कनेक्शन नहीं तो बुझ जाएगी पंडाल की बत्ती
वाराणसी (ब्यूरो)। मां की आराधना के पर्व नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ बनारस में बनने वाले भव्य दुर्गापूजा पंडालों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में करीब 150 से ज्यादा छोटे-बड़े पूजा पंडाल बनते हैं। सजावट के साथ इसमें विद्युतीकरण भी होता है। इसके लिए यहां पूजा समितियों को अस्थाई बिजली कनेक्शन लेना अनिवार्य किया गया है। लेकिन, अब तक सिर्फ दर्जनभर समितियों ने कनेक्शन के लिए आवेदन किया है, जबकि पूजा शुरू होने में अब महज तीन दिन ही बचे हैं। इस मामले में विभाग ने दर्जनों बड़े पूजा पंडालों को नोटिस भी जारी किया है.
दिशा-निर्देश भी जारी
पंडाल समितियों को विभाग की ओर से कई दिशा-निर्देश भी जारी किए गए। सभी पूजा समितियों से कहा गया है कि पीवीवीएनएल की अनुमति एवं विद्युत भार स्वीकृति के बाद ही पूजा पंडालों में विद्युतीकरण एवं विद्युत सजावट का कार्य करें। पंडालों में विद्युत आपूर्ति के लिए पदाधिकारी से लोड स्वीकृत कराकर विद्युत अस्थाई कनेक्शन लें। ऐसा न करने पर पंडाल की बत्ती गुल कर दी जाएगी। साथ ही आयोजकों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
100 मेगावाट तक बढ़ सकती खपत
बता दें कि नवरात्र में हर साल बिजली की खपत बढ़ जाती है। खासकर सप्तमी पूजा से लेकर दशहरा तक में भारी बिजली की खपत होती है। अधिकारियों का कहना है कि पूजा के समय जिले में करीब 100 मेगावाट तक बिजली की खपत बढ़ सकती है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। खपत को बैलेंस रखने के लिए बिजली चोरी करने वालों पर भी नजर रखी जा रही है। साथ ही इनकी धड़-पकड़ भी की जा रही है.
विद्युत सुरक्षा का सर्टिफिकेट जरूरी
पीवीवीएनएल के एसई अनूप सक्सेना का कहना है कि पूजा पंडालों में अस्थाई कनेक्शन लेने से पहले पूजा समितियों को विद्युत सुरक्षा सहायक निदेशक से विद्युत सुरक्षा का सर्टिफिकेट लेना होता है। अभी जो आवेदन आए हैैं, उसमें ज्यादातर ने यह सर्टिफिकेट नहीं लिया है। बगैर इसके टेम्प्रेरी कनेक्शन नहीं दिया जाता। विभाग अस्थाई कनेक्शन 24 घंटे पहले भी दे सकता है। अब सारा सिस्टम ऑनलाइन हो चुका है। आयोजक सर्टिफिकेट और अस्थाई कनेक्शन दोनों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
श्रद्धालुओं की भीड़ वाली जगह न बनाएं नियंत्रण कक्ष
भारतीय विद्युत नियमावली में विनिर्दिष्ट सुरक्षात्मक उपायों के अनुसार अस्थायी विद्युतीकरण कार्य सुनिश्चत करना जरूरी है। ऐसे में विभाग ने पंडालों एवं भवनों में अर्थिन की समुचित व्यवस्था करने को कहा है। इसके अलावा पंडाल समितियों को यह कहा गया है कि विद्युत नियंत्रण कक्ष/पैनल ऐसी जगह में बनाएं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ न हो। विद्युतकर्मी असानी से उक्त स्थान पर आ-जा सकें। साथ ही विद्युत नियंत्रण कक्ष का बोर्ड प्रदर्षित करें। जेनरेटर का रखरखाव नियमानुसार करें। मेन स्वीच एवं चेंज ओवर स्वीच का व्यवहार अवश्य करें.
लोड के अनुसार तारों का करें इस्तेमाल
विभाग की ओर से जारी निर्देश में यह भी कहा गया है कि पंडाल में बिजली लोड के अनुरूप ही तारों का साइज व्यवहार करें। किसी भी हाल में अंडर साइज का तार व्यवहार में नहीं लाने का सुझाव बिजली विभाग ने दिया है। विभाग ने कहा है कि ट्रांसफॉर्मर एवं एबी स्वीच से कभी छेड़छाड़ न करें। थ्री पिन प्लग एवं सॉकेट का उपयोग करें। स्वीच बोर्ड एवं तार को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। पंडाल एवं गेट को ओवर हेडलाइन से दूर रखें.
ये सब इंतजाम करना भी है जरूरी
पंडाल में आगलगी जैसी घटना से निपटने के लिए विद्युत नियंत्रण कक्ष में रबर मेट, अग्निशामक यंत्र, सूखे बालू से भरी बाल्टी, शॉक ट्रीटमेंट चार्ट, खतरे की मानक तख्ती एवं रबर हैंडलग्लब रखना अनिवार्य है। बिजली विभाग ने कहा है कि कटे-छटे तार प्रयोग न करें। बहुत जरूरी होने पर तारों के जोड़ का इन्सूलेटिंग टेप से भली-भांति लपेट दें। कट-आउट फ्यूज में सही साइज का फ्यूज तार लगाएं। पंडाल परिसर में प्रवेश एवं निकास के लिए अलग-अलग द्वार बनाए जाएं।
सभी पूजा समितियों को अस्थाई कनेक्शन लेने का निर्देश जारी किया गया है। कनेक्शन लेने के लिए तीन दिन का समय बचा है। ऐसा न करने वालों पर कार्रवाई भी की जा सकती है। यह समितियों की मोरल रिस्पांसबिलिटी भी है कि वे अस्थाई कनेक्शन लेकर ही पंडालों को रोशन करें.
एपी शुक्ला, चीफ इंजीनियर, पीवीवीएनएल