बुद्धम शरणम गच्छामि
वाराणसी (ब्यूरो)। जी-20 देशों के विकास मंत्रियों समेत प्रतिनिधियों ने बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ का दौरा किया। विदेश मंत्री डा। एस जयशंकर के नेतृत्व में विदेशी मेहमानों ने सबसे पहले पुरातात्विक स्मारकों को देखा। बुद्ध के दर्शन को जाना समझा, उनसे जुड़ाव व इतिहास के बारे में जानकारी ली और धमेख स्तूप की परिक्रमा की।
विदेशी मेहमानों के आगमन को देखते हुए सारनाथ को सजाया व संवारा गया था। जी-20 देशों के 40 मंत्रियों व 110 अन्य प्रतिनिधियों का दल जब सारनाथ सुबह नौ बजे के करीब पहुंचा तो सबसे पहले भारतीय लोकनृत्य मयूर डांस व हुड़का मंजीरा डांस का लुत्फ लिया। इन प्रतिनिधियों को सारनाथ के बारे में जानकारी देने के लिए 115 गाइड्स लगाए गए थे। मुख्य द्वार पर स्वागतपुरातात्विक खंडहर परिसर के मुख्य द्वार पर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने स्वागत किया। इसके बाद मेहमान गुप्तकाल में बने 43.4 मीटर ऊंचे व 28 मीटर चौड़े धमेख स्तूप पर बनी कलाकृतियों को देखा व पुरातनता को जाना व परिक्रमा की। इसके बाद मोबाइल कैमरे में तस्वीर उतारी। पुरातात्विक संग्रहालय में पर राष्ट्रीय चिह्न व चार ङ्क्षसह शीर्ष को देखा एवं पूरी जानकारी ली। विदेश मंत्री ने भी कुछ प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय चिह्न की चमक व इसके एतिहासिक पक्ष को समझाया। बुद्धा गैलरी में भगवान बुद्ध से संबंधित प्रतिमाओं, ङ्क्षहदू गैलरी में देवी देवताओं की प्रतिमा को मेहमानों ने देखा। सुबह 11 बजे के करीब यहां से लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान कुछ मेहमानों ने दोबारा परिवार के साथ आने की जिज्ञासा अफसरों के सामने व्यक्त की। कहा कि बहुत ही खूबसूरत स्थल है। विदेश मंत्री समेत अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर मेहमानों को विदाई दी।
भातीय व्यंजनों का लिया स्वाद सारनाथ भ्रमण के बाद मेहमानों ने सुबह के नाश्ते में प्याज की पकौड़ी, लस्सी, छाछ, फ्रूट जूस, लाल पेड़ा, लौंगलता समेत अन्य भारतीय व्यंजन का स्वाद लिया। विदेश मंत्री का ट््वीट एक सफल जी-20 डेवलपमेंट मिनिस्ट्रियल की बैठक के बाद आज हम वाराणसी से प्रस्थान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार को उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए आभार। सभी प्रतिनिधि गंगा आरती और सारनाथ दर्शन की अद्भुत स्मृतियों साथ लेकर जा रहे हैं। कल जी-20 की बैठक में लाइफ स्टाइल और सस्टनेबल डेवलपमेंट पर सहमति बनी, जो वास्तव में जीवनदायिनी मां गंगा की ही प्रेरणा है.