एक हजार कारतूस देख उड़े होश
-कैंट स्टेशन पर जीआरपी ने तस्करी के लिए ले जाये जा रहे 1250 गोलियों के साथ दो युवकों को किया अरेस्ट,
-मुरादाबाद से कारतूस से भरे बैग को लेकर बिहार पहुंचाने की थी योजना -मुगलसराय आरपीएफ में तैनात एक एसआई भी जांच के घेरे में, मास्टर माइंड की तलाश शुरू VARANASIकैंट स्टेशन पर जीआरपी ने गुरुवार को सरकारी पिस्तौल व इंसास रायफलों में इस्तेमाल होने वाले क्ख्भ्0 कारतूस के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया। एटीएस, एसटीएफ, आईबी सहित अन्य जांच एजेंसियां दोनों से पूछताछ कर रही हैं। गिरफ्तार नालंदा (बिहार) निवासी राजा बाबू व राजनयन से हुई पूछताछ के बाद मुगलसराय स्टेशन पर तैनात आरपीएफ के एक एसआई को भी उठाया गया है। एसआई गोलियों के साथ पकड़े गए दोनों आरोपियों को छोड़ने के लिए सिफारिश कर रहा था। इस मामले में उसके संलिप्तता की भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस का मानना है कि पकड़े गए दोनों एजेंट हैं और मास्टर माइंड की तलाश की जा रही है। वहीं इतनी संख्या में गोलियों के बरामद किये जाने के बाद एक बार पुलिस के भी होश गुम हो गए थे।
'अर्चना' को छोडे़ और फंस गयेसावन के मद्देनजर जीआरपी प्रभारी निरीक्षक शिव प्रकाश अपने मातहतों संग प्लेटफॉर्म पर चेकिंग कर रहे थे। इस बीच प्लेटफॉर्म नंबर छह पर पहुंची अर्चना एक्सप्रेस से बैग लेकर उतरे दो युवक प्लेटफॉर्म नंबर सात पर खड़ी पंजाब मेल की ओर बढ़ने लगे, संदेह होने पर पुलिस ने उनके बैग की जांच की तो उसमें से क्ख्भ्0 कारतूस बरामद हुए। पूछताछ में दोनों ने बताया कि उन्हें मुरादाबाद स्टेशन के बाहर एक व्यक्ति ने बैग दिया था जिसे उन्हें बिहार पहुंचाना था। बरामद कारतूस इंसास रायफल के बताए गए हैं।
एसआई बोला, छोड़ दो इतनी भारी संख्या में कारतूस बरामद होने की सूचना मिलते ही एसपी रेलवे सहित विभिन्न जांच एजेंसियां एक्टिव हो गई। इंक्वायरी चल रही थी कि तभी जीआरपी में एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपने को मुगलसराय में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स का एसआई बता गिरफ्तार दोनों युवकों को रिश्तेदार बताते हुए छोड़ने की सिफारिश करने लगा। इस पर जीआरपी की टीम मुगलसराय से उसे भी पूछताछ के लिए उठा लाई। गोलियों के साथ गिरफ्तार युवकों की पहचान के लिए जीआरपी नालंदा बिहार पुलिस से संपर्क करने में जुट गई है। नक्सलियों से जुड़ रहे तारबरामद कारतूस बिहार-झारखंड के नक्सलियों या रणवीर सेना को सप्लाई करने की आशंका जताई जा रही है। पुलिसकर्मियों और सफेदपोशों द्वारा अपराधियों को शस्त्र व कारतूस मुहैया कराये जाने का गोरखधंधा नया नहीं है। पूर्व में भी मीरजापुर व मुरादाबाद में कारतूस घोटाले के मामले सामने आ चुके हैं। कैंट स्टेशन पर गोलियों की इस बड़ी बरामदगी के बाद शुरू हुई पड़ताल में यह आशंका भी जताई गई है कि कारतूसों की आपूर्ति नक्सलियों को भी हो रही है। सेना को भी जांच के लिए बरामद कारतूस के नमूने भेज दिए गए हैं। इससे यह पता चल जाएगा कि ये कारतूस पुलिस के हैं या अर्द्ध सैन्य बल के हैं।