बनारस में स्नान के लायक नहीं गंगा का पानी
वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में बह रही गंगा नदी का पानी स्नान के लायक नहीं है। यह चौकाने वाला खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में ओवरसाइट कमेटी की ओर से पेश एक रिपोर्ट में हुआ है। कमेटी की निगरानी में वाराणसी से लेकर हापुड़ तक करीब 31 जगहों से नमूने लिये गए थे। कहीं भी गंगा जल ए श्रेणी यानी पूरी तरह निर्मल नहीं मिला। वाराणसी समेत प्रदेश में अधिकतर जगहों पर गंगा का पानी सी और डी श्रेणी में पाया गया है। यह रिपोर्ट बाढ़ से पहले गंगा जल से लिये गए नमूनों के आधार पर है, क्योंकि मौजूदा समय में गंगा में बाढ़ की स्थिति है और पानी में बहाव भी है.
बढ़ाई जा रही तारीखरिपोर्ट के अनुसार बिना किसी कारण के एसटीपी और सीईटीपी के निर्माण पूरा होने की तारीख भी बढ़ाई जा रही है। समिति ने एनजीटी से यूपी सराकर के शहरी विकास विभाग, जल शक्ति विभाग और यूपीपीसीबी को समुचित कार्रवाई करने का आदेश देने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार गंगा जल यूपी, बिहार के बक्सर, पटना, भागलपुर, पश्चिम बंगाल के हवाड़ा-शिवपुर जैसे जगहों पर नहाने योग्य तक नहीं है। उत्तर प्रदेश में नालों की टैपिंग, कॉमन अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) और सीवेज शोधन सयंत्र (एसटीपी) निर्माण में देरी गंगा और इसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त नहीं होने दे रहा है.
सहायक नदी वरुणा में सुधार नहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसवीएस राठौर की अगुवाई वाली ओवरसाइट समिति ने एनजीटी में अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा है कि उत्तर प्रदेश में गंगा और इसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। यहां पर 48 फीसदी नाले का पानी बिना शोधन के गंगा में बहा दिया जाता है। वाराणसी स्थित वरुणा नदी में आसपास के इलाकों का गंदा पानी बिना शोधन के ही जा रहा है. यूपी में गंगा जल सी और डी श्रेणी में उत्तर प्रदेश में अधिकतर जगहों पर गंगा जल सी और डी श्रेणी में है। यही हाल इसकी सहायक नदियों वरुणा, गोमती, घाघरा, काली, हिंडन, राप्ती, रामगंगा, बाणगंगा व अन्य का है। इन नदियों का पीने योग्य नहीं है. कहीं नहीं मिला निर्मल जल वाराणसी, गाजीपुर, प्रयागराज, बदायूं, कन्नौज, सोनभद्र, मिर्जापुर, कानपुर, बिजनौर, हापुड़ सहित 31 जगहों पर नमूने लिए गए। कहीं भी गंगा जल ए श्रेणी यानी पूरी तरह निर्मल नहीं मिला. गर्मी के दिनों में हर दिन 50 हजार करते हैं गंगा स्नानधर्म और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में आए दिन धार्मिक आयोजन होते हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन से पहले श्रद्धालु गंगा स्नान भी करते हैं। सावन के महीने में हर दिन औसतन दो लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं। सोमवार को यह संख्या दो गुना हो जाती है। वैसे भी गर्मी के दिनों में भी औसतन हर दिन 50 हजार से अधिक लोग स्नान करते हैं। किसी खास पर्व पर यह संख्या पांच लाख से अधिक पहुंच जाती है.
रिवर वॉटर क्वालिटी रिपोर्ट में मिली थी डी कैटेगरी उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जनवरी 2023 में जारी रिवर वॉटर क्वालिटी रिपोर्ट में बताया गया था कि वाराणसी की गंगा और गोमती का पानी लगातार प्रदूषित होते-होते डी कैटेगरी में पहुंच गया है। इन नदियों के पानी का सिर्फ मछली पालन और इंडस्ट्रियल कूलिंग में ही इस्तेमाल कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार बनारस और कानपुर में गंगा, गोरखपुर में राप्ती और लखनऊ में गोमती, हर जगह नदी का पानी इस कदर पॉल्यूटेड हो गया है कि इसको पीने के लिए इस्तेमाल तो दूर, हम सभी जगह का पानी दूसरी अहम जरूरतों के लिए भी नहीं कर सकते हैं. कैटेगरी और इसके इफेक्ट्स कैटेगरी ए - ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स बिना कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बादकैटेगरी बी - आउटडोर बाथिंग (संगठित)
कैटेगरी सी - ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स, कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद कैटेगरी डी - वाइल्ड लाइफ और मछली पालन का प्रचार कैटेगरी ई - इरीगेशन, इंडस्ट्रियल कूलिंग, कंट्रोल्ड वेस्ट डिसपोजल जरूरत इसकी है -नदियों के आसपास किसी तरह की धुलाई या सफाई न करें. -नदियों में एक्वेटिक एनिमल्स भी रहते हैं, इसलिए किसी केमिकल या ई-वेस्ट को उसमें न डालें. -मरने वाले जानवरों को नदियों में न डालें. -नदियों में जाने वाले पानी को पहले पॉपर ट्रीटमेंट करने के बाद जाने दें. -अथॉरिटीज को चाहिए कि नालियों का पानी जहां नदियों में गिरता है, वहां ट्रीटमेंट प्लांट लगाए. -पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी इसकी रेगुलर मॉनीटरिंग करनी चाहिए. एनजीटी को पेश की गई ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। मेरे पास आएगी तभी ही कुछ कहना संभव होगा। वर्तमान में गंगा में बाढ़ है। नमूने पहले लिये गए होंगे. एससी शुक्ला, पॉल्यूशन ऑफिसर वाराणसी