नो कम्प्रोमाइज, डॉगी की सेहत का सवाल है
वाराणसी (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी बनारस के डॉग लवर्स अपने डॉगी की सेहत से कोई समझौता नहीं करना चाहते। उनका टॉमी फिजीकली और मेंटली दोनों तरह से फिट हो, इसके लिए उन पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। डॉग लवर्स अपने टॉमी के खाने-पीने से लेकर दवा-दूध तक में किसी तरह की कोई कोताही बरतना नहीं चाहते। यही नहीं उनका टॉमी सबसे स्मार्ट दिखे, इसके लिए भी उनके एसेसरीज और ब्यूटी प्रोडक्ट की भी मार्केट में खूब मांग हो रही है। पालतू कुत्तों का शौक रखने वाले अपने टॉमी को बेहतर सुख-सुविधा देने के लिए उन पर दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं। करे भी क्यों न, आखिर उनके सेहत की जो बात है.
5 साल में दोगुना पहुंचा कारोबारबनारस में जिस स्पीड के साथ कुत्ता पालने वालों की संख्या बढ़ रही है, उतनी ही स्पीड के साथ कुत्तों के फूड व अन्य प्रोडक्ट का बाजार भी बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक 5 साल पहले जो मार्केट 100 करोड़ का था, वह आज एक साल में 200 करोड़ के आसपास पहुंच गया है। इसमें डॉग फूड, मेडिसीन, ब्यूटी प्रोडक्ट, एसेसरीज आदि शामिल है। इन प्रोडक्ट की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। इन प्रोडक्ट को बेचने के लिए कई नई कंपनियां भी मार्केट में उतर आई हैं। शायद यही वजह है कि अब ये डॉग फूड सिर्फ डॉग कैनल या पेट शॉप तक ही नहीं ग्रॉसरी शॉप व जनरल स्टोर्स पर भी मिलने लगे हैं।
विदेशी नस्ल के डॉग का बढ़ा कारोबार सिटी के लोगों में अब विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालने का शौक काफी बढ़ गया है। इसलिए अब यह बड़ा कारोबार भी बन गया है। शहर में लेब्राडोर, पवेलियन, जर्मन शेफर्ड, गोल्डन रिट्रीवर, पेम्ब्रोक वेल्श कॉर्गी, नियपोलिटन, दचशुंड, पग, बीगल, रोटवीलर, जर्मन शॉर्टएयर पॉइंटर, बॉक्सर, ग्रेट डेन, कैवेलियर किंग चाल्र्स स्पैनियल, मिनिएचर स्केनौजऱ, शिहत्ज़ू, अंग्रेजी स्प्रिंगर, बुल टेरियर, सेस्की टेरियर, माल्टीज जैसे तमाम नस्ल के कुत्ते बेचे जा रहे हैं। इन कुत्तों की खिदमत में कोई कमी न रहने पाए इसलिए इन पर महंगे सप्लीमेंट, फूड, दवा आदि पर खर्च किया जा रहा. स्टेटस सिंबल बन रहा डॉग रखनाएक्सपर्ट की मानें तो डॉग रखना अब स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। लोगों में महंगे डॉग रखने का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ा है। रेटरिएवेर, यॉर्कशायर टेरियर, पूडल लैब्राडोर, ऑस्ट्रेलियाई शेफर्ड, डोबर्मन पिंसर, बोस्टन टेरियर, केन कोरो, स्पैनियल (कॉकर), बासेट हाउंड, डालमेटियन, सेंट बर्नार्ड, बुलमास्टिफ, बॉयकिन स्पैनियल, बर्नीज़ माउंटेन डॉग, पोमेरेनियन जैसे तमाम डॉग लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। अब कुत्ता जितना महंगा होगा, उनकी डाइट भी उतनी ही महंगी होगी। इसलिए लोग इनकी डाइट से कोई समझौता नहीं कर रहे। वर्तमान में शहर के हजारों घरों में इस तरह के डॉग पल रहे हैं। इसी का नतीजा है कि इसका कारोबार बढ़ रहा है.
ट्रेनर लेते हैं भारी फीस जो लोग पहली बार डॉग खरीद रहे हैं, वे अपने डॉग को ट्रेंड करने के लिए ट्रेनर रख रहे हैं। ट्रेनर एक डॉग को ट्रेंड करने के लिए 5 से 7 हजार रुपए चार्ज करते हैं। ट्रेनर इन्हें लडऩे और घर की रखवाली कैसे की जाती है, उसके गुर सिखाते हैं। वहीं डॉग कैनल भी तेजी से खुल रहे हैं, जहां एक पॅपी 10 से 20 हजार रुपए में बिक रहे हैं. ये हैं फूड के रेट 1000 से 5000 रॉयल कैनिन 150 से 2000 पेडीग्री 500 से 1000 अर्मिना 150 से 1000 ड्रोल्स फैक्ट फाइल 1.5 लाख से ज्यादा पालतू कुत्ते हैं बनारस में 07 से 08 हजार खर्च आता है प्रति माह एक कुत्ते पर 200 ग्राम फूड डेली खाता है एक डॉग 500से एक हजार प्रति माह खर्च होता है दवा पर
विदेशी नस्ल के जितने भी डॉग होते हंै, उनके खुराक उतने ही महंगे होते हैं। जो डॉग लवर्स फेमस नस्ल के कुत्ते पाल रखे हैैं, वे उनके खुराक और सेहत से कोई समझौता नहीं करते। सभी कंपनियों को मिला लिया जाए तो 50 करोड़ के करीब का सिर्फ कुत्तों के दवा का कारोबार है. शुभम गुप्ता, जर्मन डॉग केनल05
से 06 हजार का एग व नॉनवेज खाता है एक डॉग हर माह गर्मी की डाइट -दूध, रोटी, अंडा, रसगुल्ला, जूस ठंडी की डाइट पेडीग्री, दूध, रोटी, नॉनवेज, अंडा आदि सिटी में डॉग रखने का क्रेज काफी तेजी से बढ़ रहा है। खासकर युवा डॉग लवर्स में। डॉग रखने वाले उनकी सेहत से कोई कम्प्रोमाइज करना नहीं चाहते। इसलिए वे इन पर दिल खोलकर खर्च कर रहे हंै। यही वजह है कि अब यह कारोबार कई गुना ज्यादा बढ़ चुका है. सौरभ वर्मा, ओनर-सौरभ पेट मार्ट बनारस में डॉग पालने वालों की संख्या में कई गुना बड़ा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही इसका बाजार भी बढ़ गया है। वर्तमान में पूरे बनारस में 200 करोड़ के करीब का बाजार हो चुका है। कई ऐसे डॉग हैं जिन पर लोग महीने में 10 से 12 हजार खर्च करते हैैं. जैकी, ओनर-जैकी राइस डॉग केनल