पहले आटा गीला, अब दाल हुई पतली
वाराणसी (ब्यूरो)। बड़े व्यापारियों की मनमानी थम नहीं रही है। फरवरी में कालाबाजारी के चलते गेहूं के साथ आटा ने खूब भाव खाया था। त्योहार के बाद इसका भाव खत्म होते ही दाल ने आंखें तरेरनी शुरू कर दी है। एक हफ्ते में दाल की कीमत में करीब 20 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। पहले नंबर एक की अरहर दाल 105 से 110 रुपए किलो थी, अब 125-130 रुपए प्रति किलो मिल रही है। इसी प्रकार मसूर, मूंग व चना दाल के दाम भी पांच से दस रुपए किलो तक बढ़ गए हैं, लेकिन उदर दाल सबसे महंगा 140 रुपये में बिक रहा है। आटा, चावल के बाद अब दाल की कीमत में इजाफा होने से किचन के बजट पर जबर्दस्त असर पडऩे लगा है। महंगाई की मार सिर्फ दाल पर ही नहीं, बल्कि फल-सब्जी और ड्राइफूड पर भी भारी पड़ी है.
लहरतारा व पड़ाव में दाल डंपकोरोना काल से ही अनाज की कालाबाजारी का खेल चल रहा है। दीपावली के आसपास चावल की कीमतें आसमान छू रही थी। इसके बाद गेहूं की किल्लत बताकर आटा का रेट खूब भागा। अब दाल का दाम बढ़ रहा है। बड़े व्यापारियों ने दाम की कीमत बढऩे की वजह बारिश बताई है, जबकि असली वजह कुछ और है। बड़े व्यापारियों ने मिलकर लहरतारा व पड़ाव में भारी मात्रा में अरहर दाल डंप कर रखा है। बाजार में दाल की किल्लत बताकर मनमाना रेट बढ़ा रहे हैं। कोरोना काल की तरह छापेमारी की जाएगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी.
सोच-समझकर खरीदारी एक ओर लोग पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं। इसपर भी दिनोंदिन अलग-अलग खाद्य से जुड़े सामान की कीमत बढऩे से आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। घरेलू गैस, पेट्रोल, डीजल, मस्टर्ड ऑयल समेत लगभग हर सामान की कीमत पहले से बढ़ी हुई है। सामानों के बढ़े हुए दामों ने लोगों को सोच-समझ कर खरीदारी करने पर विवश कर दिया है। फिलहाल लोगों को इससे कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. रेट अब पहले अरहर दाल 130 110 चना दाल 75 70 मूंगदाल 110 100 उरद दाल 140 100 उदर का धोया 105 100 राजमा 160 140 काबली चना 120 115 चना 65 60 दाल के दाम में पहले ही 10 से 20 रुपए प्रति किलो की तेजी आ चुकी है। वहीं, खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि अभी कई ब्रांडेड कंपनियां कीमतों में और इजाफा करने की तैयारी में हैं, जिससे आने वाले दिनों में लोगों को और महंगाई का सामना करना पड़ सकता है.मनोज गुप्ता, दुकानदार
रसोई के बजट में पांच से सात सौ रुपए का असर पड़ा है। एक महीने पहले किचन के सामान ढाई से तीन हजार खर्च करने पर पूरे हो जाते थे। लेकिन, अब चार हजार रुपए के बजट में भी पूरा सामान नहीं हो पा रहा है. विकास कश्यप, ग्राहक महंगाई बढ़ती ही जा रही है। इस पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। थोक व्यापारियों से ही रेट बढ़ाकर मिल रहा है। पूछने पर बताया जाता है कि बारिश की वजह से आवक पर असर पड़ा है। इसलिए दाम में तेजी है. प्रतीक गुप्ता, दुकानदार किचन में उपयोग होने वाले रोजमर्रा के सामान की कीमत भी थोड़ी-थोड़ी बढ़ती जा रही है। गैस और पेट्रोल ने पहले ही रुला रखा है। चार से पांच हजार रुपए का सिर्फ किचन का बजट बन रहा है। सब्जी में हर दिन होने वाला खर्च अलग है. आकाश कुमार, ग्राहक