वार्ड के बंद होने से कार्डियक के मरीजों की कम नहीं हो रही परेशानी बेड न मिलने से दो साल में 3 हजार से ज्यादा मरीजों की चली गई जान 15 दिसंबर को डॉ. ओम शंकर ने पीएम को लिखा था लेटर अब तक नहीं आया कोई जवाब अब होगा आंदोलन


वाराणसी (ब्यूरो)पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल को स्वास्थ्य सुविधा की रीढ़ माना जाता है। ऐसा कोई मर्ज नहीं है जिसका इलाज यहां न होता हो, लेकिन इस हॉस्पिटल में कुछ ऐसा विवाद चल रहा है जिससे दिल के मरीजों का दर्द कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। बीएचयू में दो विभाग के आपसी तनाव का खामियाजा यहां इलाज के लिए आने वाले कार्डियक यानि दिल के रोगियों को उठाना पड़ रहा है। बीएचयू को सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कुल 90 बेड कार्डियक को दिए गए हैं, लेकिन सिर्फ 49 बेड ही मरीजों को मिल पा रहे हैं। 41 बेड पर अभी भी डिजिटल लॉक लगे हैं। बेड न मिलने से यहां आने वाले मरीजों को लौटकर वापस प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना पड़ रहा है, जहां उनका भरपूर शोषण हो रहा है।

डेली 500 दिल के मरीज

बता दें कि यहां डेली यहां करीब 500 दिल के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। कार्डियक डिपार्टमेंट के आंकड़ों की माने तो पिछले दो साल में यहां आने वाले 35 हजार से ज्यादा मरीजों को बेड नहीं मिला है। इससे इसमें तीन हजार से ज्यादा लोगों को इलाज के अभाव में मौत हो गई। इन सब के बाद भी बीएचयू प्रबंधन और जिम्मेदारों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.

और वीसी चुप हैं

हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो। ओमशंकर इन सब का जिम्मेदार बीएचयू के जिम्मेदार अफसरों को मान रहे हैं। उनका कहना है कि एमएस की वजह से हृदय रोग विभाग में मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। एमएस द्वारा विभाग को बेड अलॉटमेंट नहीं किया जा रहा है। जहां विभाग को 150 बेडों की जरूरत थी, वहां पर सिर्फ 49 बेड ही सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में मिल रहे हैं। करीब 41 बेड ऐसे हैं, जिन्हें डिजिटल लॉक कर दिया गया है। यानी ये बेड हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम में नहीं दिख रहे हैं। इसके लेकर कई बार वीसी सुधीर जैन को लेटर लिखा गया है, लेकिन उनकी ओर से भी अब तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। यहां बेड के अभाव में मरीजों की जान जा रही है और ये लोग कुछ नहीं कर रहे हैं। सब चुप बैठे हैं। इनकी मनमानी को देखते हुए उन्होंने 15 दिसंबर को पीएम मोदी को भी इस संबंध में लेटर लिखा है, लेकिन वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है।

100 बेड की जरूरत

प्रो। ओमशंकर ने कहा कि अस्पताल में मरीजों के साथ छल हो रहा है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने इस हॉस्पिटल में बेड की कमी दूर करने के लिए नए भवन का निर्माण कराया। इसमें सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक एक विभाग है, जिसमें कॉर्डियोलॉजी का विभाग चल रहा है। इसमें हृदय विभाग को दो फ्लोर दिए गए थे। यहां के अधिकारियों ने मिले हुए बेड्स पर कब्जा करना शुरू कर दिया। पुराने भवन में 49 बेड पहले से थे। साथ ही नए भवन में 100 बेड की और जरूरत थी। वहीं उनका कहना है कि यहां पर बेड की कोई कमी नहीं है। ये लापरवाही अस्पताल द्वारा की गई है। अगर मरीजों को बेड नहीं मिल रही तो इसके लिए जिम्मेदार वीसी, आईएमएस डायरेक्टर और एमएस है। स्पेशलिटी ब्लॉक में मरीजों के लिए उपलब्ध बेड को कंप्यूटर सिस्टम के जरिए डिजिटल लॉक किया गया है। यह बेड सामान्य रूप से पड़े तो हैं, लेकिन इन बेडों के साथ अटैच उपकरण किसी भी रुप से कार्यरत नहीं है। जिस वजह से यह बेड मरीजों के लिए वर्तमान समय में किसी प्रकार से सहायक नहीं है।

चार गुना बढ़ी दिल के मरीजों की संख्या

प्रो। ओमशंकर का कहना है कि हृदय रोग विभाग में अगर 150 बेड होते तो यहां आने वाले मरीजों का इलाज हो सकता था, और किसी की जान भी नहीं जाती। अभी सिर्फ 49 बेड ही हैैं, 41 पर डिजिटल लॉक है। उनका कहना है कि दिल की बीमारी से आज हजारों लोगों की मौत हो रही है। इसमें मरने वालों की आयु 50 साल से कम की है। वहीं 40 साल से कम आयु वर्ग का हर तीसरा मरीज हार्ट अटैक की समस्या से जूझ रहा है। आज से डेढ़ दशक पहले पूर्वांचल, बिहार और आस-पास के जिलों में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा नहीं थी। उस समय बीएचयू में तीन ओपीडी हुआ करती थी। ओपीडी में लगभग 30 मरीज दिल की बीमारी के आते थे। आज डेली ओपीडी चलती है और किसी में भी 300 से 400 से कम संख्या में मरीज नहीं आते हैं। आज मरीजों की संख्या चार गुना से अधिक हो गई है.

पीएम ने दी थी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक

प्रो। ओम शंकर का कहना है कि पीएम मोदी बीएचयू को एम्स फैसिलिटी अस्पताल बनाना चाहते हैं। यहां लगातार बढ़ती मरीजों की संख्या को देखते हुए दो साल पहले पीएम ने विभाग की मांग पर बीएचयू को सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की सौगात दी थी। इस ब्लॉक में दो फ्लोर कार्डियक के लिए रिजर्व कर दिया गया, जिसमें 41 बेड मरीजों के लिए थे। बेडों का मामला प्रधानमंत्री को पता चला था। उन्होंने इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी और सीएमओ को निर्देशित किया था। इस मामले में जांच के बाद मुझे दोषी ठहराया गया है। उनका कहना है कि शिकायत के बाद जांच की जिम्मेदारी भी उन्हीं को सौंपी गई, जो सिस्टम को कोलैप्स कर रहे हैं। वे लोग मंत्रालय को गलत इंफॉरमेंशन देकर खुद को पाक साफ बनाए रख रहे हैं। इस संबंध में एसएस हॉस्पिटल बीएचयू के एमएस डॉ। केके गुप्ता से लगातार दो दिन से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा, लेकिन वे सरकारी फोन उठाना उचित नहीं समझ रहे.

बेड होने के बाद भी डिजिटल लॉक के चलते बेड न मिलने से यहां दिल का इलाज कराने के लिए आने वाले 35 हजार से ज्यादा मरीजों को परेशान होना पड़ा है। सीधे तौर पर कहें तो इन्हें इलाज मिला ही नहीं। इसके चलते तीन हजार से ज्यादा मरीजों की जान भी चली गई, इन सब के बाद भी यहां के जिम्मेदारों को न कोई फर्क पड़ रहा। इसके बाद पिछले माह पीएम मोदी को भी इस मामले में लेटर लिखा है, लेकिन अभी तक रिप्लाई नहीं आया। अगर जल्द बेड का लॉक नहीं खुला तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे, तब बीएचयू से लेकर मंत्रालय तक को मरीजों के हित में फैसला लेना ही होगा.

प्रोओमशंकर, कार्डियोलॉजिस्ट व हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष, एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू

Posted By: Inextlive