महंगाई के चलते किचन से गायब हुईं हरी सब्जियां आम से भी महंगा हुआ नेनुआ अब ये सब्जियां लोवर और मीडिल क्लास फैमिली से दूर होती जा रही

वाराणसी (ब्यूरो)मानसून आने के बाद भले ही मौसम में हरियाली छा गई हो, मगर सब्जी बाजार से हरी सब्जियां गायब होने लगी हैं। जो हैैं भी, उनके दाम इस कदर आसमान छू रहे हैं कि लोग सिर्फ भाव पूछकर रह जा रहे हंै। सीधे तौर पर कहें तो अब ये सब्जियां लोवर और मीडिल क्लास फैमिली से दूर होती जा रही है। किचन में तो टमाटर और हरी सब्जियां बड़ी मुश्किल से देखने को मिल रही हैं। महंगी होती सब्जियों से इनके किचन का बजट बिगड़ गया है। इस महंगाई के चलते किचन से सब्जियों को साइडलाइन कर दिया गया है। इसकी जगह गृहिणियां सोयाबिन, सफेद मटर, काले चने, बेसन और सत्तू की ही सब्जियां बनाने को मजबूर हैं.

आम से भी महंगा है नेनुआ

सब्जी बाजार में हरी मिर्च, शिमला मिर्च, टमाटर, परवल आदि का भाव आम आदमी की परचेजिंग पावर से बाहर हो चुका है। वहीं भिंडी, नेनुआ, बंडा जैसी सब्जियां भी 40 से 60 रुपए किलो से ऊपर ही बिक रही हैैं, जबकि इन सब सब्जियों से सस्ता फलों का राजा आम बिक रहा है। वर्तमान आम 40 से 50 रुपए किलो मिल रहा है। स्थानीय सब्जी व्यवसायियों का कहना है कि बाहर से हरी सब्जियों की आवक नहीं होने से इन सब्जियों का दाम काफी बढ़ा हुआ है और जब तक नई सब्जी का खेप बाजार में नहीं पहुंचता तब तक उनका दाम कम होना मुश्किल है.

नहीं मिल रहे सब्जी के खरीदार

सब्जियों के महंगे होने के कारण जहां सब्जी मंडी में खरीदारों की भीड़ काफी कम हो चली है और आम आदमी मन मसोसकर काम चला रहा है। वहीं गलियों और चौराहों पर सब्जी बेचने वाले अब नदारद हो गए हैं। सुबह होते ही आवाज लगाते गली-मुहल्लों में सब्जी बेचने वाले कम ही दिखाई दे रहे हैं और जो दिख भी रहे हैं तो उनकी सब्जी उतनी नहीं बिक रही, जितनी वे पहले बेच लेते थे। उनका कहना है कि कल तक जो गृहिणियां उनकी सब्जी खरीदा करती थी, वे सिर्फ दाम पूछकर घर का दरवाजा बंद कर ले रही हैं। महंगी होती सब्जियों ने उनकी भी रोजी-रोटी छीन ली है। कुछ घरों में सब्जियों की जगह महिलाएं छोले-भटूरे और अलग-अलग तरह की दाल और बेसन जैसी सब्जी बनाने लगी हैं। महिलाओं का मानना है कि जब तक सब्जियों के दाम कम नहीं होते तब तक इसी तरह खाना बनता रहेगा.

क्या कह रहीं गृहिणियां

टमाटर और हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जो हमारे बजट से बाहर जा रहे हैं, इसके कारण हमें घर पर अलग-अलग तरह की दाल, काले चने, आलू, छोले और बेसन जैसी सूखी सब्जी बनाना पड़ रही है।

हेमा तिवारी, गृहिणी

परिवार में हरी सब्जी और टमाटर की डिमांड तो हो रही है। मगर सब्जियों के दाम ज्यादा होने के कारण वे उन्हें खरीद नहीं पा रही हैं। जितना जल्दी सब्जियों के दाम कम होंगे उतना अच्छा रहेगा। इस पर सरकार को ध्यान देना होगा।

कोमल गुप्ता, गृहिणी

घर में हरी सब्जी की डिमांड तो सब करते हैं मगर ज्यादा दाम होने के चलते हमें कुछ दिनों तक इन सब्जियों से दूरी बनानी पड़ रही है। सोयाबिन व सफेद टमाटर से काम चल रहा है। जब तक रेट कम नहीं होता तब तक यही सब्जी होगी।

रीता तिवारी, गृहिणी

पहले घर के बाहर डेली सब्जीवाले आते थे। मगर महंगे दाम होने के चलते आजकल सभी ठेले वाले गायब हो गए हैं। जहां पहले सप्ताह भर की सब्जी एक साथ लाते थे। वहां अब एक दिन की सब्जी खरीदने के लिए भी सोचना पड़ रहा है।

रेखा, गृहिणी

Posted By: Inextlive