Varanasi news: बनारस में आग से 'खेल' रहे अस्पताल
वाराणसी (ब्यूरो)। लखनऊ के पीजीआई में आग की घटना होने के बाद वाराणसी में फायर डिपार्टमेंट अलर्ट मोड में है। अभियान चलाकर अब तक डिपार्टमेंट ने 100 हॉस्पिटल्स में जांच-पड़ताल की। इसमें चौंकाने वाला सच सामने आया है। 100 में से 50 परसेंट हास्पिटलों में आग से सेफ्टी के उपाय फुस्स नजर आए। यानि किसी भी हास्पिटल ने फायर डिपार्टमेंट के मानक को पूरा नहीं किया था। कहीं सीज फायर था तो कई जगह वह भी नहीं। इस पर डिपार्टमेंट ने नोटिस जारी कर वार्निंग दी है.
शहर में हास्पिटल 900
शहर में प्राइवेट हास्पिटलों की संख्या 900 के आसपास है। इन हास्पिटलों में फायर सेफ्टी के पूरा इंतजाम नहीं है। अगर आग लग जाए तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है, क्योंकि कई संचालकों ने हास्पिटल का इस तरह से निर्माण किया है कि चारों तरफ शीशे से पैक कर दिया है। ऐसे में अगर आग लगती है तो मरीज के साथ परिजन के साथ भी हादसा हो सकता है.
बिजली सेफ्टी के इंतजाम नहीं
चीफ फायर आफिसर आनंद सिंह राजपूत का कहना है कि कई हास्पिटल में आग से बचाव के बहुत कम उपकरण हैं। हास्पिटलों में जो बिजली के वायर लगाए गए हैं, काफी पुराने हैं। इसके अलावा जो स्वीच बोर्ड भी लगाए हैं, वह भी ठीक नहीं है। आन-आफ करते समय कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस लापरवाही पर शहर के 40 हास्पिटलों को स्वीच और वायर बदलने का निर्देश दिया गया है और बिजली विभाग से सर्वे कराने को भी कहा है.
अलार्म सिस्टम खराब
फायर विभाग के अभियान में दर्जनभर ऐसे हास्पिटल मिले, जिनके अलार्म सिस्टम खराब थे। इसके अलावा कई हास्पिटलों में अलार्म सिस्टम ही गायब थे। ऐसे में आग लगने पर आवाज भी नहीं आती। आग लगने पर हादसा हो सकता है। ऐसे हास्पिटलों को फायर विभाग ने फायर अलार्म लगाने के लिए चेतावनी दी है.
फायर होज भी खराब
शहर के बड़े हास्पिटल फायर सेफ्टी का कितना ख्याल रखते हैं, यह फायर विभाग के अभियान में पता चल गया। कई बड़े हास्पिटल के फायर होज, ओपीडी क्लिनिंग, फायर पंप, फायर हाइडेंड, फायर स्प्रिंकलर सिस्टम चल ही नहीं रहे थे.
इंतजाम भी नाकाफी
अस्पतालों के पास अपने फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं। अस्पतालों में मरीजों, उनके परिजनों और चिकित्सीय स्टाफ आदि को मिलाकर सैकड़ों लोग हर वक्त मौजूद रहते हैं। इतने लोगों को आग से सुरक्षित बचाना काफी मुश्किल रहता है। वहीं कुछ समय के अंतराल पर मॉकड्रिल कराने का भी नियम है, मगर अस्पतालों में फायर सेफ्टी से जुड़ी मॉकड्रिल नहीं कराई जाती.
शहर के हास्पिटलों में अभियान चलाकर फायर सेफ्टी के इंतजाम देखे जा रहे हैं। इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
आनंद सिंह राजपूत, चीफ फायर आफिसर