बीएचयू की जिद से पीएचडी छात्रों का अधर में भविष्य
वाराणसी (ब्यूरो)। बीएचयू में पीएचडी प्रवेश के लिए जारी की गई नई नियमावली और विवि प्रशासन की जिद से पीएचडी करने वाले छात्रों का भविष्य अधर में है। इस नियमावली के विरोध में पिछले 11 दिन से बीएचयू परीक्षा नियंता कार्यालय पर छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। यहां स्टूडेंट्स डेली अलग-अलग तरीके से विवि प्रशासन को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रदर्शन के दसवें दिन छात्रों ने कैंडल मार्च निकाल कर विवि प्रशासन का विरोध जताया एवं परीक्षा नियंता और कुलपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, बावजूद इसके बीएचयू के जिम्मेदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। छात्रों का कहना है कि बनारस में डेंगू व अन्य बीमारियां फैली हुई हैैं। ऐसे में विवि प्रशासन की वजह से रोज हमारे साथियों की तबियत बिगड़ती जा रही है। धरनास्थल पर बैठे छात्र विकास ने बताया कि हमारी मांगे जायज है। विवि प्रशासन के फरमान के खिलाफ हम लोग लगातार आंदोलनरत हैं और मांगे माने जाने तक उन्हें जगाने का काम करते रहेंगे.
छात्रसंघ पदाधिकारी का समर्थन
बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारी एवं वर्तमान में उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य ओमप्रकाश सिंह ने छात्रों से फोन पर बात कर आंदोलन की जानकारी ली और छात्रों के मांग को जायज बताते हुए विवि प्रशासन पर निशाना साधते हुए चेतावनी दी कि जल्द से जल्द मांगें नहीं मानी गई तो खुद धरनास्थल पर आकर अनिश्चितकालीन आंदोलन में शामिल होंगे। इधर छात्रों का कहना है कि हमारे 11 सूत्री मांगों पर विचार करते हुए विवि प्रशासन ने आधे मांगों को मान लिया हैं। उम्मीद ही है कि सभी मांगों को मान लिया जाएगा.
कुछ मुद्दों पर बनी है सहमति
अभिषेक उपाध्याय ने बताया कि कुलगुरु के आमंत्रण पर छात्रों के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कुलगुरु प्रो। वीके शुक्ल की अध्यक्षता में कुलसचिव प्रो। अरुण कुमार सिंह, मुख्य परीक्षा नियंता प्रो। एनके मिश्र और सहायक परीक्षा नियंता प्रो। ज्ञान प्रकाश सिंह की उपस्थिति में प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की। छात्रों की 11 सूत्री मांगपत्र में कुछ मांगों पर सहमति बनी तो कुछ मांगों को लेकर असहमत हैं। पीएचडी प्रवेश में नेट जेआरएफ के नंबर को जोडऩे, रेट में जेआरएफ के 5 अंक को हटाने के साथ साथ 50 नंबर के टेस्ट बी के प्रावधान पर सहमति बनी है.
इन मुद्दों पर नहीं बन सकी है बात
साल में दो बार एक्जम्प्टेड कैटेगरी का फॉर्म निकालने, एक्जम्प्टेड साक्षात्कार के लिए कॉलिंग, विभागीय सीट निकालने, संबद्ध महाविद्यालयों में सीट आदि के मामले में दोनों पक्षों की आपसी सहमति नहीं बनी। परीक्षा नियन्ता प्रो। एनके मिश्र ने छात्रों को समझाने का प्रयास के साथ धरना प्रदर्शन खत्म करने का आग्रह किया, लेकिन पूरी मांगें नहीं माने जाने तक प्रदर्शन खत्म करने पर छात्र राजी नहीं हुए।
छात्रों की ये हैं मांगें
1- नेट-जेआरएफ की परीक्षा के अंकों के आधार पर नामांकन प्रक्रिया को रद्द किया जाए.
2-विभागीय मनमानी से जानबूझकर सीटें नहीं निकाली जा रही है। विभाग में रिक्त सभी सीटों पर विज्ञापन निकले.
3- नई नियमावली में दलित आदिवासी छात्रों के हितों से खिलवाड़ किया गया है। उनके साथ न्याय हो.
4- रेट में जेआरएफ को प्राप्त 5 अंक को वापस लिया जाए एवं एक्जम्प्टेड में नेट पास विद्यार्थियों को भी 4 अंक दिया जाए.
5- संबद्ध महाविद्यालयों में रिक्त पीएचडी की सीटों को यूजीसी के रेगुलेशन के आधार पर लागू किया जाए.
6- रेट में 6 गुणा और एक्जम्प्टेड कटेगरी में फॉर्म भरने वाले सभी छात्रों को इंटरव्यू प्रक्रिया के लिए बुलावा भेजा जाए.
7- यूजीसी रेगुलेशन के तहत वर्ष में दो बार पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन की व्यवस्था हो.
8- एमफिल द्वारा एक्जम्प्टेड छात्रों का शैक्षिक प्रोफॉर्मेस इंडेक्स कैसे तैयार होगा इसको स्पष्ट किया जाए.
9- सीयूईटी के अतिरिक्त बीएचयू द्वारा अतिरिक्त विभागों के लिए कराई जाने वाली रेट परीक्षा के लिए कोई शुल्क न लिया जाए.
10- सीयूईटी द्वारा यूजी पीजी नामांकन में जो बड़ी धांधली हुई है, उसकी उच्चस्तरीय जांच हो एवं दोषियों को सेवा से बर्खास्त किया जाए.