Varanasi news: बनारस में पेन से राहत के लिए पेशेंट को स्टेरॉयड दे रहे झोलाछाप डॉक्टर्स
वाराणसी (ब्यूरो)। ज्वाइंट पेन या दमा के मरीजों की स्टेरॉयड की आदत बेहद खतरनाक है। इससे मरीज की इम्युनिटी पॉवर कम होने पर वह दूसरी बीमारियों का भी शिकार हो जाते हैैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टर मरीज को फायदे के चक्कर में सर्वाधिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। मरीज के लिए स्टेरॉयड और दूसरी दवाओं की पहचान संभव नहीं है।
केस-1
कमच्छा निवासी राजेश कुमार पिछले एक माह से वायरल फीवर की चपेट में थे। फीवर तो ठीक हो गया लेकिन 20 दिन बीतने के बाद भी उनके शरीर में जोड़ों का दर्द नहीं जा रहा था। इसके बाद वे प्राइवेट क्लिनिक में पहुंचे, जहां डॉक्टर ने उन्हें लगातार 6 दिन तक स्टेरॉयड इंजेक्शन दिया। इसके बाद उनका दर्द खत्म हो गया.
केस-2
सोनारपुरा में रहने वाले संदीप केशरी भी पिछले करीब डेढ़ माह से बुखार और दर्द से परेशान हैं। दुर्गाकुंड सीएचसी से डॉक्टर की सलाह पर 15 दिन तक लगातार दवा ली। आराम न मिलने पर वे भी प्राइवेट डॉक्टर के पास इलाज के लिए गए। वहां भी डॉक्टर ने जब उन्हें स्टेरॉयड के इंजेक्शन का डोज दिया तो उन्हें काफी रीलिफ मिल गया.
ये तो महज दो केस हैं। इस तरह के हजारों मरीज हैं, जो लगातार दर्द और बुखार से परेशान होकर प्राइवेट और झोलाछाप डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं। उन्हें दर्द से राहत दिलाने के लिए ये डॉक्टर्स स्टेरॉयड की सलाह दे रहे हैं और मरीज ले भी रहे हैं। मगर शायद इन मरीजों को इस बात का इल्म नहीं है कि जीवनरक्षक दवा स्टेरॉयड के गलत इस्तेमाल का दुष्प्रभाव उनके शरीर पर पड़ रहा है। इन्हें दर्द से जल्द राहत तो मिल रही है मगर लेकिन उनकी हड्डियां गल रही हैं। हड्डियों के ज्वाइंट खराब हो रहे हैं.
आदत बेहद खतरनाक
एक्सपर्ट की मानें तो मरीज को बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं लेनी चाहिए। कई बार डॉक्टरों को भी जीवनरक्षक के रूप में 5-7 दिन के लिए स्टेरॉयड देनी पड़ती है, लेकिन फायदा होने पर डॉक्टर के पास फिर से नहीं पहुंचता और स्टेरॉयड को रोजाना की आदत बना लेता है। इसके स्वास्थ्य पर काफी समय बाद दुष्प्रभाव सामने आते हैं।
इम्यूनिटी पावर हो रही कम
मंडलीय अस्पताल के फिजिशियन डॉ। पीके गुप्ता कहते हैं कि स्टेरॉयड जीवनरक्षक दवा है। कभी-कभी जीवन बचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन झोलाछाप या अन्य प्रेक्टिशनर्स के हाथों गलत इस्तेमाल से इसके साइड इफेक्ट भी बेहद खतरनाक हैं। 5 से 10 दिन से अधिक समय तक इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता गड़बड़ हो जाती है.
शरीर के सभी अंगों पर साइड इफेक्ट
उनका कहना है कि स्टेरॉयड को बिना विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के बीमारी में इस्तेमाल करना जहर के समान है। इसका साइड इफेक्ट शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है। इसके हार्ट, लीवर, किडनी, मसल्स आदि हिस्सों पर दुष्प्रभाव से कई गंभीर बीमारियों हो सकती हैं, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर मरीज कई इंफेक्शन का शिकार हो जाता है। उसकी बीमारी ठीक होने के बजाय घातक रूप ले सकती है.
कोरोना में स्टेरॉयड्स से हुई थी परेशानी
बता दें कि कोरोना के दौरान भी मरीजों को राहत देने के लिए डॉक्टर्स धड़ल्ले से स्टेरॉयड दे रहे थे। दिक्कतें बढऩे के बाद केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज से संबंधित गाइडलाइंस में बदलाव करते हुुए डॉक्टर्स को मरीज को स्टेरॉयड्स देने से बचने की सलाह दी थी। इसके हैवी डोज से बहुत से मरीजों को फंगस इन्फेक्शन हुआ था और कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी। मरीजों को हाई शुगर लेवल और हार्ट संबंधी बीमारियों का सामना भी करना पड़ा था। कुछ मामलों में मरीजों को हड्डियों में तेज दर्द, चलने, उठने-बैठने और लेटने में तकलीफ होने की शिकायत भी हो रही थी.
क्या होते हैं स्टेरॉयड्स
स्टेरॉयड एक प्रकार का केमिकल होता है, जो हमारे शरीर के अंदर ही बनता है। इस केमिकल को सिंथेटिक रूप से भी तैयार किया जाता है, जिसका इस्तेमाल किसी विशेष बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा स्टेरॉयड का उपयोग पुरुषों में हार्मोन बढ़ाने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म और इम्युनिटी को दुरुस्त करने में किया जाता है.
स्टेरॉयड दवाएं मरीजों के लिए लाभकारी भी हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट इतने ज्यादा हैं कि इसे सिर्फ जीवनरक्षक के रूप में ही प्रयोग करना चाहिए। आमजन को स्टेरॉयड का पता नहीं होने से नीमहकीम इसका दुरुपयोग कर स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। मरीज डायबिटीज, ब्लड प्रेशर सहित कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
डॉ। अजय गुप्ता, वरिष्ठ फिजिशियन, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज
वर्तमान में वायरल फीवर के जो भी मरीज आ रहे हैं उनमें चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया और डायरिया के लक्षण दिख रहे हैं। लेकिन, कम ही लोगों में इसकी पुष्टि हो रही। ये दर्द 15 से 20 दिन में धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन मरीज मान नहीं रहे। स्टेरॉयड इमरजेंसी में मरीज को देना पड़ता है। इसका इस्तेमाल तुरंत रिजल्ट के चक्कर में ज्यादातर झोलाछाप ही कर रहे हैं। स्टेरॉयड लेने के दौरान मरीज को इंफेक्शन हो गया तो वे बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है.
डॉ। प्रमोद कुमार गुप्ता, फिजिशियन, मंडलीय अस्पताल
20 परसेंट बढ़ी खपत
दवा बाजार में भी स्टोरॉयड की खपत बढ़ गई है। आम दिनों में जहां इसकी खपत महज 5 परसेंट के करीब थी, वहीं अब 25 परसेंट से ज्यादा बढ़ गई है। रुपये में बात करें तो पहले जहां इसकी सेल 10 लाख थी, वहीं वर्तमान में बढ़कर करीब 50 लाख रुपए तक पहुंच गई है.