खाकी का टॉर्चर
वाराणसी (ब्यूरो)। मिर्जामुराद के रहने वाले संतोष यादव की बाइक नवंबर में चोरी हो गई थी। रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी। बिहार के गया में इनकी बाइक से लूट की घटना हुई थी। इस अपराध में पूछताछ के लिए गया पुलिस ने संतोष को हिरासत में लिया था। वहीं सुंदरपुर के रहने वाले अशोक अग्रहरि की बाइक चोरी हो गई। रिपोर्ट दर्ज न होने के कारण अभी तक इंश्योरेंस के लिए क्लेम फाइल नहीं हो पाई है। उदाहरण के तौर पर ये सिर्फ दो केस हैैं। बनारस के लंका, कचहरी, सिगरा, कैंट, बीएचयू, मंडुवाडीह इलाके ऐसे हैं, जहां आए दिन वाहन चोरी की घटनाएं होती हैं। पुलिस आंकड़ों के अनुसार शहर में हर दिन करीब तीन वाहन चोरी होते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। एक अनुमान के तहत शहर में प्रतिदिन वाहन चोरी की सात घटनाएं होती हैं, जिसमें बाइक की संख्या ज्यादा रहती है। ऐसे ही दर्जनों लोग अपने खोए हुए वाहनों के मामले में एफआईआर या चार्जशीट के लिए थाने और चौकी के चक्कर काट रहे हैं। रिपोर्ट लग जाए तो इंश्योरेंस के लिए क्लेम कर सकें या वाहन का गलत इस्तेमाल होने पर वे न फंस जाएं। लेकिन, पुलिस की 'थर्ड डिग्रीÓ से लोग परेशान हैं। पुलिस न गाडिय़ों की चोरी रोक पा रही है, चोरी हो जाए तो रिपोर्ट नहीं दर्ज करती है। किसी तरह रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो चार्जशीट नहीं लगाती है.
सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिखते वाहन शहर के चौराहों और मुख्य मार्ग पर स्थापित सीसीटीवी कैमरे 80 फीसद काम कर रहे हैं। इसके अलावा दृष्टि अभियान के तहत शहर में जगह-जगह व्यापारियों की मदद निजी कैमरे भी एक्टिव हैं। वाराणसी से व्हीकल चोरी करते हुए चोर दिखाई पड़ते हैं। उसके बाद न जाने कौन सा रास्ता चुनते हैं कि गाड़ी का मूवमेंट ही पता नहीं चलता है। कचहरी, लंका, सिगरा, कैंट, बीएचयू, मंडुवाडीह के अलावा एक्सप्रेस वे पर चढऩे या उतरने की फुटेज भी नहीं मिलती है। जिसकी वजह से बाइक की बरामदगी मात्र 20 फीसद ही है। हर महीने बरामद होते हैं 18 वाहनशहर के कई प्रमुख इलाकों में बाइक या वाहन चोरी की घटनाएं आए दिन होती हैं, लेकिन खुलासा बहुत कम ही होता है। मार्च महीने में लंका थाने की पुलिस टीम ने बाइक चुराने वाले गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। उनकी निशानदेही पर 5 अन्य मोटरसाइकिल बरामद की गयी थीं। इसके अलावा अक्सर बाइक चोरी में एक या दो पकड़े जाते हैं। एक अनुमान के तहत किसी महीने में 16 तो किसी माह में 20 वाहïन बरामद होते हïंै।
गाड़ी खो जाए तो क्या करें सबसे पहले डॉयल-112 को सूचना दें। थाने में जल्द से जल्द केस दर्ज कराएं। 15 दिन गाड़ी तलाशने का समय जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर के पास होता है। उसके बाद 45 दिन में चार्जशीट लगानी होती है। एफआर या चार्जशीट की कॉपी बीमा कंपनी को देनी होती है। सर्वेयर मॉडल के हिसाब से गाड़ी की कीमत आंकते हैं। उसके बाद जो भी रकम बनती है, बीमा कंपनी से दी जाती है. हजारों का सामान मिलता सैकड़ों में चेतगंज थाना स्थित कबाड़ी मार्केट, जहां अगर जरा सी पहचान हो तो हजारों का सामान सैकड़ों में मिल जाता है। ये सामान कम रुपये में कैसे चोरी छिपे मिलता है, इसकी जानकारी करने की जरूरत न पुलिस को है और न ही खरीदने वालों को। दरअसल यहां स्क्रैप कारोबारियों की पकड़ ऑटो लिफ्टर्स से हैं, जो चोरी की बाइक कम दाम में बेच जाते हैं. बिहार शिफ्ट जाते हैं चोरी वाहनवाराणसी में वाहन चोरी होने के बाद कुछ दिनों तक इसे किसी गुप्त स्थान पर रखा जाता है। चेकिंग से बचने के लिए रेलवे स्टेशनों की पार्किंग में खड़ी कर दी जाती है। इसके बाद मौका देखते या वीआईपी मूवमेंट के दौरान चोरी वाहनों को सीधे बिहार या सोनभद्र के रास्ते मध्य प्रदेश में पहुंचा दिया जाता है। इन वाहनों का अधिक इस्तेमाल अपराधी ही करते हैं।
साल दर साल वाहन चोरी 857 : 2022 847 : 2021 784 : 2020 1150 : 2019 727 : 2018 सभी थानों की पुलिस को निर्देश है कि किसी भी तरह के अपराध में एफआईआर जरूर दर्ज हो। निर्धारित समय में चार्जशीट लगाएं। किसी को परेशानी हो तो सीनियर ऑफिसर से संपर्क करें। समस्या का समाधान किया जाएगा. संतोष सिंह, एडिशनल सीपी