ऑफर के बहाने अपहरण
वाराणसी (ब्यूरो)। सारनाथ क्षेत्र की लड़की सोशल मीडिया पर अच्छे टूर पैकेज और अच्छी जगहों की तलाश कर रही थी। इस बीच उसके एफबी समेत अन्य सोशल मीडिया एकाउंट पर टूर पैकेज का मैसेज आने लगा। एक दिन राजस्थान घूमने का बेहद सस्ता पैकेज का मैसेज उसे मिला। स्वजन को इसकी जानकारी देते हुए उसने मैसेज में दिए गए लिंक पर पैकेज बुक करा लिया। पैकेज के तय समय पर बनारस से वाया प्रयागराज होकर राजस्थान पहुंची। इसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। स्वजन ने सारनाथ पुलिस से संपर्क किया तो बड़ी मुश्किल से जयपुर से उसकी बरामदगी हो सकी। लड़की की आपबीती सुनते ही पुलिस के होश उड़ गए। साइबर अपराध से जुड़े गैंग ने टूर पैकेज का लालच देकर उसे अपने जाल में फंसाया और राजस्थान में ले जाकर उसका सौदा कर दिया।
ऐसे होती है धोखाधड़ी
यह कहानी सिर्फ सारनाथ की लड़की की नहीं है, बल्कि सामनेघाट की रहने वाली लड़की के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। इन दिनों फ्र ॉड करने के लिए कई तरीके काम में लिए जा रहे हैं। इनमें दो तरीके सबसे ज्यादा प्रचलित है। पहला तरीका है, सस्ती यात्रा या कम दामों में ज्यादा सुविधाएं देने का वादा करना। दूसरे तरीके में सरकार और बड़ी कंपनियों से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर ठगी की जाती है। साइबर अपराध से जुड़े गैंग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ठगी के साथ मानव तस्करी में करने लगे हैं। सोशल मीडिया के जरिए लोगों की जिंदगी की निजी जिंदगी की जानकारी हासिल कर रहे हैं और उनकी रूचि के मुताबिक माहौल देने का लालच देकर अपने जाल में फंसा रहे हैं। कई बार वास्तविक तो कई बार आभासी दुनिया में उनसे साथ अपराध कर रहे हैं। इसके सबके अधिक शिकार मोबाइल-कम्प्यूटर पर ज्यादा सक्रिय रहने वाले किशोर-किशोरियां हो रहे हैं.
अपहृर्ता को फंसाते हैं जाल में
गुडिय़ा संस्था के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए हो रहे अपराध (खासतौर पर मानव तस्करी) पर अध्ययन कर रहे वकील गोपाल कृष्ण का कहना है कि बदलते वक्त में मानव तस्करी का तरीका भी बदल रहा है। मानव तस्कर अब लोगों का अपहरण नहीं करते बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए उसे अपने जाल में कुछ इस तरह फंसाते हैं कि जिसका अपहरण करना है, वह खुद उनके पास पहुंच जाता है। यह करना उनके लिए कठिन नहीं होता है। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहने वालों की सारी जानकारी हर किसी के सामने होती है। उसकी पसंद, नापसंद, रूप-रंग, उम्र, हैसियत सबकुछ।
पसंद का मैटेरियल कराते उपलब्ध
जिसके साथ अपराध करना होता है अपराधी उसे इंटरनेट मीडिया के जरिए उसकी पसंद का मैटेरियल उपलब्ध कराते हैं और अपने जाल में फंसाकर मनमुताबिक कार्य कराते हैं। अपराधियों को इसका सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि जिनके साथ अपराध होता है, ज्यादातर मामलों में वह पुलिस के पास नहीं जाते हैं और उनकी पहचान किसी के सामने नहीं आती है। कोविड काल से दौरान जब से कम उम्र के बच्चे भी अपनी गतिविधियों के लिए मोबाइल, कम्प्यूटर पर आश्रित हुए तब से अपराध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ गया है.
ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर धोखा
इस तरीके में धोखेबाज सरकारी या बड़ी ट्रेवल कंपनियों की वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बना लेते हैं। इसे सोशल मीडिया पर प्रमोट किया जाता है ताकि आप जब भी तीर्थ यात्रा या टूर पैकेज ऑनलाइन सर्च करें तो उनकी वेबसाइट दिखाई दें। इस तरीके में बाकायदा लोगों से कॉन्टेक्ट कर उन्हें नाम मात्र के खर्चे पर घुमाने का वादा किया जाता है। इसके लिए कुछ पैसा एडवांस भी ले लिया जाता है। क्लाइंट ढूंढने के लिए कई बार सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाता है। इस तरह एक बार लोगों से कॉन्टेक्ट हो जाए तो उनसे पैसे लेकर धोखेबाज भाग जाते हैं। इस दौरान वे हर जगह पर फेक आईडी का प्रयोग करते हैं ताकि उन्हें पकड़ा न जा सके.