-पीएनबी के शाखा प्रबंधक व रिकवरी एजेंट पर 1 लाख 95 हजार रुपये हड़पने का आरोप

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

धोखाधड़ी व कूटरचना करते हुए लोन जमा करने के नाम पर एक लाख 95 हजार रुपये हड़पना अर्दली बाजार स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक व रिकवरी एजेंट विकास जायसवाल पर भारी पड़ गया। दोनों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभय श्रीवास्तव की अदालत ने रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश कैंट पुलिस को दिया है।

नहीं सुना मैनेजर ने

कैंट थाना क्षेत्र के वरुणा पुल निवासी मनोज विश्वकर्मा ने अपने अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी के जरिए अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि उसकी मां ने बैंक की अर्दली बाजार शाखा से 14 दिसंबर 2001 को चार लाख रुपये लोन लिया था। जिसकी किश्त भी वह समय-समय पर जमा करती थीं। आरोप है कि दो मार्च 2011 को विपक्षी विकास जायसवाल कुछ लोगों के साथ उसके घर पहुंचा। खुद को बैंक का रिकवरी एजेंट बताते हुए कहा कि लोन काफी समय से भरा नहीं जा रहा है। तुरंत एक लाख 95 हजार रुपये बकाया की मांग की। इस पर पैसा न होने की बात कहने पर अगले दिन आने की बात कहकर सभी चले गए। इस बीच बैंक प्रबंधक से बात करने पर उन्होंने भी उसे अपने यहां का रिकवरी एजेंट बताया। अगले दिन वे लोग आकर फिर घर में घुस गए और जबरन बताये गए रूपए ले गए। जब रसीद की मांग की गई तो लोन जमा होने के बाद देने की बात कही। काफी समय बीत जाने के बाद भी जब रसीद नहीं मिली तो वादी बैंक पहुंचा जहां पता चला कि रुपये नहीं जमा हुए हैं और उक्त शाखा प्रबंधक का भी ट्रांसफर हो गया है। इस पर वादी ने शाखा प्रबंधक को अपने साथ धोखाधड़ी होने की जानकारी दी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान वादी अभी भागदौड़ कर रहा था कि 28 मई 2016 को विकास जायसवाल पुन: वादी के घर आया और बैंक मैनेजर के साथ मिलकर रुपये हड़प लेने की बात कहते हुए उसे गालियां देने व जान से मारने की धमकी दिया। वादी ने इसकी शिकायत कैंट पुलिस संग उच्चाधिकारियों को दी, लेकिन जब कोई कार्रवाई न हुई तो उसने अदालत की शरण ली।

Posted By: Inextlive