शिवबरात में उतरे देवलोक
वाराणसी (ब्यूरो)। महादेव की बरात। अद्भुत, अनुपम और अप्रतिम। तन पर भूत-भभूत लगाए जटाधारी शिवगण काशी की सड़कों पर उतरे और विस्मृत छटा बिखेरी। हर क्षण का साक्षी बनी काशी, काशीवासी और भक्तों की लक्खा राशी। ढोल-नगाड़ों की धुनक, शंखनाद और डमरुओं की गगनभेदी निनाद संग हर-हर महादेव का अनहद नाद गजब रहा। अपने भोलेबाबा की बारात में बाराती बने देव-दानव और भूत-पिशाच का घेरा जिस ओर मुड़ा उस ओर फूलों की बारिश और बम-बम भोले के भक्ति की तपिश बरस पड़ी। किसी ने पांव-पखारा तो किसी ने चरणों की धुली सिर-माथे संवारा। यह अनूठी शिवबरात दारानगर से विशेश्वर खंड का प्रतिनिधित्व करते हुए सांझ को निकली और रात तक झूमी-घूमी.
शिवबरात में मसाने
शिवबरात में मसाने, मथुरा-वृंदावन की होली का चटख रंग भी खूब फूटा। मैदागिन से निकाली गई शिवबरात में परंपरागत रूप से देवी देवता, किन्नर, जादूगर, सपेरा, भूत-पिशाच बाराती बने तो मटका फोड़ होली, बरसाने की ल_मार होली, काशी की मसाने की होली काशी फागुन के अलग-अलग चेहरे दिखा रही थी। बारात में प्रतीक दूल्हा कवि सुदामा प्रसाद तिवारी सांड़ बनारसी बने तो व्यापारी नेता हाजी बदरुद्दीन दुल्हन बनकर रथ पर बैठे। वहीं, 80 साल के डा। अमरनाथ शर्मा डैडी सहव्वला बने.
जगह-जगह वेलकम
जगह-जगह सामाजिक संस्थाओं की ओर से बारातियों के लिए फलाहारी, ठंडई, पान आदि का प्रबंध किया गया। बारात बुलानाला, चौक, ज्ञानवापी, गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क पहुंचने पर शिव-पार्वती विवाह की लीला हुई। मार्ग में पडऩे वाले विभिन्न व्यापार मंडलों की ओर से पुष्पवर्षा की गई। बरात देखने के लिए हजारों लोग मुख्य मार्ग के दोनों ओर, भवनों के खिड़की, बरामदों और छतों पर खड़े थे। कई विदेशी टीवी चैनलों की टीमें शिव बरात को अपने-अपने हिसाब से फिल्माने में व्यस्त दिखीं। दूसरी ओर, लक्सा स्थित लाल कुटी से भी शिव बारात भव्य रूप से निकाली गई.