बनारस में बिजली-पानी संकट, सड़क पर पब्लिक
वाराणसी (ब्यूरो)। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने दूसरे दिन भी प्रशासन की व्यवस्था की हवा निकाल दी। पूरे शहर में बिजली-पानी को लेकर हाहाकार की स्थिति रही। प्रशासन के आश्वासन से 24 घंटे में ही लोगों का सब्र भी टूट गया। कई इलाकों में बिजली दो, पानी दो के नारे के साथ पब्लिक सड़क आ गई। सोशल मीडिया पर दिनभर बिजली-पानी संकट ट्रेंड करता रहा। वाराणसी में सीएम योगी आदित्यानाथ की मौजूदगी और बिजली कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती रवैये के बावजूद आम व खास की परेशानी कम नहीं हुई.
दूसरे दिन हालत और बिगड़ गएसीएम के सख्त एक्शन के आदेश के बावजूद बिजली कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। सभी विद्युत उपकेंद्र और फीडर पुलिस व प्रशासन के लोगों की मौजूदगी के बावजूद पूरे शहर में कहीं रोशनी तो कहीं अंधेरे की आंख मिचौली चलती है। दूसरे दिन भी तीनों सर्किल में आने वाले 56 विद्युत उपकेंद्र पूरी तरह से ठप ही रहे। सभी उपकेंद्रों पर तैनात पुलिसकर्मी सिर्फ मूक दर्शक ही बने रहे। फीडर से लेकर सिटी कमांड सेंटर पर लोगों की शिकायतें आती रहीं, लेकिन टेक्नीकल हैंड न होने से शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पाया.
सप्लाई ठप, गैलन के सहारे बिता दिनहड़ताल के चलते दूसरे दिन शहर के अधिकतर हिस्सों में पानी को लेकर हाहाकार की स्थिति रही। डेढ़ सौ से अधिक मुहल्लों में पिछले 48 घंटों से पानी का संकट बरकरार है। हालांकि प्रशासन की ओर से कई मुहल्लों में जनरेटर की मदद से ट्यूबवेल और मिनी ट्यूवबेल से पानी की आपूर्ति कराई गई, लेकिन आबादी के हिसाब से जरूरत पूरी नहीं हुई। कुछ जगहों पर दूषित जलापूर्ति की शिकायत भी आई। जरूरत पूरी नहीं होने पर कई परिवारों ने गैलन का पानी मंगाकर काम चलाया। डिमांड ज्यादा होने के कारण गैलन का मनमाना रेट वसूला गया.
जनरेटर और कैंडल की रोशनी में हुआ कामकाज शहर में बिजली के सहारे ही सारी व्यवसायिक गतिविधियां संचालित होती हैं, लेकिन हड़ताल के चलते दूसरे दिन भी कहीं बिजली की सप्लाई तो कहीं कट का खेल चलता रहा। कई इलाकों में 24 से 48 घंटे तक बिजली गुल होने से व्यवसायिक गतिविधियां बाधित रहीं। हालांकि लोगों ने जनरेटर व कैंडल के सहारे से व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने का प्रयास किया। जनरेटर का मनमाना रेट लिये जाने के कारण अधिकतर कारोबारियों ने कैंडल के सहारे काम चलाया. 45 करोड़ का घाटाबिजली कर्मियों की हड़ताल के कारण बिजली विभाग को जबरदस्त घाटा हुआ। विभाग के 100 से ज्यादा कैश काउंटर बंद होने से बिजली बिल जमा नहीं हुआ। इसके अलावा कई और भी वित्तीय लेन-देन नहीं हुआ। आकलन के अनुसार विभाग को अब तक 45 करोड़ से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ है.