बनारस में पकड़ी गई 7.5 करोड़ की नकली दवा
वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में एसटीएफ ने कैंट रोडवेज के पीछे चर्च कालोनी व ट्रांसपोर्ट क्षेत्र लहरतारा के महेशपुर से 7.5 करोड़ की नकली दवा बरामद की है। विभिन्न नामी कंपनियों के नाम पर बनी ये नकली दवाएं 316 कार्टून में पैक थीं। नकली दवा का कारोबार करने वाले गिरोह के सरगना अशोक कुमार को अरेस्ट किया गया है। ये पश्चिमी यूपी के बुलंदशहर का निवासी है। इसने पूछताछ में वाराणसी के तीन समेत 12 लोगों के नाम का खुलासा किया है, जो धंधे के साझेदार हैं। इनकी धर-पकड़ के लिए कमिश्नरेट पुलिस छापेमारी कर रही है.
उड़ीसा घटना के बाद हुई सक्रियवाराणसी एसटीएफ प्रभारी विनोद सिंह ने बताया कि उड़ीसा के बारगढ़ व झाडड़ूकड़ा में बरामद नकली दवा को वाराणसी से भेजे जाने के साक्ष्य मिलने के बाद से एसटीएफ की टीम जुट गई थी। पिछले कुछ महीनों से टीम नकली दवा गैंग पर नजर बनाए हुए थी। गुरुवार को गैंग के सरगना अशोक कुमार के सिगरा थाना क्षेत्र की चर्च कालोनी में मौजूद होने की पुख्ता जानकारी मिली। टीम ने घेरेबंदी करके उसे एक मकान से गिरफ्तार कर लिया।
12 लोग हैैं शामिलपूछताछ में बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाना क्षेत्र की टीचर्स कालोनी के रहने वाले अशोक कुमार ने कई अहम जानकारियां दी। उसकी निशानदेही पर मकान में रखे 108 पेटी नकली दवा बरामद की गई। चार लाख चालिस हजार रुपये, कूटरचित बिल, अन्य दस्तावेज तथा एक फोन बरामद किया। पूछताछ में मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के महेशपुर लहरतारा स्थित गोदाम में भारी मात्रा में नकली दवा होने की जानकारी मिली। एसटीएफ ने गोदाम में छापा मारकर 208 पेटी नकली दवा बरामद की।
कई नाम का किया खुलासा अशोक ने कई नाम का खुलासा किया, जो इस गोरखधंधे में उनके साथी हैं। उसमें प्रयागराज के रोहन श्रीवास्तव, बिहार पटना के रमेश पाठक, दिलीप, बिहार के पूर्णिया के अशरफ, हैदराबाद के लक्ष्मण वाराणसी के शिवपुर के नीरज चौबे, डा। मोनू, रेहान, बंटी, आशापुर के शशांक मिश्रा, एके सिंह, सोनभद्र के न्यू बस्ती परासी के अभिषेक कुमार सिंह शामिल हैं। इन साथियों की मदद से वह अपने कमरे व गोदाम पर स्टोर करता था। बसों पर माल रखने वाले कुलियों व बसों, ट्रांसपोर्ट के माध्यम से कोलकाता, उड़ीसा, बिहार, हैदराबाद व उत्तर प्रदेश के वाराणसी, आगरा, बुलंदशहर में दवा कारोबार करने वालों को सप्लाई करता था. बुलंदशहर में जुड़ गया था नकली दवा के धंधे सेनकली दवा का धंधा करने वाले गिरोह का सरगना अशोक कुमार हाईस्कूल फेल है। उसने वर्ष 1987 में बुलंदशहर के किसान इंटर कालेज से हाईस्कूल की पढ़ाई की, लेकिन फेल होने पर पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद गद्दे की फैक्ट्ररी में मजदूरी करने लगा। वर्ष 2003 में मजदूरी छोड़कर सात साल आटो रिक्शा चलाया। कमाई अच्छी नहीं होने के कारण फिर से गद्दे की कम्पनी में नौकरी करने लगा और लगातार 10 साल तक काम किया। काम के बदले उसे हर महीने 12,000 रुपये मिलते था। एक बार फिर से नौकरी छूट गयी और वह फिर से आटो चलाने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात बुलंदशहर के ही नीरज से हुई। वह नकली दवाओं का काम करता था। अशोक अपने ऑटो से नकली दवा की सप्लाई करने लगा। यहीं से उसे इस काले कारोबार के बारे में जानकारी हुई। शुरू में उसने नीरज से ही थोड़ी बहुत नकली दवा खरीदकर स्थानीय झोलाछाप डाक्टरों को बेचने लगा।
बनारस में चोरी-छिपे रहने लगावर्ष 2019 में अमरोहा में नीरज की बेची गई नकली दवा पकड़ी गई। इसमें नीरज का नाम आने के बाद पुलिस नीरज को पूछताछ के लिये पकड़ ले गई। इस मामले में नीरज के पिता ने पुलिसवालों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद अशोक वहां से भागकर तीन वर्षों से वाराणसी में रोडवेज बस स्टेशन के पीछे चर्च कालोनी में किराये का कमरा व लहरतारा में गोदाम लेकर हिमाचल प्रदेश से नामी-गिरामी पेटेंट दवा कंपनियों के नाम की नकली दवायें बनाने वालों हरियाणा के पंचकूला के अमित दुआ, हिमाचल प्रदेश के बद्दी के सुनील व रजनी भार्गव से संपर्क कर नकली दवायें, फर्जी बिल्टी व बिल से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से दवा मंगाने लगा.