बीएचयू में अब बिना चीरा लगाए होगा दिल के सुराख का इलाज
वाराणसी (ब्यूरो)। शिक्षा के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में प्रख्यात बीएचयू के सर सुंदरलाल (एसएस) हॉस्पिटल ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। अब यहां दिल के सुराख का इलाज भी आसानी से हो जाएगा। यहां ऐसे मरीजों को जटिल ऑपरेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस हॉस्पिटल में पहली बार बिना चीड़-फाड़ किए ही मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (एमआईसीएस) की गई है। सामान्य भाषा में इसे केय कार्डियक सर्जरी भी कहते हैं। हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) में इसी टेक्निक से 25 साल की महिला का सफल ऑपरेशन किया गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि दिल की बीमारी से जुड़े ट्रीटमेंट में यह बड़ा स्टेप है। इससे अब यहां कम समय है इस तरह के ज्यादा मरीजों का इलाज हो सकेगा.
पहली बार इस विधि से इलाजबीएचयू के डॉक्टर्स का दावा है कि इस विधि से बीएचयू में पहली बार इलाज हुआ है। मरीज के दिल में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट यानी कि दिल की दीवारों में सुराख जैसा था, जिसे सर्जरी द्वारा बचाना था। इस इलाज में मरीजों की छाती की हड्डी को काटे बिना ही सर्जरी कर दी गई। महिला की छाती पर एक मामूली सा चीरा लगाया गया है। सर्जरी के दौरान मरीज को न तो ज्यादा दर्द हुआ और न ही बाद में उसे किसी दर्द का एहसास हुआ। आमतौर पर ऐसे मरीज के छाती को काटकर ऑपरेशन किया जाता है, जिसे ठीक होने में काफी वक्त लग जाता है। इसके साथ ही मरीज को काफी समय तक दर्द भी झेलना पड़ता है और उसे रिकवर होने में 4 से 6 सप्ताह का समय लग जाता है।
7 से 10 दिन में मरीज होगा स्वस्थ सीटीवीएस के डॉक्टर प्रो। अरविंद पांडेय और डॉ। नरेंद्र नाथ सहित 8 सर्जनों और नर्सिंग की टीम ने मरीज का इलाज किया है। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी के बाद मरीज की सेहत में सुधार हो रहा है और जल्द ही उसे छुट्टी दे दी जाएगी। बताया कि इस मेथर्ड से सर्जरी करना अन्य ट्रेडिशनल सर्जरियों से कम पेनफुल होता है। डॉ। अरविंद पांडे ने कहा कि सर्जरी के 7 से 10 दिनों के अंदर मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या को फिर से शुरू कर सकेगी। अगर वह चाहें तो एक महीने का भी ब्रेक ले सकती हैं. कम समय में ज्यादा मरीजों का होगा इलाजप्रो। अरविंद पांडेय ने बताया कि इस टेक्निक के साथ सर्जरी करने से कम समय में ज्यादा मरीजों का इलाज हो सकेगा। बीएचयू का एसएस हॉस्पिटल अब बनारस का एकमात्र ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया है जहां यह सुविधा इस तरह के मरीजों को मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह हॉस्पिटल देश के इस हिस्से में एक बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करता है। यहां सीएबीजी, वाल्व सर्जरी, रेडो ओपन हार्ट सर्जरी, आरट्री की सर्जरी, जन्मजात कार्डियक सर्जरी और वैस्कुलर सर्जरी सहित ओपन हार्ट सर्जरी नियमित रूप से की जाती हैं। विभाग बहुत जल्द एमआईसीएस वाल्व सर्जरी और एमआईएस सीएबीजी (कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी) भी करेगा। इसके लिए योजना बनाई जा रही है।
इलाज के दौरान ये लोग थे शामिल महिला के इलाज के दौरान एनेस्थीसिया विभाग के प्रो। आरबी सिंह, डॉ। स्मिता, डॉ। शेखर, परफ्यूजनिस्ट दिनेश मैती के अलावा नर्सिंग टीम के सदस्य विकास, सुतापा और चितरंजन व सर्जिकल टीम थी.