कोविड में बनाई थी वैक्सीन पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ जार्जिया की महारानी के अवशेष के डीएनए का यहीं किया गया अध्ययन


वाराणसी (ब्यूरो)पिछले दिनों बनारस दौरे के दौरान बीएचयू पहुंचे प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने कहा था कि महामना के प्रांगण में सभी विद्वानों खासकर युवा विद्वानों के बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा है। यहां से यंग और एनर्जेटिक छात्र-छात्राओं ने अपने अनकों रिसर्च से भारत का पूरी दुनिया में मान बढ़ाया है। यहां विदेशों से भी बच्चे शोध के लिए आ रहे हैं और कुछ आने को आतुर भी हैं। पीएम ने ये बातें यू ही नहीं कही थी, इसके पीछे उनका भी काफी रिसर्च था। यह सच है कि आज यहां के यंग रिसचर्स और वैज्ञानिकों के रिसर्च का डंका ग्लोबल लेवल पर बज रहा है.

वल्र्ड रैंकिंग में बीएचयू के 7 वैज्ञानिक

बता दें कि विज्ञान के क्षेत्र में एकेडमिक ग्रेडिंग देने वाली संस्था रिसर्च डॉट कॉम की 2022 की वल्र्ड रैंकिंग में बीएचयू के 7 वैज्ञानिकों को जगह मिल चुकी है। इसके अलावा इस संस्था के कई शोधार्थियों ने वैश्विक स्तर का रिसर्च किया है। कोरोनाकाल में बीएचयू के सिंगल डोज वैक्सीन के अध्ययन को वैश्विक पहचान मिली थी। यह अध्ययन बताता है कि पूर्व में कोरोना संक्रमित लोगों में कोवैक्सीन और कोविशील्ड की पहली डोज के कुछ दिन बाद ही एंटीबाडी बनकर तैयार हो गई। जबकि गैर-संक्रमित में दोनों डोज लेने के तीन सप्ताह उपरांत एंटीबाडी बन रही थी। वहीं आइएमएस-बीएचयू के रिसर्च ग्रुप को जीका वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने का कारक की खोज कर बड़ी कामयाबी मिली थी। यह शोध प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल बॉयोकेमी में प्रकाशित भी हुई है.

150 वर्षों से चली आ रही बहस समाप्त

बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग के प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे द्वारा किए गए असाधारण शोध ने बीएचयू का वल्र्ड लेवल पर परचम लहराया। इनके शोध ने लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को सुलझाने में बड़े पैमाने पर योगदान दिया। भारत की ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा बोलने वाली आबादी की उत्पत्ति पर इनके महत्वपूर्ण आनुवंशिक अध्ययन पर पिछले 150 वर्षों से चली आ रही बहस को समाप्त कर दिया.

हिमालयी आबादी की उत्पत्ति एक और खोज

वहीं रिसर्चर डॉ। अंशिका श्रीवास्तव ने प्राचीन भारतीय ग्रंथ रामायण में वर्णित जनजातियों (जैसे कोल, भील और गोंड समूहों) की आनुवंशिक नींव को अलग करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आर्यन आक्रमण सिद्धांत का डीएनए आधार पर खंडन किया। उनके शोधों ने आधुनिक सिंधु घाटी की आबादी की आनुवंशिक विविधता को चिह्नित करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है, जो 12 हजार वर्षों से कायम है। साथ ही रिसर्चर डॉ। प्रज्जवल प्रताप सिंह ने लक्षद्वीप और हिमालयी आबादी की उत्पत्ति एक और महत्वपूर्ण खोज थी। इसके अलावा इन्होंने श्रीलंका के जातीय समूहों पर किए गए काम से आबादी का सही इतिहास सामने लाने में आनुवंशिकी की शक्ति का पता चला। इस तरह के काम से चिकित्सा आनुवंशिकी अनुसंधान में समुदाय-आधारित चिकित्सा (पर्सनलाइस्ड मेडिसिन) का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.

ये हैं बीएचयू के 20 सफल रिसर्च जिनकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई

1-लक्ष्यद्वीप की आबादी के पास उत्तर भारत और दक्षिण भारत दोनों का डीएनए (मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स एंड जेनोमिक्स).

2-कोरोना वायरस के कौन से म्युटेशन कितने घातक हो सकते हंै (मेडिकल बायोलॉजी).

3-श्रीलंका के सिंहली और तमिल का डीएनए एक (आईसाइंस).

4-भारत में दूसरी लहर किसान आन्दोलन के कारण तेजी से फैली (कोविड).

5-भारत में कोरोना के केस 17 गुना ज्यादा (आईजेआईडी)

6-उचाई पर रहने वाले लोगो का हीमोग्लोबिन और बीपी सामान्य से ज्यादा (अमेरिकन जर्नल ऑफ हृयूमन बायोलॉजी)

7-कोविड में डी डीमर और सीआरपी के अध्ययन से पता चल सकता है की किस मरीज को आईसीयू चाहिए। (फ्रोम्तिएर्स इन जेनेटिक्स)

8-बीडीएनएफ जीन का म्युटेशन हमें अफीम एडिक्शन के रिस्क को बढ़ाता है (हृयूमन जीन)

9-नेपाल का मात्री डीएनए भारत और तिब्बत के डीएनए का मिश्रण है (ह्यूमन जेनेटिक्स)

10-अजनाला के शहीद गंगा घाटी के (फ्र ंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ)

11-पटिएमपीआरएसएस 2 जीन म्युटेशन कोविड की सससेप्टीबिलिटी को बढ़ाता है। (इन्फेक्शन जेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन )

12-कोविड के बाद कार्डियक का ज्यादा खतरा (फ्र ंटियर्स इन कार्डियोवैस्कुलर मेडिसिन)

13-कोविड इन्फेक्शन के बाद वैक्सीन की 1 डोस काफी (साइंस )

14-भारत में कोरोना की सेकंड वेव आने के कारण (साइंस)

15-निएंडरथल से मानव में आये जीन से भारतवासियों को कोविड का कोई खतरा नहीं (साइंटिफिक रिपोर्ट्स)

16-मुंडा संथाल जैसी जनजातीय 5 हज़ार वर्ष पहले साउथईस्ट एशिया से भारत में आई (यूरोपियन जर्नल ऑफ़ हृयूमन जेनेटिक्स)

17-ब्लड ग्रप एबी कोरोना से सबसे ज्यादा संवेदनशील

18-एसीई2 60 परसेंट भारतीयों में जिससे कोरोना से मरने वालो की संख्या भारत में यूरोप से कम (फ्र ंटियर्स इन जेनेटिक्स)

19-माइटोकांड्रिया को कोरोना वायरस हाईजैक कर लेता है (अमेरिकन जर्नल ऑफ़ सेल फिजियोलॉजी )

20-जीन म्युटेशन इनफर्टिलिटी का कारण (साइंटिफिक रिपोर्ट्स )

मानव के विकास और मानव संबंधित जितने भी शोध कार्य हो रहे हैं, उनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय भारत का नेतृत्व कर रहा है। यहां हो रहे शोध की बखान सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में की जा रही है.

प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे, जीन वैज्ञानिक, जंतु विज्ञान विभाग, बीएचयू

मैंने कोविड-19 को लेकर 6 से 7 रिसर्च किया है। इसमें कई सब्जेक्ट पर काम किया है। हमारे रिसर्च की दुनिया में छाने की कई सारी वजहें है। बीएचयू में सेंट्रलाइज्ड फैसिलिटी मिल रही है, जिसका फायदा हमें रिसर्च में मिल रहा है.

डॉरूद्र कुमार पांडेय, कोविड रिसर्चर, बीएचयू

Posted By: Inextlive