Varanasi news: लॉकर से सस्ता तो कर्जा है
वाराणसी (ब्यूरो)। अगर आप घर में रखे गोल्ड व ज्वेलरी की सुरक्षा के लिए बैंक में लॉकर लेकर रखने की सोच रहे हैं तो यह जरूर सोच लीजिएगा कि इसके लिए आपको हर साल 8 से 10 हजार रुपए लॉकर के किराए के रूप में भी चुकाने होंगे और यदि आप गोल्ड पर कर्ज लेते हैं तो यह आपको इससे ज्यादा फायदे का सौदा हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है। चलिए हम बताते हैं आपको पूरा गणित क्या है।
कम इंट्रेस्ट पर गोल्ड लोन
पुरानी कहावत है, जब भी पैसा बचे तो कुछ सोना खरीद लो, बुरे वक्त में काम आएगा। ये कहावत आज भी सच साबित हो रही है। बैंकों में वर्तमान में गोल्ड लोन कराने वालों की संख्या लॉकर में रखने वालों से कही ज्यादा बढ़ रही है। एक्सपर्ट की मानें तो सोना सुरक्षा के रूप में कार्य करता है, जिससे आपका लोन कम जोखिम वाला लोन बन जाता है। इसलिए, बैंक अपने कस्टमर को कम इंट्रेस्ट पर लोन देते है।
सात परसेंट ब्याज दर
गोल्ड लोन की ब्याज दरें आमतौर पर करीब 7 परसेंट प्रति वर्ष से शुरू होती हैं। जबकि लॉकर में हर साल आपको 2 से 12 हजार रुपए तक देने होते है। और इसमें सुरक्षा की गारंटी भी नहीं होती। यही वजह है कि अब लोग लॉकर की सुविधा न लेकर अपने सोने को सुरक्षित रखने के लिए गोल्ड लोन लेना ज्यादा प्रीफर कर रहे हैं।
2020 में सबसे अधिक
बता दें कि 2020 में करीब ढाई महीने के लंबे लॉकडाउन के कारण कामकाज बंद होने से अधिकांश लोग आर्थिक रूप से परेशान हो गए थे। किसी का बिजनेस डूब गया तो किसी की नौकरी चली गई। इसके चलते लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। ऐसे में मध्यम वर्गीय परिवारों की आर्थिक मदद के लिए बैंकों की ओर से रखे गए गोल्ड का विकल्प लोगों के लिए राम बाण के समान काम किया.
कर्ज भी और सुरक्षित भी
जिसमें लगभग 5 से सात फीसदी सालाना ब्याज दर पर लोन भी मिल गया और सोना भी सुरक्षित हो रहे हैं। एचडीएफसी गोल्ड लोन के सेल्स मैनेजर अरूण कुमार की माने तो गोल्ड लोन वर्तमान में पैसों की जरूरत पूरा करने का सबसे बेहतर विकल्प है। जिसमे सालाना लॉकर चार्ज से कम और कम ब्याज पर आसानी से गोल्ड लोन मिलता है।
ब्याज दर काफी कम
एसबीआई सहित अन्य सरकारी बैंकों में गोल्ड लोन पर ब्याज दर कम होने की वजह यह है कि उनके पास बचत खातों में जमा पैसे से वह गोल्ड लोन देकर कमा लेते हैं। जैसे अगर किसी बैंक में बचत खातों में ही दस लाख रुपये तक जमा है तो वह सात फीसदी की दर से पांच लाख रुपये तक के गोल्ड लोन बांट सकता है। बचत खाताधारक को उसको चार फीसदी सालाना ही ब्याज देना है, इधर वह गोल्ड लोन देकर सात फीसदी तक आय करता है। ऐसे में उसे तीन फीसदी का मुनाफा होता है। वहीं निजी कंपनी में गोल्ड लोन में ब्याज दर ज्यादा इसलिए है कि वह मार्केट से ब्याज पर रकम उठा कर गोल्ड लोन देते हैं।
गोल्ड लोन कैसे होता
- बैंक में जाकर गिरवी रखे जाने वाले सोने की जानकारी देनी है। इसके बाद बैंक द्वारा नियुक्त गोल्ड अप्रेजर उसकी वर्तमान कीमत आंकता है.
- कीमत आंकने के बाद गोल्ड अप्रेजर अपनी रिपोर्ट देता है। ये रिपोर्ट बैंक के पास आने के बाद लगभग दो घंटे में लोन हो जाता है.
- किसी पर कोई भी लोन पहले से चल रहा हो। उसकी लोन संबंधी सिविल रिपोर्ट कुछ भी हो, उसका बैंक एकाउंट का रिकार्ड कुछ भी हो। वह गोल्ड लोन लेने का हकदार होता है, किसी और गारंटी की जरूरत नहीं है.
- गोल्ड लोन लेने वाले बैंक में अगर संबंधित व्यक्ति का खाता नहीं है तो उसका खाता भी लगभग एक घंटे में खोल दिया जाता है।
- बैंक में गिरवी रखे गए सोना या आभूषण दो बैंक अधिकारियों की निगरानी में लॉकर में रखा जाता है। उसकी दो चाबियां दो अलग-अलग अधिकारियों के पास रहती हैं.
- लोन की पूरी रकम चुकता हो जाती है तो ग्राहक के सामने सील किए गए जेवर उसको सौंप दिए जाते हैं.
ये भी जान लें
- अगर एक ग्राम सोने का रेट 4742 रुपये है तो उसके सापेक्ष 3557 रुपये तक का लोन मिल सकता है.
- सोने के रेट और उसके सापेक्ष मिलने वाले लोन की रकम हर महीने की पहली तारीख को तय होती है.
- एक लाख के सोने पर 75 हजार रुपये तक का लोन मिल सकता है। ब्याज 7 से 10 फीसदी सालाना तक.
- बैंक लॉकर पर तीन हजार से 20 हजार रुपये किराया और जीएसटी सालाना देय होता है.
- गोल्ड लोन 18 महीने की अवधि के लिए देय है, अलग अलग बैंकों में अवधि कम ज्यादा भी है.
ये सही है कि आज के समय में लॉकर में गोल्ड रखने से ज्यादा फायदे का सौदा गोल्ड पर लोन लेना है। इसमें सबसे कम ब्याज देना होता है। लॉकर में सालाना 1200 से 12 हजार रुपए तक चार्ज लगते हैं। इसका डिमेरिट ये है कि इसमें रखे सामान का इंश्योरेंस नहीं होता है। उसमें रखे सामान का कुछ भी होने पर बैंक की जवाबदेही नहीं होती।
अभिषेक कुमार, बैंक मैनेजर, बैंक ऑफ इंडिया