वाहन चलाने में आगे बढ़ रही आधी आबादी पिछले साल लगभग दो हजार महिलाओं ने बनवाया डीएल समाज में आई जागरुकता और महिला वर्ग के नौकरी पेशे से जुडऩे के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ा

वाराणसी (ब्यूरो)महिलाओं को वाहन चलाते देखना पहले हैरत होती थी, लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई है। बदलते परिवेश में महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भर हो रही हैं। समाज में आई जागरुकता और महिला वर्ग के नौकरी पेशे से जुडऩे के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। यही कारण है कि अब रोजमर्रा के कामों में अपना हाथ बंटाने वाली आधी आबादी अब वाहनों से फर्राटा भर रही है। वे बाकायदा वाहनों का अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन करा ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा रही हैं।

कर रहीं ओवरटेक

सड़कों में पुरुषों को महिलाएं ओवर टेक करते हुए आगे बढ़ रही हैं। परिवहन विभाग से मिले आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं अब स्टीयरिंग थामने में पुरुषों से पीछे नहीं है। पिछले एक साल में करीब दो हजार महिलाओं ने दोपहिया और चारपहिया वाहन का लाइसेंस बनवाया है। इसके अलावा हर महीने लाइसेंस बन रहे हैं। इनमें सिर्फ दोपहिया ही नहीं बल्कि चार पहिया वाहन भी शामिल है।

हो रहीं आत्मनिर्भर

यही वजह है कि महिलाओं को सड़क पर चार पहिया वाहन ड्राइविंग करते आसानी से देखा जा सकता है। इस दौर में महिलाएं पूरी तरह से आत्म निर्भर होना चाहती है। हर महीने महिलाएं ड्राइविंग लाइसेंस बनवा रही हैं। पिछले चार साल में महिलाओं के नाम पर कई वाहनों के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। साल दर साल महिलाओं के नाम पर वाहनों की खरीदी के अलावा रजिस्ट्रेशन की संख्या भी बढ़ती जा रही है.

सबसे अधिक शिक्षाकर्मी

पिछले पांच साल में हजारों शिक्षाकर्मियों की भर्ती हुई, इसमें 33 प्रतिशत से अधिक स्थान महिलाओं के लिए है। महिला शिक्षाकर्मी खुद के साधन से ही स्कूल जा रही है। पिछले 10 साल में जिले में तकरीबन पांच हजार से अधिक महिला शिक्षाकर्मी की भर्ती हुई है। अब ये शिक्षाकर्मी स्कूटी से अपने स्कूल जा रही है। हर स्कूल में तीन से चार स्कूटी जरूर दिखाई देती है.

आज कल की युवतियां किसी भी मामले में लड़कों से पीछे नहीं है। वह हर काम कर सकती हैं। पिछले तीन चाल साल से वह स्कूटी ड्राइव कर स्कूल जाती हैं। लंबी दूरी की यात्रा के लिए कार भी ड्राइव करती हैं.

रागिनी शर्मा

स्कूटी के अलावा वह हर किस्म की बाइक चला लेती हैं। पहले केवल स्कूटी चलाती थी पर कई बार स्कूटी खराब होने पर परेशान होना पड़ा। इसके बाद उन्होंने बाइक भी चलानी सीख ली और अब हर तरह की बाइक आसानी से चला लेती हैं.

राधिका गुप्ता

दो पहिया वाहन की मदद से अपना हर काम खुद करती हैं। वह कहती हैं कि आज के दौर में सेल्फ डिपेंड होने के लिए गाड़ी चलाना जरूरी है। जरूरी सामान की खरीदारी के लिए वे खुद गाड़ी चलाते हुए बाजार जाती है.

मनीषा गौड़

अभी पिछले साल ही दिल्ली से बनारस में शिफ्ट किया है। पिछले आठ से कार चला रही हूं। सुबह बच्चों को स्कूल छोडऩे और लाने के लिए कार से जाती है। इसके अलावा बाजार से लेकर अन्य कामों में कार ही इस्तेमाल करती हूं।

मधु राय

डीएल के लिए यह कागजात जरूरी

लाइसेंस बनाने की दो श्रेणी निर्धारित है। पहली श्रेणी में बिना गियर वाली गाड़ी स्कूटी और दूसरी श्रेणी में कार और मोटरसाइकिल गियर वाली गाड़ी आती हैं। इनके लाइसेंस बनाने के लिए जन्म तिथि प्रमाणपत्र, निवास प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, 10वीं कक्षा का सर्टिफिकेट, फोटो आवश्यक होते हैं। इन दस्तावेजों के साथ कोई भी लर्निंग लाइसेंस के लिए विभाग को आवेदन कर सकता है.

Posted By: Inextlive