Varanasi news: साइबर क्राइम से फिफ्टी-फिफ्टी लड़ाई
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर में साइबर अपराध बढ़े हैं। इन्हें कंट्रोल करने के लिए कमिश्नरेट पुलिस कितनी कोशिश कर रही है। थानों में खुले साइबर और महिला हेल्प डेस्क कितनी एक्टिव है। इसे जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने सिगरा, कैंट और चेतगंज यानी तीन थानों की पड़ताल की तो मामला फिफ्टी-फिफ्टी निकला। कैंट थाने में साइबर और महिला डेस्क फुल एक्टिव दिखी। चेतगंज में फ्रंट पर नहीं, अंदर काम चल रहा था, लेकिन सिगरा में साइबर डेस्क की टीम गायब मिली। पड़ताल के दौरान एक और चौकाने वाली जानकारी सामने आई। साइबर और महिला से जुड़ी शिकायतें इन तीन थानों पर औसतन चार दिन में एक पहुंचती है, जबकि साइबर थाना-सेल में औसतन हर दिन 15 शिकायतें पहुंचती हैं।
सीन-1: कैंट थाना
कैंट थाने पर दैनिक जागरण आईनेस्ट टीम दोपहर लगभग तीन बजे पहुंची तो सबसे पहले महिला हेल्प डेस्क मिली, जहां दो महिला कांस्टेबल रजिस्टर देख रही थीं। जनवरी से अब तक कुल 29 शिकायतें आईं, जिसमें 12 मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है। ठीक उसके सामने साइबर डेस्क पर पुलिस मुस्तैद दिखी। वहां तैनात एसआई सुबोध पांडेय ने बताया कि प्रतिदिन केस नहीं आता। जनवरी से अब तक लगभग 34 शिकायतें आईं। इसमें 6 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है। छोटे मामलों को थाने में निपटा दिया गया, जबकि बाकी मामलों को साइबर थाना भेज दिया गया।
सीन-2: चेतगंज थाना
टीम लगभग चार बजे चेतगंज थाना पहुंची। महिला हेल्प डेस्क पर अतिमा मौर्य मुस्तैद दिखीं, जबकि जनसुनवाई डेस्क भी एसआई मौजूद थे, लेकिन साइबर हेल्प डेस्क की कुर्सी खाली मिली। इसकी जानकारी की गई तो पता चला कि साइबर से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई अंदर कम्प्यूटर कक्ष में होती है। कम्प्यूटर कक्ष में संपर्क करने पर कांस्टेबल आदर्श सिंह से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि शिकायतों को रजिस्टर्ड करने के लिए कम्प्यूटर की जरूरत होती है, इसलिए इसी कक्ष में बैठने की जरूरत पड़ती है। महिला हेल्प डेस्क पर मौजूद अतिमा मौर्य कहती हैं कि रोज शिकायतें नहीं आती है, औसतन तीन-चार दिन में एक या दो शिकायतें आती है, जिसका तत्काल निस्तारण कराया जाता है।
सीन-3: सिगरा थाना
लगभग साढ़े चार बजे टीम सिगरा थाने पर पहुंची तो साइबर हेल्प डेस्क पर शिकायत कर्ता को अटेंड करने के लिए कोई नहीं दिखा। यानी चेयर खाली मिली। डेस्क के सामने तीन या चार कांस्टेबल मौजूद दिखे। करीब 20 मिनट तक इंतजार भी किया। बावजूद इसके डेस्क इंचार्ज नहीं पहुंचे। हालांकि महिला हेल्प डेस्क पर दो महिला आरक्षी मौजूद दिखीं, लेकिन कोई शिकायत करने वाली नहीं पहुुंची थी।
इस तरह से फंसाते हैं साइबर ठग
- ऑनलाइन जाब या पार्ट टाइम जाब का लालच देना.
- कमीशन का लालच देकर रुपए ट्रांसफर करवाना
- क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर रुपये जमा कराना
- टेलीग्राम पर फर्जी ट्रेडिंग चैनल बनाकर निवेश करवाना
- लाभ दिखाकर रुपये फर्जी बैंक खातों में जमा करवाना
- प्रोडक्ट की रेटिंग बढ़ाने के नाम पर रुपये जमा करवाना
- लाभ दिखाकर रुपये ब्लाक करके ग्रुप डिलीट कर देना
साइबर फ्रॉड से ऐसे करें बचाव
-किसी भी लिंक या वेबसाइट की वैधता जांच लें.
-ज्यादा रिटर्न सदैव फ्रॉड करने के उद्देश्य से दिया जाता है, इससे बचें.
-जॉब/पार्ट टाइम जॉब में अपना गोपनीय जानकारी कभी नहीं दें.
-किसी भी तरह का रिमोट एक्सेस साफ्टवेयर जैसे क्विकसपोर्ट, एनीडेस्क आदि कभी भी इंस्टॉल न करें.
हेट कंटेेंट की निगरानी
ऐसी ही साइबर की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए वाराणसी पुलिस ने प्लान बनाया है। वाराणसी पुलिस ने शहर में बढ़ रहे हेट कंटेंट के मामलों के मद्देनजर सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स की मॉनिटरिंग बढ़ा दी है। इसके लिए वाराणसी पुलिस ने सोशल मीडिया एक्सपट्र्स की टीम बनाई है।
हर दिन साइबर की 12 घटनाएं
वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की सख्ती और सतर्कता के बावजूद शहर में हर दिन औसतन 12 घटनाएं हो रही हैं। जनवरी 2024 से अब तक 735 साइबर ठगी के मामले साइबर थाना और सेल में आए हैं। 12 करोड़ रुपये से अधिक का फ्रॉड हुआ है, जिसमें लगभग 2 करोड़ का रिफंड कराया गया है।
साइबर क्राइम रोकने के लिए लगातार प्रयास जारी है। थानों में खुले हेल्प डेस्क से काफी मदद मिल रही है। इसके अलावा सोशल मीडिया एक्सपट्र्स की विशेष टीम द्वारा ठग गिरोह, हिंसा भड़काने और लोगों को उकसाने वाले कंटेंट पर नजर रखी जा रही है। साइबर की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए वाराणसी पुलिस ने प्लान बनाया है।
चंद्रकांत मीणा, डीसीपी साइबर क्राइम