॉक्यूमेंट्स मिला और न ही रसीद। स्मार्ट सिटी ने पहले 1.40 लाख रुपए लिए थे, फिर दुकान आवंटित की थी। लेकिन आज तक उनको दुकान आवंटन से संबंधित कोई भी दस्तावेज नहीं दिया गया। दुकान के किराये के रूप में हर महीने 20 हजार रुपए स्मार्ट सिटी अधिकारी को दिए जाते हैं।
केस 2
शहनवाज भी दुकान आवंटित की रसीदें न मिलने से परेशान हैैं। नगर निगम अधिकारी के औचक निरीक्षण के समय दुकान से संबंधित कोई दस्तावेज न होने से वह किसी को कुछ दिखा नहीं पाते हैं। हर महीने उनसे किराये के नाम पर 20 हजार रुपए लिया जाता है। दुकान आवंटन के समय सिक्योरिटी के नाम पर 1.80 लाख रुपए दिए थे। आज जब दुकानों के आवंटन से संबंधित जांच हो रही है तो रसीद और अन्य दस्तावेज के बारे में पूछा जा रहा है.
नमो घाट पर दुकानों के अलॉटमेंट में हुए गोलमाल की ये बानगी भर है। रेवेन्यू में इस तरह के गोलमाल का मामला आने पर नगर आयुक्त ने सख्त कदम उठाया है.
जांच समिति का गठन
नमो घाट में कब से दुकानें आवंटित हैं, कितने दुकानदार हैं, कितनी सिक्योरिटी मनी ली गयी है और कितना किराया लिया जा रहा है। यह सब जांच करने के लिए नगर आयुक्त ने जांच कमेटी का गठन किया। इसकी जिम्मेदारी आदमपुर जोन के अधिकारी मनोज सिंह को सौपी है। जांच कमेटी ने नमो घाट जाकर जांच करना भी शुरू कर दिया है। दुकानदारों ने जांच कमेटी को मनमाना किराया लेने की शिकायत भी की है। नगर आयुक्त ने स्मार्ट सिटी समेत कार्यदायी संस्था के खिलाफ जल्द से जल्द जांच कर दो दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
सादे कागज पर लिखा जाता किराया
जोनल अधिकारी मनोज सिंह ने बताया, नमो घाट से दुकानदारों से लिया गया किराया परियोजना अधिकारी द्वारा सादे कागज पर लिखा जाता है। परियोजना अधिकारी ने ही सभी दुकानों का आवंटन किया है। दुकानों का किराया लिखने के लिए मैनुअली रजिस्टर बनाया गया है। रजिस्टर के सादे पन्ने पर दुकानदारों का किराया और बिजली का बिल लिखा जाता है। जांच समिति के अधिकारियों द्वारा पूछे जाने पर दुकानदारों ने बताया कि कुछ दुकानें 2023 व कुछ दुकानें 2024 में आवंटित की गयी हंै, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि दुकानें 2023 के पहले से ही संचालित हैं। इसके पहले का रेवेन्यू किसके खाते में गया.
2 साल के ब्योरे में गोलमाल
नगर आयुक्त ने स्मार्ट सिटी के प्रभारी से नमो घाट से कितना रेवेन्यू आ रहा है इससे संबंधित जानकारी मांगी तो अधिकारी कोई भी दस्तावेज नहीं दे पाए। नमो घाट के दुकानों के आवंटन में इस तरह की गड़बड़ी मिलने पर सभी को जांच के कठघरे में खड़ा कर दिया.
पार्षद ने लगाए आरोप
पार्षद बबलू शाह का आरोप है कि समिति के पदाधिकारियों के जांच के समय परियोजना अधिकारी क्यों वहां पर मौजूद थे। इससे दुकानदारों में दहशत का माहौल था। अपनी बातों को जांच समिति के पदाधिकारियों के समक्ष प्रमुखता से नहीं रख पाए। परियोजना अधिकारी के बिना मौजूदगी में फिर से जांच होनी चाहिए। नगर निगम के पीआरओ संदीप श्रीवास्तव ने कहा, नमो घाट पर दुकानों के आवंटन में गड़बड़ी हुई है। इसके लिए जांच समिति का गठन किया गया है। समिति के पदाधिकारी जांच में जुटे हैं.
कहां कितनी दुकानें
20 दुकान नमो घाट पर
15 दुकान भैंसासुर घाट
नमो घाट पर दुकानों के आवंटन और किराया में गड़बड़ी से संंबंधित जांच को पूरा कर लिया गया है। 28 को नगर आयुक्त के समक्ष जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
मनोज सिंह, जोनल अधिकारी, नगर निगम