बढ़ रही जनसंख्या, घट रहे संसाधन
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर की आबादी बेहिसाब बढ़ रही है। साथ ही शहर की बुनियादी सुविधाओं में इजाफा हो रहा है, लेकिन आबादी के हिसाब फिट नहीं है। पीएम के संसदीय क्षेत्र में खासकर शुद्ध पेयजल, सड़क, सीवर, सफाई, आवास, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं जरूरतमंदों तक पहुंचाई भी जा रही है, लेकिन हर दिन बढ़ रही आबादी के आगे उसकी लाइन छोटी ही पड़ जा रही है। स्मार्ट सिटी, दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी के चलते तमाम विश्व स्तरीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन वह कुछ वीआईपी एरिया तक ही सीमित है। अभी भी गली-मुहल्ले और कुछ इलाकों में बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। सन 2011 में हुई जनगणना के दौरान शहर की आबादी करीब 16 लाख थी, जो पिछले 13 सालों में बढ़कर 22 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। आंकड़ों के मुताबिक शहर में हर साल करीब 50 हजार लोग बढ़ रहे हैं।
अवैध कॉलोनियों की बाढ़आबादी बढ़ी तो जनसंख्या घनत्व (पॉपुलेशन डेनिसिटी) बढ़ा। लिहाजा गली, मोहल्लों में जगहें सिकुड़ती चली गई। 2011 में शहर का जनसंख्या घनत्व 10008 वर्ग प्रति किलोमीटर था। वह 2022 में बढ़कर 12230 प्रति वर्ग किलोमीटर हो गया। इसका परिणाम रहा कि अवैध कॉलोनियों की बाढ़ आ गई, लेकिन इनमें जरूरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकीं.
इस तरह बढ़ी जनसंख्या वर्ष- जिला-शहर 2011 3676841 1597051 2022 5011536 2225220 29 पीएचसी का संचालन नगरीय इलाकों में 29 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, जो 38 प्रतिशत आबादी को कवर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक पीएचसी कम से कम 50,000 की आबादी को कवर करता है। स्वास्थ्य (प्रति लाख पर) -2011 में 2 हॉस्पिटल और 37 बेड -2022 में 2 हॉस्पिटल और 50 बेड -स्वास्थ्य सुविधाएं घटने से निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी -वाराणसी में कुल ट्यूबवेल व ओवरहेड टैंक 40 फीसदी पानी बर्बादजलकल दावा करता है कि वह बनारस के करीब 16 लाख लोगों को गंगजाल पिलाता है। शहर में पेयजल की किल्लत नहीं है। जलकल विभाग की क्षमता 323 एमडलडी की है। सर्दी के दिनों में सिर्फ 170 एमएलडी और गर्मी में 275 एमएलडी सप्लाई की जाती है। गंगा से जो पानी उठाया जाता है उसमें से करीब 40 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है। बनारसियों की प्यास बुझाने के लिए करीब 180 एमएलडी पानी ग्राउंड वाटर से निकाला जाता है। बाकी पानी गंगा से लिया जाता है। डिमांड के अनुरूप शहर में जलापूर्ति की जा रही है। कुछ इलाकों में पेयजल संकट की शिकायतें मिल रही हैं। बनारस शहर में जल विभाग के 148 ट्यूबबेल चालू हालत में हैं। मिनी पंपों की संख्या 128 है.
पेयजल - 2011 में 220 ट्यूबवेल व 18 ओवरहेड टैंक - 2022 में 240 ट्यूबवेल और 26 ओवरहेड टैंक - संसाधन बढ़े पर वाटर लॉस से प्रति व्यक्ति पेयजल उपलब्धता 103 से घटकर 92 एलपीसीडी - तमाम मोहल्लों में बूस्टर के सहारे पहुंचता है पानी - ट्रांसवरुणा एरिया में कई जगहों पर सीवरेज की प्रॉपर व्यवस्था नहीं सफाई - 2011 में निकलता था 285 एमटी कूड़ा - 2022 में निकलता है 700 एमटी कूड़ा - मौजूदा समय सात हजार सफाईकर्मी आवास - 2011 में वीडीए की कॉलोनियां 72 - 2022 में वीडीए की कॉलोनियां 160 - 200 अन्य कॉलोनियां हैं शहर में - 2011 तक अवैध कॉलोनियां 210 शिक्षा - 2011 में 28 स्टूडेंट पर एक टीचर - 2022 में 20 स्टूडेंट पर एक शिक्षक - एक लाख स्टूडेंट पर 18 प्राइमरी, 17 अपर प्राइमरी व 4 इंटर कॉलेज सड़क (प्रति लाख पर) - 2011 में 45.07 किलोमीटर सड़क - 2022 में 45 किलोमीटर सड़क - जनसंख्या बढऩे से डेली बनती है जाम की स्थिति