बनारस मंडल में एक महीने में 1429 ट्रांसफार्मर फुंके 22 ट्रॉली ट्रांसफार्मर भी लोड के चलते जवाब दे गए

वाराणसी (ब्यूरो)गर्मी से पहले सिस्टम से लेकर साफ्टवेयर तक अपडेट करने वाले बिजली विभाग को जोर का झटका लगा है। एक माह के अंदर 82 फीसदी ट्रांसफार्मर फुंक गए। बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है और ट्रांसफार्मर जलने का क्रम रुक नहीं रहा है। ट्रांसफार्मर फुंकते ही संबंधित इलाकों की बत्ती कई-कई घंटे गुल हो रही है.

ट्रॉली ट्रांसफार्मर की निकली हवा

बिजली विभाग की तरफ से जिस भी इलाके में ट्रांसफार्मर जल जाता है, वहां बिजली की सप्लाई सामान्य करने के लिए ट्रॉली ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है। मगर लोड इतना है कि ट्रॉली ट्रांसफार्मरो ने भी जवाब देना शुरू कर दिया। बिजली विभाग के भिखारीपुर वर्कशाप से मिली जानकारी के अनुसार एक माह के भीतर 22 ट्रॉली ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग के लिए पहुंचे। मरम्मत करने के बाद संबधित सर्किलों को वापस सौंपा गया.

595 मेगावाट हो गई डिमांड

शहर में तीन लाख से ज्यादा बिजली उपभो1ता हैं। इनकी डिमांड मार्च में 480 मेगावाट थी तो अप्रैल में 520 मेगावाट हो गई। मई में बढ़कर 595 मेगावाट पहुंची। ऐसे में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इतनी भारी भरकम डिमांड के कारण शहर के ट्रांसफार्मर ओवरलोडिंग के कारण फुंक रहे हैं। यह भी तथ्य सामने आया है कि कई ट्रांसफार्मर मेंटिनेंस के अभाव में और समय से तेल नहीं भरे जाने के कारण भी फुंके.

अतिरिकत फंड की हुई डिमांड

गर्मी से पहले बिजली व्यवस्था को पटरी पर बहाल रखने के लिए शासन स्तर से विभाग को 10 करोड़ का फंड आवंटित किया गया था। ऐसे में विभाग के द्वारा उस फंड से कुछ हद तक कार्य भी करवाए गए। दूसरी तरफ जी 20 के कारण ट्रांसफार्मर पोल शिफ्टिंग के कारण आंवटित मद में से भी खर्च करना पड़ा.ऐसे में विभाग की तरफ से बिजली की सप्लाई को जून से लेकर अगस्त तक सही तरीके से बहाल बनाए रखने के लिए 10 करोड़ अतिरिकत की डिमांड डिस्काम कार्यालाय से की गई है.

कहां फुंके कितने ट्रांसफार्मर

सर्किल प्रथम-29

सर्किल द्वितीय-31

सर्किल ग्रामीण-358

चंदौली-371

गाजीपुर-233

जौनपुर प्रथम-274

जौनपुर द्वितीय-133

जिस भी लोकेशन पर ओवरलोडिंग के कारण ट्रांसफार्मर फुंकने की समस्या आ रही है, वहां पर ट्रॉली की मदद से व्यवस्था को बहाल किया जा रहा है.

अनूप सक्सेना, अधीक्षण अभियंता, सर्किल प्रथम

ट्रांसफार्मर को फुंकने के बाद रिपेयरिंग के लिए वर्कशाप में भेजा जाता है। वहां से आने में दो से तीन दिन का समय लग जाता है। ऐसे में तब तक ट्रॉली की मदद ली जाती है.

अनिल कुमार वर्मा, अधीक्षण अभियंता, सर्किल द्वितीय

ग्रामीण इलाकों के कटियामारों के कारण समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वहां पर ट्रॉली की मदद ली जा रही है। इसके साथ ही वर्कशाप डिवीजन से अतिरिक्त वैकल्पिक ट्रांसफार्मर की भी मांग की जा रही है.

विजयराज सिंह, अधीक्षण अभियंता, सर्किल ग्रामीण

Posted By: Inextlive