गोवर्धन धारण कर गिरिधारी बने कृष्ण
वाराणसी (ब्यूरो)। श्री कृष्ण उत्सव सेवा समिति एवं हैहयवंशीय क्षत्रिय कसेरा महासभा के तत्वावधान में रामकटोरा स्थित श्री चिंतामणि बाग में चल रहे श्रीश्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कामदेव ने मनोहारी ढंग से व्याख्या किया। गोकुलवासियों ने इंद्र के डर से गोकुलवासियों ने गिरिराज पर्वत का पूजन करना बंद कर दिया था। कृष्णजी ने गिरिराज पर्वत के बारे में बताया तब जाकर गोकुलवासियों ने पूजन आरंभ किया। इस पर नाराज इन्द्र देव ने गोकुल में अतिवृष्टि कई दिनों तक लगातार करके प्रताडि़त किया। इस पर भगवान कृष्ण ने अपने बायें हाथ की तर्जनी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की और इन्द्र का घमंड चूर-चूर किया.
मनमोहन झांकी सजीभगवान श्रीकृष्ण का छप्पन भोग का पर्वत बनाते हुए बड़ी सुंदर व मनमोहक झांकी सजाई गई। श्रीकृष्ण की बाललीला में बचपन से आतताइयों बुराइयों का शमन करते हुए दुराचारियों अत्याचारियों का खेल-खेल में अंत किया। कथा के अंत में मुख्य यजमान गणेश प्रसाद कसेरा एवं सुशीला देवी ने आरती की। कथा में अशोक कसेरा, अनिल कसेरा, सुभाष मिश्रा, भरत, श्याम कसेरा, राजवीर मकुन्दलाल, घनश्याम मौजूद थे.