Varanasi news : बिजली के तारों से मुक्ति मगर जंजाल बाकी
वाराणसी (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी बनारस को महानगरों की तरह स्मार्ट बनाने के लिए यहां सबसे पहले आसमान में लटकते तारों के जंजाल को समाप्त करने का काम शुरू किया गया था। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आइपीडीएस) के तहत करीब 487 करोड़ की लागत से पुरानी काशी क्षेत्र और वरुणापार क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबलिंग का कार्य किया गया है। योजना के तहत बिजली विभाग की ओर से यहां दर्जनों एरिया को ओवर हेड तारों से मुक्त तो कर दिया गया, लेकिन हकीकत में अभी भी ये एरिया तारों के मकडज़ाल से घिरा हुआ है। जिस मकसद से यहां आईपीडीएस योजना लागू की गई, वो सही मायने में पूरा नहीं हो पाया है। दरअसल इन एरिया में इंटरनेट, टेलीफोन और टीवी केबल के तार अभी लटक रहे हैं। बिजली के तार हटने के बाद उन्हीं बिजली के पोल का सहारे ब्राडबैंड और टीवी केबल वाले अपने इस जंजाल को दिनों-दिन बढ़ाते जा रहे हैं.
जिसकी उपयोगिता नहीं वे भी लटक रहे
एरिया के लोगों का कहना है कि सरकार ने जिस सोच के साथ बनारस को स्मार्ट बनाने के साथ तारों के जंजाल खत्म करने के लिए कार्य कराया, उस स्मार्टनेस को अब ये प्राइवेट कंपनियां खत्म करने पर अमादा हैं। इन पर किसी तरह का कोई कंट्रोल न होने से प्राइवेट केबल ऑपरेटर और ब्रॉडबैंड वालों की मनमानी के चलते एक बार फिर मुहल्लों में तारों का जंजाल फैलने लगा है। सिर्फ यही नहीं बीएसएनएल की ओर से कई साल पहले दौड़ाए गए टेलीफोन के वायर अभी भी इन मुहल्लों में लटक रहे हैं, जबकि अब किसी भी टेलीफोन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। जहां है भी तो वहां वायरलेस है। ऐसे में जब इन तारों की कोई उपयोगिता नहीं है, फिर भी ये लंबे समय से वैसे ही लटक रहे हैं।
दो फेज में पूरा हुआ था काम
बता दें कि आइपीडीएस के तहत पहले चरण में पुरानी काशी में बिजली के तार भूमिगत हुए थे। इसके लिए 431 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि कार्य 362 करोड़ रुपये में ही पूरा हो गया। शेष राशि दूसरे चरण में शिफ्ट कर दी गई। वहीं दूसरे चरण का काम तय मियाद मार्च 2021 से नौ माह विलंब से जनवरी 2022 में पूरा किया गया। बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने की इस परियोजना पर 125.10 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आइपीडीएस परियोजना के दोनों फेज में दर्जनों मुहल्ले तारों के जंजाल से मुक्त हुए हैं। इससे 50 हजार के करीब उपभोक्ताओं की बिजली भूमिगत व्यवस्था से दी जा रही है।
4827 करोड़ से तार-खंभों से मुक्त होगी सिटी
पहले व दूसरे चरण का रिजल्ट देखने के बाद सिटी के बचे हुए इलाके भी तार-खंभे से मुक्त होंगे। इसके लिए रिवैम्पड योजना के तहत 4827 करोड़ रुपये खर्च होने है। जल्द ही यह कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा। इसे सुविधानुसार विभिन्न चरणों में पूरा किया जाएगा.
क्या है आईपीडीएस का फायदा
आइपीडीएस के तहत लगाए गए सभी वितरण पैनल बाक्स से कनेक्शन देकर ताले लगाए गए हैं। नए तरह के बाक्स में इनबिल्ड लाक है, जिसे कोई बाहरी व्यक्ति तोड़ नहीं सकता है। इसके अलावा 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति मिलेगी। बिजली चोरी भी कम हुई है। लाइन लॉस में भी कमी आएगी.
आईपीडीएस के तहत जहां भी कार्य हुआ है, उन एरिया में कहीं भी बिजली के तार नहीं लट रहे हैं। रही बात बिजली के पोल के सहारे इंटरनेट, टेलीफोन और टीवी केबल के लटक रहे तारों की तो इनसे पत्राचार कर जवाब मांगा जाएगा। जहां कहीं भी पुराने बिजली के पोल उपयोग में नहीं हैं, उन्हें हटवाने का प्रयास किया जाएगा.
एपी शुक्ला, चीफ इंजीनियर