चूहे कर रहे बच्चों को बीमार
वाराणसी (ब्यूरो)। अभी डेंगू को लेकर शहर हाफ रहा है कि अब नई बीमारी लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण सामने आने से डॉक्टर भी हैरान हैं। हालांकि इस बीमारी का दूसरा लक्षण अभी सामने नहीं आया है, इसलिए लोग प्रिकॉशन रखें। घबराने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर के अनुसार यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैलती है। इसमें डेंगू की तरह ही बुखार होता है। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। अब तक करीब 7 से 8 केस सिटी के निजी हॉस्पिटलों में पाए गए हैं.
पांच दिन बाद पता चलता लक्षण
आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अशोक राय का कहना है कि लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण पांच से छह दिन के बाद पता चलता है। पहले नार्मल फीवर होता है। इसके बाद सर्दी, जुकाम आना शुरू हो जाता है। इसलिए कई लोग इसे डेंगू भी समझ लेते हैं। इसमें अगर प्रॉपर तरीके से इलाज शुरू कर दिया जाएगा तो हफ्ता-दस दिन के अंदर लोग ठीक हो जाते हैं। उचित इलाज न मिलने पर इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा भी बना रहता है। डा। एके राय अब तक लेप्टोस्पायरोसिस से पीडि़त 7 से 8 बच्चों का इलाज कर चुके हैं.
ओपीडी में आ रहे मरीज
बीएचयू हो या फिर मंडलीय अस्पताल। सभी जगहों पर इन दिनों तेज बुखार, सर्दी जुकाम के मरीज आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को डाक्टर डेंगू का ही लक्षण मान रहे हंै। कबीरचौरा के सीएमएस डा। एसपी सिंह का कहना है कि इस समय मरीजों से सारा वार्ड फुल है। ओपीडी में भी काफी मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। उनका प्रॉपर तरीके से इलाज किया जा रहा है। हालांकि अभी तक लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण मरीजों में देखने को नहीं मिला है.
फीवर में टेस्ट जरूर कराएं
डॉक्टरों का कहना है कि इस समय अगर फीवर आए तो चार से पांच दिन में अगर बुखार नहीं उतरता है तो ब्लड टेस्ट जरूर कराएं। इसे हल्के में न लें। इसके अलावा सीआरपी की जांच होनी चाहिए। अगर सीआरपी ज्यादा आए तो समझ लें बैक्टीरियल बुखार है। इसके बाद भी अगर नहीं कम हो रहा है तो लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करानी चाहिए। इसके लक्षण डेंगू और वायरल से मिलते हैं। इसमें प्लेटलेट्स तेजी से नहीं डाउन होता है। 30 से 40 हजार तक प्लेटलेट्स पहुंचने के बाद अपने आप रिकवर हो जाता है.
रहें सावधान
डा। एके राय का कहना है कि बीमारी को लेकर हमेशा अलर्ट रहना चाहिए। जुलाई से अक्टूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा इफेक्टिव होता है। घर में चूहे वगैरह हो तो इससे अलर्ट रहना चाहिए। चूहा अगर कहीं पेशाब कर दिया और शरीर में कहीं चोट लगा हो तो वहां पर अगर चूहे का पेशाब लग जाए तो लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी होने की आशंका रहती है.
इसके लक्षण
लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के लक्षण बुखार, शरीर, पीठ और पैरों में तेज दर्द, ठंड लगना, आंख में लाली, मांसपेशियों में दर्द, पेट में दर्द, खांसी, खांसी के साथ खून आना, पीलिया (जॉन्डिस), सर्दी के साथ बुखार आना और शरीर में लाल चकत्ते। बुखार 104 डिग्री से अधिक होना। हालांकि अधिकतर डाक्टर इसे वायरल बीमारी समझकर इलाज करते हैं। इसमें लोग ठीक भी हो जाते हंै.
स्वास्थ्य विभाग ने दिया निर्देश
सीएमओ डा। संदीप का कहना है कि शहर में इस तरह की कहीं भी बीमारी नहीं है। जो डाक्टर ऐसा कह रहे हैं तो पहले इसकी जांच कराएं। चाहे डेंगू हो या फिर वायरल फीवर, सभी के बारे में सभी विभागों को दिशा निर्देश दिया गया है। रही बात लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में तो सुनने को मिला है लेकिन किसी ने पुष्ट नहीं किया है। सभी बाल रोग विशेषज्ञों को दिशा-निर्देश दिया गया है.
7 से 8 लेप्टोस्पायरोसिस से बीमार बच्चे को ठीक हो चुके हैं। इसमें चूहा वगैरह से बचकर रहना चाहिए। अभी इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, कई लोग इसे डेंगू समझ रहे हैं.
डा। एके राय, अध्यक्ष, नवजात शिशु संघ
जब तक जांच में पुष्ट न हो तक तक लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी को नहीं माना जा सकता। हालांकि इस बीमारी को लेकर सभी को दिशा-निर्देश दिया गया है.
डा। संदीप चौधरी, सीएमओ