हम नहीं सुधरेंगे, थोड़ा और बिगड़ेंगे
वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में अतिक्रमण की बाढ़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अतिक्रमण के मामले में बनारस चौथा स्थान रखता है। शहर में ऐसा कोई मार्केट या इलाका ऐसा नहीं है जहां अतिक्रमण और अतिक्रमणकारी एक्टिव नहीं हंै। रोड, पाथवे, बाजार, भूमि, साइड वे और अन्य सरकारी स्पेस का अपने सुविधा और लाभ के लिए किए जा रहे अतिक्रमण से रोजाना लाखों लोगों को परेशानी होती है। साथ ही साथ स्मूथ आवागमन में दिक्कत भी होती है। शुक्रवार को यूजर्स ने सोशल मीडिया पर अपने मोहल्ले व शहर में किए गए अतिक्रमणों पर जमकर हमलावर रहे। कुछ ने अतिक्रमण और मनबढ़ों कार्रवाई नहीं होने से प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया.
पब्लिक की नहीं चिंताट्वीटर यूजर आकाश सिंह लिखते हैैं कि हम नहीं सुधरेंगे थोड़ा और बिगड़ेंगे। मानो जैसे बनारस में अतिक्रणकारियों का तकिया कलाम बन गया है। इनको न तो पब्लिक की चिंता है और न ही प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई का भय। माना कि नगर निगम समय-समय पर अभियान चलाता रहता है तिसपर यह हाल है।
अतिक्रमण से परेशानीमनीष शर्मा फेसबुक पर लिखते हैैं कि भूमाफिया रोड, तालाब, पाथ-वे आदि का तो अतिक्रमण कई दशकों से करते आ रहे हैैं। लेकिन, इन दिनों में शहर में एक नए तरह का अतिक्रमण चल रहा है। जिसमें सरकारी बंजर, पट्टïे व स्पेश पर दशकों से काबिज नागरिकों की जमीनों को अवैध तरीके से कब्जाने में लगे हैैं। सारनाथ का तिलमापुर इसका ताजा उदाहरण है.
अपना कुछ नहीं जाता यूजर विशाल नगर निगम को टैग कुछ इस प्रकार सटायर लिखते हैैं कि इसमें सरकार व जनता का घाटा अपना कुछ नहीं जाता। अर्थात नगर निगम की अतिक्रमण के खिलाफ चलाए गए अभियान सिर्फ दुकानों के लकड़ी, पटरे, टेबेल और बर्तन, गुमती, ठेला आदि को उठाना भर रह गया है। इसका नतिजा है कि कुछ ही दिनों में पुन अतिक्रमण हो जाता है। एक अन्य यूजर कोमल वाराणसी पुलिस को निशाने पर लेते हुए लिखते हैैं कि वाराणसी पुलिस का फेवरेट तनी स जेब ढीला करा, थोड़ा सा और कब्जा करा और फाइनलीपब्लिक परेशान। की जा रही खानापूर्तिफेसबुक पर मोनू लिखते हैैं कि गोदौलिया से विश्वनाथ मंदिर गेट नंबर चार तक अतिक्रमण अपने शबाब पर और एट द रेट नगर निगम अपने सुरूर में है। बस वीआईपी और वीवीआईपी के आगमन पर ही केवल सड़कों, गलियों, कैंट रोड, रोडवेज व शहर के अन्य इलाकों को चाक-चौबंद रखने की खानापूर्ति की जाती है। इनके जाते ही अतिक्रमणकारी मस्त और जनता पस्त। यूजर अभय लिखते हैैं कि चंद रोज पहले यूपी के सचिव आए तो कैंट, रोडवेज, इंग्लिशिया लाइन, लंका, गोदौलिया, रथयात्रा समेत अन्य इलाकों से अतिक्रमणकारियों को भगा दिया गया था। उनके जाते ही सड़कों के फुटपाथ, गली, बाजार, पाथवे और पब्लिक स्पेस को लूट लेते है यानि अतिक्रमण की दुकान चला रहे हैैं। बड़ा सवाल यह है कि अतिक्रमण परमानेंट क्यों नहीं रूक रहा है.