बनारस में हर दिन सात बेरोजगार ठगी का शिकार
वाराणसी (ब्यूरो)। नामी-गिरामी कंपनियों के फर्जी इश्तिहार सिर्फ शहर की दीवारों यानी ऑफलाइन ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन भी भरमार है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में कई जानकारी सामने आई है। बनारस में हर दिन औसतन सात बेरोजगार ठगी का शिकार होते हैं। कभी पेंसिल पैकिंग, स्टोर में सुपरवाइजर, पार्ट टाइम, फुल टाइम जॉब के नाम पर ठगी की शिकायत साइबर सेल में आती है। एक या दो महीने के अंतराल पर नौकरी के नाम पर ग्रुप में बेरोजगारों को ठगने का मामला सामने आता है। एक सप्ताह पहले नौकरी के लिए कनाडा भेजने के नाम पर वाराणसी के 50 से ज्यादा बेरोजगार युवकों से लाखों रुपये की ठगी हुई थी.
पूरे पूर्वांचल में फैला है जालपिछले छह माह के अंदर वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, बालिया, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर में दर्जनभर से अधिक युवा फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर नामी-गिरानी कंपनियों के अलावा एयरपोर्ट पर नौकरी करने पहुंच जाते हैं। अधिकारियों द्वारा जब बताया गया कि ऐसी कोई भर्ती नहीं निकली है और नियुक्ति पत्र फर्जी है, तब उनको अपने साथ ठगी होनी की जानकारी होती है। अधिकारियों का मानना है कि इसके पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ है। गिरोह के सदस्य इंटरनेट से बड़ी कंपनियों, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, एयरलाइंस व एयरपोर्ट पर सेवा देने वाली एजेंसियों के अधिकारियों के नाम खोजते हैं और वहीं से संबंधित विभाग का लोगो डाउनलोड कर फर्जी नियुक्ति पत्र बनाकर बेरोजगार युवाओं को दे देते हैं.
साइबर सेल व थानों पर शिकायतें साइबर सेल के अनुसार नौकरी के नाम पर ठगी की शिकायत लगातार आ रही है, जिसमें ज्यादा ऑनलाइन फ्रॉड की होती है। सेल में हर महीने औसतन 20 शिकायतें आ ही जाती है। इसके अलावा साइबर समेत वाराणसी में कुल 29 थाना है, जहां भी हर महीने औसतन 200 शिकायतें आ जाती हैं। हालांकि शिकार लोगों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है, क्योंकि आधे से अधिक लोग शिकायत ही नहीं करते हैं। वह पुलिस व थानों के चक्कर में पडऩे से बचते हैं. गाइडलाइन पर दें ध्यान -सोशल मीडिया पर प्रदर्शित होने वाले नामी कंपनियों के जॉब ऑफर पर तुरंत क्लिक नहीं करें, अधिकतर फर्जी होती है। अप्लाई या भरोसा करने से पहले संबंधित कंपनी के आफिस या अधिकृत वेबसाइट पर जाकर इसकी तहकीकात करें. -अपनी बैंकिंग संबंधित गोपनीय जानकारी जैसे एटीएम तथा क्रेडिट कार्ड का सीवीवी नंबर, ओटीपी, यूपीआई पिन, अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड किसी भी अज्ञात व्यक्ति से साझा ना करें.-किसी के कहने पर स्क्रीन शेयरिंग एप जैसे एनीडेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम विवर, अल्पीमिक्स आदि ना डाउनलोड करें, इससे आपका मोबाइल हैक हो सकता है.
-इस बात का ध्यान रखें कि यूपीआई पिन डालने तथा कोई भी पेमेंट रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने या क्यूआर कोड स्कैन करने से आपके खाते से ही पैसे कटेंगे. -कोई भी अपरिचित वीडियो कॉल उठाने से बचें. साइबर फ्र ॉड का शिकार हो जाने पर तत्काल साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930, वेबसाइट 222.ष्4ड्ढद्गह्म्ष्ह्म्द्बद्वद्ग.द्दश1.द्बठ्ठ या नजदीकी पुलिस स्टेशन के साइबर हेल्पडेस्क पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. ठगी के केस -28 जनवरी 23 : कनाडा भेजने के नाम पर वाराणसी के 50 से ज्यादा बेरोजगार युवकों से लाखों रुपये की ठगी हुई थी। -5 दिसंबर 22 : विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर सैकड़ों युवकों से करोड़ों रुपये ऐंठने का मामला सामने आया था। -21 फरवरी 22 : सेना, रेलवे, सिंचाई विभाग समेत विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। गिरोह ने 100 से अधिक युवकों को शिकार बनाया था. -24 अक्टूबर 22 : बड़ागांव थाना क्षेत्र में विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर 90 हजार की ठगी हुई थी.-15 सितंबर 22 : रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 20 से अधिक युवकों से लाखों रुपये ठगी का मामला सामने आया था। इस मामले में सीआईबी इकाई ने एक आरेापी को कैंट स्टेशन से गिरफ्तार किया था.
-3 अप्रैल 22 : मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के अमिनी गांव निवासी आधा दर्जन लोगों से सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 30 लाख रुपये ठगी हुई थी। पुलिस ने मुंबई व दिल्ली निवासी चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. कंपनी की शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं फर्जी नौकरी के इश्तिहार के संबंध में अमूल कंपनी की ओर से 23 मई 22 को एडीएम सिटी के नाम से शिकायत पत्र दिया गया था। कंपनी ने बताया था कि शहर में बैनर, पोस्टर, पंफलेट के जरिए आम लोगों के साथ ठगी का खेल चल रहा है। इस मामले पर कार्रवाई के लिए एडीएम सिटी की ओर से अपर पुलिस उपायुक्त काशी व वरुणा जोन को अग्रसारित किया गया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.