दशाश्वमेध घाट पर बदले स्थान से हुई आरती ललिता घाट के साथ सात घाटों का टूटा संपर्क मणिकर्णिका घाट का एक रैंप डूबा दूसरे और तीसरे रैंप पर हो रहा शवदाह बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन गुरुवार को सुबह नमो घाट पर करेगा मॉकडिल

वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। बुधवार को जलस्तर हर घंटे 2 सेंटीमीटर बढ़ रहा था। पानी बढऩे से गंगा आरती स्थल 10 फीट पीछे खिसक गया है। मणिकर्णिका घाट का एक रैंप भी डूब गया है। शवदाह अब दूसरे और तीसरे रैंप पर हो रहे हैं। बाबा विश्वनाथ धाम और मणिकर्णिका घाट के बीच कनेक्शन भी टूटने के कगार पर है। अभी तक कुल सात घाटों का संपर्क टूट गया है। जलस्तर बढऩे पर गुरुवार को जिला प्रशासन की ओर से नमो घाट पर मॉकडिल किया जाएगा.

बदला आरती का स्थल

वाराणसी में लगातार बढ़ रहे गंगा के जलस्तर के चलते बुधवार को दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती का स्थल बदल दिया गया। आरती स्थल पर गंगा का पानी आ जाने का कारण आरती स्थल को पीछे कर दिया गया है। आयोजकों का कहना है कि हर साल दो से तीन महीने मां गंगा अपने रौद्र रूप में हो जाती हैं। जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ता है, आरती के स्थल को थोड़ा पीछे कर लिया जाता है.

शिखर तक पानी

मणिकर्णिका घाट के पास स्थित 9 डिग्री झुके रत्नेश्वर महादेव के शिखर तक गंगा का पानी आ गया है। मंदिर का गर्भगृह और मंडप गंगा में जलमग्न हो गया है। शीतला मंदिर तक पानी पहुंच चुका है। गंगा के हर घाट संकरे होने लगे हैं। घाटों की चौड़ाई घटने से सैलानियों और पर्यटकों को चहलकदमी में काफी दिक्कतें आ रहीं हैं.

ललिता घाट तक पानी

ललिता घाट पर पानी आ चुका है। मंदिर के बाहर बने पोल को पार करते हुए पानी गंगा द्वार की ओर बढ़ रहा है। एक रैंप पानी में समा चुका है। अब तक कुल 7 घाटों का आपसी संपर्क टूट गया है। जिसमें शिवाला घाट, हनुमान घाट, तुलसी घाट, भदैनी घाट और निरंजनी घाट, त्रिपुरा भैरवी घाट और मीरघाट शामिल हैं.

कानपुर से छोड़ा पानी

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बुधवार रात 8 बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 63.18 मीटर पर आ गया है। पानी 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बढ़ रहा है। कानपुर बैराज से छोड़ा गया करीब 3 लाख क्यूसेक पानी वाराणसी पहुंच रहा है। इसका असर अब देखने को मिल रहा है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर वॉर्निंग लेवल 70.262 मीटर से 7.38 मीटर दूर है। वहीं, डेंजर लेवल 71.262 से 8 मीटर की दूरी पर गंगा हैं। वाराणसी में 9 सितंबर, 1978 को गंगा का जलस्तर सबसे ज्यादा 73.901 तक पहुंच गया था। अभी वाराणसी में गंगा का जलस्तर इससे 11 मीटर कम है.

पंडा-पुरोहित हटने लगे पीछे

गंगा के बढ़ते जलस्तर को देख नाविक, टीका चंदन वाले, पंडा-पुरोहित, सन्यासी, अघोरी सभी अब अपना-अपना बोरिया-बिस्तर समेट रहे हैं। हर कोई अपनी चौकी और छतरी लेकर चार कदम पीछे हटता चला जा रहा है। दरभंगा घाट, दशाश्वमेध घाट और पंचगंगा घाट की ओर पानी काफी तेजी से बढ़ रहा है। घाटों की 12 से ज्यादा सीढिय़ां डूब चुकी हैं.

बाढ़ से निपटने को तैयार : डीएम

डीएम एस राजलिंगम ने बताया कि आपदा से निपटने की तैयारी पूरी है। गंगा जलस्तर की 24 घंटे मानीटरिंग चल रही है। बाढ़ के दौरान बनने वाले राहत शिविरों के जगह चिन्हित कर लिए गए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों के घरों में राहत सामग्री का बंदोबस्त और स्वास्थ्य विभाग ने दवाईयों का पूरा इंतजाम कर लिया है। कंट्रोल रूम एक्टिव है। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को महफूज जगह पर पहुंचा दिया जाएगा। वहां पर राहत चौपालें बनाई जा रहीं हैं। गोतोखारों और नाविकों की पूरी सूची हमारे पास है। एनडीआरएफ की टीम गंगा में तैनात है। साथ ही सीडीआरएफ और पीएसी को तैनात किया जाएगा.

Posted By: Inextlive