Varanasi news: जौनपुर में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सजा, कोर्ट में भीड़ पर रही बनारस की नजर
वाराणसी (ब्यूरो)। अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय ङ्क्षसह को सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद पूर्वांचल की राजनीति और जरायम की दुनिया में सन्नाटा पसर गया। पूर्व सांसद के कोर्ट से बाहर आने के बाद हजारों की संख्या में मौजूद समर्थकों में जबर्दस्त गुस्सा था। कई समर्थकों ने इसे साजिश बताया तो कुछ ने राजनीतिक द्वेष का शिकार। समर्थकों की भीड़ पर वाराणसी से नजर रखी जा रही थी। इस पूरी घटना पर डीआईजी ओपी सिंह की नजर थी। उन्होंने जौनपुर पुलिस प्रशासन से पल-पल जानकारी ली। इसके अलावा वाराणसी, जौनपुर समेत पूरे पूर्वांचल में एलआईयू को सक्रिय कर दिया गया है.
पहली बार सजा हुई
पूर्व सांसद धनंजय ङ्क्षसह के 33 वर्ष के आपराधिक इतिहास में पहली बार सजा हुई है। इन पर 1991 में पहला मुकदमा लाइन बाजार थाने में गाली व धमकी देने, बलवा व संपत्ति को क्षति पहुंचाने के मामले में दर्ज हुआ था। इसके बाद से लगातार कुल 43 मामले दर्ज हुए, लेकिन 42 में गवाही न होने व गवाहों के मुकर जाने से इनको राहत मिलती गई.
इसमें भी मुकरे गवाह
ऐसा पहली बार हुआ है कि वादी व गवाह के मुकरने के बाद भी अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई। कोर्ट द्वारा सुनाए गए निर्णय में विवेचना के दौरान विवेचक द्वारा धनंजय ङ्क्षसह के आपराधिक इतिहास का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि इनके ऊपर 43 आपराधिक मुकदमे लखनऊ, जौनपुर, नई दिल्ली में दर्ज हैं.
बीस फोन व वाट््सएप काल
धनंजय ङ्क्षसह ने इंडिया के नाम से जारी मोबाइल फोन से संतोष द्वारा वादी के मोबाइल नंबर पर 18 जनवरी 2020 से 10 मई 2020 को समय 7.31 बजे शाम तक 20 बार काल की गई थी। इस मोबाइल का प्रयोग धनंजय स्वयं व संतोष विक्रम करते हैं। इसके अलावा अभिनव के अधिकारी मोहनलाल ङ्क्षसघल के मोबाइल पर घटना के दिन के सीडीआर से स्पष्ट हुआ कि धनंजय ने वाट््सएप काल से भी काल कर बात की थी.
साइट पर जाकर दी धमकी
कोर्ट के निर्णय में उल्लेख है कि विवेचना के दौरान साक्षी हरेंद्र पाल ने बयान दिया कि वह नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पचहटिया में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था। 10 मई 2020 की शाम 5.43 बजे अभिनव ङ्क्षसघल ने अपने मोबाइल से उसे मैसेज किया कि धनंजय के आदमी उसे घर ले गए हैं। पुलकित सर को तत्काल सूचित करें। यह देखकर उसने अपने एमडी मोहनलाल ङ्क्षसघल के बेटे पुलकित ङ्क्षसघल को अपहरण की घटना की जानकारी दी। इसके पहले जनवरी माह में भी धनंजय ङ्क्षसह के कुछ लोग साइट पर आकर एमडी को जबरन अपनी गिट्टी व रेत की आपूर्ति के लिए धमकाए थे। 10 मई 2020 को संतोष विक्रम ङ्क्षसह अपने साथ दो अन्य लड़कों के साथ काल रंग की फाच्र्यूनर गाड़ी में ले गए थे.
एफआइआर के बाद धमकी
कोर्ट के फैसले में उल्लेख है कि अभिनव ङ्क्षसघल द्वारा एफआइआर दर्ज करने के बाद उसे जान से मारने की धमकी दी गई। धनंजय ङ्क्षसह से जान का खतरा बताया। विवेचक ने वादी को उसके आवास पर छोड़ा और सुरक्षा की ²ष्टि से दो सशस्त्र गार्ड उसके आवास पर लगाए गए। विवेचना के दौरान वादी अभिनव ने अपने घर मुजफ्फरनगर जाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए थानाध्यक्ष को प्रार्थना पत्र दिया। उसके बाद सुरक्षा व्यवस्था में वादी को घर भेजा गया.