डीडीयू में एक घंटे तक उमस से उबलते रहे मरीज व तीमारदार
वाराणसी (ब्यूरो)। दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में सोमवार सुबह विद्युत पैनल में फाल्ट आने के चलते दिन के करीब 11 बजे बत्ती गुल हो गई। इससे जहां वार्ड में एडमिट मरीज और उनके तीमारदार गर्मी के कारण परेशान होते रहे तो वहीं ओपीडी में जांच कराने आए मरीजों को भी काफी फजीहत का सामना करना पड़ा। यही नहीं बिजली न होने से सैकड़ों मरीजों का ऑनलाइन पर्ची भी नहीं बन सका। इसके चलते 100 से ज्यादा मरीज इलाज कराए बगैर लौट गए। मेन पावर सप्लाई का पैनल जलने के कारण अस्पताल में जनरेटर होने के बाद भी उसका इस्तेमाल नहीं हो सका।
नहीं हुआ अल्ट्रासाउंडकरीब एक घंटे तक पावर सप्लाई न होने से सिटी स्केन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे के साथ ही पैथालाजी जांच की मशीनें बंद रहीं। इससे घंटों इंतजार के बाद भी मरीजों को बिना जांच कराए लौटना पड़ा। गंभीर व आपात जरूरत वाले मरीजों को निजी रेडियोलाजी या पैथालाजी सेंटरों की शरण लेनी पड़ी। जो लोग प्राइवेट का खर्च वहन नहीं कर सकते थे, उन्हें अगले दिन का इंतजार करना पड़ा।
एक घंटे बाद राहतअस्पताल में भारी भरकम मशीनें तो लगा दी गई लेकिन क्षमता अनुसार जेनरेटर की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में पूरा सिस्टम सरकारी बिजली व्यवस्था के भरोसे है। हालांकि अस्पताल में 24 घंटे की बिजली व्यवस्था है लेकिन सुबह लगभग 11 बजे पैनल में खराबी आने के बाद प्रशासन लाचार हो गया। ऐसे में घंटों से इंतजार में बैठे मरीज गर्मी की वजह से लौट गए। इसमें तमाम ऐसे रहे जो अपनी या बच्चे की जांच से पहले की प्रक्रिया पूरी कर चुके थे। सीएमएस के प्रयास के एक घंटे बाद करीब 12 फाल्ट ठीक किया जा सका।
अगले दिन बुलाया अस्पताल में सिटी स्कैन की दो मशीनें हैं, इनमें से एक का अस्पताल के स्तर पर तो दूसरी ट्रामा सेंटर में निजी एजेंसी के जरिए संचालन किया जाता है। इनमें हर दिन लगभग 50 मरीजों की जांच की जाती है। वहीं अल्ट्रासाउंड कराने वालों की संख्या 50 तो दोनों मशीनों पर डेली 200 तक एक्स-रे और पैथालाजी में 400 लोगों की जांच की जाती है। पैथालाजी में जांच न होने से यहां भी रिपोर्ट के लिए अगले दिन बुलाया गया।जिस स्थान से मेन लाइन और जेनरेटर की लाइन जाती है, वहीं का पैनल जल गया था। इसके कारण व्यवस्था प्रभावित हुई है। मैंने खुद प्रयास कर पैनल को चेंज कराया। इस प्रक्रिया में करीब 30 मिनट लगे। पौने एक घंटे में आपूर्ति बहाल कर ली गई।
डॉ। आरके सिंह, सीएमएस, डीडीयू