डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाएगा आईआईटी-बीएचयू
वाराणसी (ब्यूरो)। आने वाले समय में रक्षा हथियारों और उपकरणों का विदेशी आयात घटाने के लिए भारत अब तेजी से आगे बढ़ेगा। उम्मीद है कि इस क्षेत्र में विदेशी निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी और भारत डिफेंस सेक्टर में भी आत्मनिर्भर होगा। आईआईटी बीएचयू के 12वें दीक्षांत समारोह में इस बात के संकेत मिल रहे हैं। आगामी 6 अक्टूबर को रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर वी कामथ दीक्षांत समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर उपस्थित होंगे। इस बार के दीक्षांत समारोह के बाद आईआईटी-बीएचयू और डीआरडीओ के बीच रिसर्च साझेदारी में मजबूती आएगी। इसके साथ ही आईआईटी-बीएचयू और रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के बीच डिफेंस सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में तेजी से काम होगा।
बनाया डीआरडीओ का एक्सीलेंस सेंटर
बनारस में इस क्षेत्र में बेहतर कार्य हो इसके लिए आईआईटी-बीएचयू की ओर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में डीआरडीओ का रीजनल एक्सीलेंस सेंटर इंडस्ट्री एकेडमिया-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (डीआईए-सीओई) बनाया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल 17 सितंबर को इसके लिए मंजूरी दी थी। यह सेंटर डिफेंस सेक्टर में स्पेशल और फ्यूचर की टेक्नोलॉजी के लिए तेज विकास पर रिसर्च करेगा। पहले फेज में पाउडर मेटलर्जी, इलेक्ट्रॉनिक, फंक्शनल सब्सटेंस, हाई पॉवर माइक्रोवेव सोर्स और डिवाइस सेक्टर में काम किया जाएगा।
मिलेगा डीआरडीओ सेंटर का आउटपुट
आईआईटी-बीएचयू के डायरेक्टर प्रो। प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि इस सेंटर का फोकस भारत के डिफेंस इंपोर्ट को घटाने और डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाना है। इस सेंटर के रिसर्च आउटपुट सभी विभागों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्तमान में कई विभागों में डीआरडीओ के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इससे डिपार्टमेंट वाइज रिसर्च में बेहतरी देखने को मिलेगी।
वेव वेपन पर काम कर रहे वैज्ञानिक
आईआईटी-बीएचयू और डीआरडीओ के वैज्ञानिक हाई पॉवर माइक्रोवेव एनर्जी, एक तरह का वेव वेपन पर काम कर रहे हैं। यह किसी देश के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट को डिसेबल कर सकता है। दावा किया जा रहा है कि इससे इंसानों को कोई खतरा नहीं होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे रिडेएटेड इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एनर्जी निकलता है। इस डिवाइस को लैब के प्लग या मिलिट्री वाहन के इंजन पर फिट किया जा सकता है। दुनिया में इस पर आधारित कुछ मिसाइल बनाए गए हैं। इसमें एक है बोइंग का चैंप-काउंटर इलेक्ट्रॉनिक्स हाई पॉवर्ड माइक्रावेव एडवांस मिसाइल प्रोजेक्ट और दूसरा थोर, जो टेक्निकल हाई पॉवर ऑपरेशनल रिसपांडर है।
बेहद खास होते हैं गेस्ट
आईआईटी-बीएचयू के दीक्षांत समारोह को भव्य और आकर्षण बनाने के लिए हर बार बेहद खास तरह के लोगों को चीफ गेस्ट बनाया जाता है। यही वजह है कि इस बार भी समारोह को खास बनाने के साथ डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद करते हुए डीआरडीओ के चीफ को चीफ गेस्ट बनाया गया है। यहां अब तक आए चीफ गेस्ट की बात करें तो इसमें काफी प्रॉमिनेंट लोग आ चुके हैं.
अब तक आए 7 चीफ गेस्ट
-2022- डॉ। वीके सारस्वत, सदस्य नीति आयोग, एस। सोमनाथ, इसरो के वर्तमान प्रमुख.
-2021 - जय चौधरी, संस्थापक जी-स्कॉलर.
-2019- रमेश पोखरियाल 'निशंकÓ, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री.
-2018- डॉ। जी। सतीश रेड्डी, पूर्व चेयरमैन डीआरडीओ
-2017- किरण कार्णिक, केंद्रीय निदेशक आरबीआई
-2016 - पद्मश्री डॉ। अशोक झुनझुनवाला और डॉ। अभय बंग.
यहां बने एक्सीलेंस सेंटर का फोकस भारत के डिफेंस इंपोर्ट को घटाने और डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाना है। इस सेंटर के रिसर्च आउटपुट सभी विभागों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे.
प्रो। प्रमोद कुमार जैन, डायरेक्टर, आईआईटी-बीएचयू