डीडीयू हॉस्पिटल में डायलिसिस, सात माह बाद आएं
वाराणसी (ब्यूरो)। पांडेयपुर स्थित पंडित दीनदयाल अस्पताल में डायलिसिस के लिए वेङ्क्षटग 112 तक पहुंच गई है। इसके बाद भी केवल चार-चार घंटे की तीन शिफ्ट में काम किया जा रहा है। यही कारण है कि मरीजों की लंबी लिस्ट तैयार हो गई है। चौथी शिफ्ट की शुरुआत हो जाए तो एक दिन में 42 की जगह 56 मरीजों का डायलिसिस हो सकता है। इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी.
बेड कम होने का हवालाडायलिसिस के लिए सात माह की लंबी वेङ्क्षटग पहुंच गई है। बेड कम होने का हवाला देकर मरीजों को वापस किया जा रहा है। रोजाना तीन-चार मरीज लौटाए जा रहे हैं। यहां पर एक रुपये के पर्चे पर डायलिसिस की सुविधा है। निजी केंद्रों पर इसके लिए 700 से 2500 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। एक मरीज को सप्ताह में तीन बार डायलिसिस कराने पर पांच से 10 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की नियमित डायलिसिस न होने से तबीयत अधिक बिगड़ रही है। सुविधा का लाभ लेने आए फिरोज ने बताया कि गुर्दे की बीमारी है, सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस होनी है। निजी सेंटर पर खर्च अधिक है और यहां लंबी वेङ्क्षटग है। अब तो जान सांसत में है।
हॉस्पिटल को लेना निर्णय
डायलिसिस सेंटर इंचार्ज निपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 14 बेड पर लगातार तीन शिफ्ट में 42 मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है। चौथी शिफ्ट के लिए अस्पताल प्रशासन को निर्णय लेना है। सीएमएस ने कहा कि दस बेड डायलिसिस का बढ़ाने के लिए दो बार डीएम और कमिश्नर को रिमाइंडर भेज चुके हैं। अब तीसरी बार भेज रहे है. चौथी शिफ्ट शुरू कराने के लिए हेरिटेज कंपनी को पत्र लिख रहे हैं। कोशिश है कि मरीजों के हित में इसकी शुरुआत जल्द शुरू हो जाएगी. डॉ। आरके ङ्क्षसह, सीएमएस, डीडीयू अस्पताल. मंडलीय अस्पताल में 25 मरीज कर रहे इंतजार कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डा। घनश्याम मौर्या ने बताया कि यहां भी डायलिसिस की सुविधा है। हालांकि, यहां डायलिसिस के लिए 300 रुपये पंजीकरण के लगते हैं, लेकिन इसके बाद फ्री में उपचार किया जाता है। तीन बेड पर एक शिफ्ट में तीन लोग को ही लाभ मिल रहा है। साथ ही 25 मरीज वेङ्क्षटग में है। इसी तरह बीएचयू में भी वेङ्क्षटग चल रही है।